कर्नाटक में 'वोट चोरी' का खुलासा: SIT ने छह संदिग्धों पर कसा शिकंजा, प्रति वोट डिलीट कराने के लिए लिए गए थे पैसे

कर्नाटक में

प्रेषित समय :20:44:49 PM / Thu, Oct 23rd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

बेंगलुरु. कर्नाटक में 2023 विधानसभा चुनावों के दौरान आलंद विधानसभा क्षेत्र में हुए कथित "वोट चोरी" घोटाले की जांच कर रही विशेष जांच दल (SIT) ने एक बड़ी सफलता हासिल की है. जांच टीम ने इस पूरे स्कैम में शामिल कम से कम छह मजबूत संदिग्धों की पहचान कर ली है. आपराधिक जांच विभाग (CID) के शीर्ष सूत्रों ने पुष्टि की है कि इन संदिग्धों को हर सफलतापूर्वक डिलीट किए गए वोट के लिए ₹80 का भुगतान किया गया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वोटों को अवैध रूप से हटाने का यह प्रयास एक सुनियोजित और पैसों के लेनदेन पर आधारित ऑपरेशन था.

जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि चुनाव से पहले कुल 6,994 वोट डिलीट करने के लिए आवेदन किए गए थे. आलंद के विधायक पाटिल ने आरोप लगाया है कि हटाए जाने वाले ये वोट मुख्य रूप से दलितों और अल्पसंख्यकों के थे, जिन्हें राजनीतिक रूप से 'कांग्रेस के वोट' माना जाता है. हालांकि, SIT सूत्रों ने बताया कि इन 6,994 अनुरोधों में से कुछ ही वास्तविक मामले थे, जबकि वोटों को डिलीट करने के लिए दायर किए गए अधिकांश आवेदन फर्जी और मनगढ़ंत थे. इन फर्जी आवेदनों का उद्देश्य मतदाताओं को उनके लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित करना था.

जाँच एजेंसी इस मामले को अत्यधिक गंभीरता से ले रही है क्योंकि यह सीधे तौर पर चुनावी प्रक्रिया की अखंडता से जुड़ा है. SIT ने अब तक इस संबंध में लगभग 30 लोगों से पूछताछ की है. इस पूछताछ और साक्ष्यों के आधार पर ही टीम पांच से छह ऐसे व्यक्तियों पर शिकंजा कसने में कामयाब रही है, जिनकी भूमिका इस 'वोट चोरी' में बेहद संदिग्ध है. CID सूत्रों के अनुसार, ये संदिग्ध अब इतने मजबूत स्थिति में हैं कि उनकी जल्द ही गिरफ्तारी की जा सकती है. यह संभावित गिरफ्तारी इस मामले की जांच को एक निर्णायक मोड़ देगी.

इससे पहले भी, इस मामले की जांच के दौरान SIT ने कुछ प्रमुख व्यक्तियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी. टीम ने सुभाष गुट्टेदार, उनके बेटों हर्षनंद और संतोष गुट्टेदार, और उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट के परिसरों की तलाशी ली थी. ये छापे घोटाले के वित्तीय और परिचालन पहलुओं की जांच के लिए महत्वपूर्ण थे. वोटों को अवैध रूप से डिलीट करने के लिए पैसे का भुगतान करने का खुलासा इस बात को स्थापित करता है कि यह धोखाधड़ी व्यक्तिगत लाभ या किसी राजनीतिक उद्देश्य को साधने के लिए की गई थी. अधिकारियों का मानना है कि फर्जी मतदाता सूची प्रविष्टियों के माध्यम से और वास्तविक मतदाताओं के नाम हटाकर चुनावी परिणामों को प्रभावित करने की कोशिश की गई थी. SIT अब इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि फर्जी आवेदनों के पीछे असली मास्टरमाइंड कौन था और यह पूरा नेटवर्क कैसे संचालित हो रहा था.

कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान सामने आया यह घोटाला राज्य की राजनीति में बड़े विवाद का कारण बना था. मतदाता सूची में हेरफेर और वोटों को अवैध रूप से हटाने के आरोपों ने चुनावी पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए थे. SIT का यह नवीनतम खुलासा, जिसमें प्रति वोट भुगतान की राशि और संदिग्धों की पहचान शामिल है, इस बात की पुष्टि करता है कि एक संगठित प्रयास के तहत मतदाताओं को निशाना बनाया गया था. जाँच एजेंसी इस बात की पूरी तरह से छानबीन कर रही है कि इन संदिग्धों का संबंध किस राजनीतिक दल या व्यक्ति से था, और इस काम के लिए फंडिंग कहाँ से आ रही थी. जल्द ही होने वाली गिरफ्तारियाँ इस हाई-प्रोफाइल मामले में शामिल अन्य बड़े नामों का खुलासा कर सकती हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-