सतारा डॉक्टर आत्महत्या मामला, वरिष्ठों द्वारा उत्पीड़न बलात्कार और फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के दबाव के पांच बड़े आरोप

सतारा डॉक्टर आत्महत्या मामला, वरिष्ठों द्वारा उत्पीड़न बलात्कार और फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के दबाव के पांच बड़े आरोप

प्रेषित समय :22:12:06 PM / Fri, Oct 24th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

मुंबई . महाराष्ट्र के सतारा ज़िले में एक सरकारी अस्पताल में कार्यरत 28 वर्षीय महिला डॉक्टर की कथित आत्महत्या के बाद सनसनीखेज दावों की एक लहर सामने आई है. गुरुवार देर रात एक होटल के कमरे में मृत पाई गईं डॉक्टर ने अपनी हथेली पर एक सुसाइड नोट लिखा है, जिसमें उन्होंने दो पुलिसकर्मियों पर पिछले पाँच महीनों से बलात्कार और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है. इस भयानक घटना के सामने आते ही महाराष्ट्र की राजनीति और पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया है.

मृतक डॉक्टर मूल रूप से बीड ज़िले की रहने वाली थीं और फलटन तालुका के एक सरकारी अस्पताल में कार्यरत थीं. पुलिस अधिकारियों के अनुसार, महिला डॉक्टर ने अपनी बाईं हथेली पर एक नोट लिखा, जिसमें उप-निरीक्षक गोपाल बदाने पर शारीरिक और मानसिक शोषण का आरोप लगाया गया है. नोट के अनुसार, "पुलिस इंस्पेक्टर गोपाल बदाने ही मेरी मौत का कारण है. उसने मेरे साथ चार बार बलात्कार किया. उसने पाँच महीने से अधिक समय तक मुझे बलात्कार, मानसिक और शारीरिक शोषण का शिकार बनाया." नोट में प्रशांत बाणकर नामक एक अन्य पुलिसकर्मी का भी नाम है, जिस पर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप है.

इस घटना की गंभीरता को देखते हुए, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, जिनके पास गृह मंत्रालय का प्रभार भी है, ने तत्काल सतारा पुलिस अधीक्षक (एसपी) से बात की और नोट में नामित अधिकारियों को तत्काल निलंबित करने का आदेश दिया. सतारा एसपी तुषार दोशी ने पत्रकारों को बताया कि बदाने और बाणकर के खिलाफ बलात्कार और आत्महत्या के लिए उकसाने की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. आरोपी उप-निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया है, और पुलिस दल दोनों आरोपियों की तलाश कर रहे हैं. एसपी ने आश्वासन दिया है कि गहन जाँच और कठोर कार्रवाई की जाएगी.

परिवार ने उठाए गंभीर सवाल, लगाए पाँच बड़े आरोप:

डॉक्टर की मौत के बाद उनके परिवार और रिश्तेदारों ने कई चौंकाने वाले दावे किए हैं, जो इस मामले को केवल आत्महत्या से कहीं अधिक जटिल बनाते हैं:

  1. पुलिसकर्मी द्वारा बार-बार बलात्कार: सुसाइड नोट में महिला डॉक्टर ने सीधे तौर पर पुलिस उप-निरीक्षक गोपाल बदाने पर पाँच महीने से अधिक समय तक कई बार बलात्कार और यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है, जिसे उनकी मौत का प्राथमिक कारण बताया गया है.

  2. वरिष्ठों द्वारा कार्यस्थल पर उत्पीड़न: डॉक्टर की चाची ने बताया कि वह महत्वाकांक्षी थीं, लेकिन "वह काम पर दबाव में थी और यही वजह है कि उन्होंने यह चरम कदम उठाया." एक अन्य चाची ने खुलासा किया कि "ठीक दो दिन पहले, उन्होंने उल्लेख किया था कि उन्हें काम पर वरिष्ठों द्वारा परेशान किया जा रहा है."

  3. पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने का दबाव: रिश्तेदारों ने आरोप लगाया कि डॉक्टर सहित मेडिकल अधिकारियों पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट को गलत साबित करने का दबाव था. डॉक्टर के चचेरे भाई ने बताया, "गलत पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने के लिए उन पर बहुत अधिक पुलिस और राजनीतिक दबाव था. उन्होंने इसके बारे में शिकायत करने की कोशिश की थी. मेरी बहन को न्याय मिलना चाहिए."

  4. उत्पीड़न की पूर्व शिकायत को नज़रअंदाज़ करना: सुसाइड नोट के अलावा, पुलिस ने पुष्टि की है कि पीड़िता ने 19 जून को भी फलटन उप-मंडल कार्यालय के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) को संबोधित एक पत्र लिखा था. इस पत्र में उन्होंने फलटन ग्रामीण पुलिस विभाग के दो पुलिस अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कानूनी कार्रवाई की मांग की थी, यह कहते हुए कि वह "अत्यधिक तनाव में हैं." विपक्षी नेताओं, जैसे कांग्रेस के विजय वडेट्टीवार और एनसीपी-एसपी की सुप्रिया सुले ने सवाल किया है कि पहले की शिकायत पर समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं की गई.

  5. मानसिक उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाना: नोट में पुलिस अधिकारी प्रशांत बाणकर का नाम भी शामिल है, जिन पर महिला डॉक्टर को मानसिक उत्पीड़न का शिकार बनाने का आरोप है.

महाराष्ट्र महिला आयोग की प्रमुख रूपाली चाकणकर ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है. उन्होंने सतारा पुलिस को दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है और कहा है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा.

इस बीच, विपक्ष ने सत्तारूढ़ महायुति सरकार को आड़े हाथों लिया है. कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि "जब रक्षक ही भक्षक बन जाए! पुलिस का कर्तव्य रक्षा करना है, लेकिन अगर वे खुद एक महिला डॉक्टर का शोषण कर रहे हैं, तो न्याय कैसे मिलेगा?" उन्होंने मांग की कि इन पुलिस अधिकारियों को केवल निलंबित नहीं, बल्कि नौकरी से बर्खास्त किया जाना चाहिए, ताकि वे जांच को प्रभावित न कर सकें. एनसीपी-एसपी सांसद सुप्रिया सुले ने भी इसे "अत्यंत गंभीर" मामला बताते हुए कहा कि स्वास्थ्य प्रणाली में काम करने वाली हर महिला को सुरक्षित माहौल मिलना चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए.

पुलिस ने बताया है कि केस दर्ज कर लिया गया है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है, साथ ही हथेली पर लिखे सुसाइड नोट में लगाए गए आरोपों की जांच की जा रही है. यह मामला महाराष्ट्र में पुलिस व्यवस्था और कार्यस्थल पर महिला सुरक्षा को लेकर एक बार फिर बहस का केंद्र बन गया है, और अब सभी की निगाहें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा दिए गए कठोर कार्रवाई के निर्देशों के क्रियान्वयन पर टिकी हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-