उमरिया. मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के बिरसिंहपुर पाली स्थित संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र में एक बार फिर उत्पादन प्रभावित हुआ है. केंद्र की 210 मेगावॉट क्षमता वाली तीसरी यूनिट को बॉयलर ट्यूब लीकेज होने के कारण बंद करना पड़ा. लगातार तकनीकी खराबियों के चलते यह संयंत्र एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से यहां यूनिट बंद होने का सिलसिला थम नहीं रहा है.
जानकारी के अनुसार, सोमवार की शाम को तीसरी यूनिट में वॉयलर ट्यूब में लीकेज की समस्या सामने आई, जिसके बाद सुरक्षा कारणों से यूनिट को तत्काल बंद कर दिया गया. संयंत्र प्रबंधन ने बताया कि तकनीकी टीम द्वारा मरम्मत कार्य शुरू कर दिया गया है और जल्द ही समस्या का समाधान कर यूनिट को दोबारा शुरू किया जाएगा.
इस संबंध में एडिशनल चीफ इंजीनियर राजेंद्र साहू ने बताया कि बॉयलर ट्यूब लीकेज हो जाने के कारण यूनिट को बंद करना पड़ा है. मरम्मत कार्य जारी है और लगभग 2 से 3 दिनों के भीतर यूनिट को पुन: चालू कर लिया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि बाकी यूनिटें सामान्य रूप से उत्पादन कर रही हैं और बिजली आपूर्ति पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा.
संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड का एक प्रमुख विद्युत उत्पादन केंद्र है, जो प्रदेश की बिजली आपूर्ति में अहम भूमिका निभाता है. इस केंद्र की कुल उत्पादन क्षमता लगभग 1340 मेगावॉट है, जिसमें 210 मेगावॉट की तीन और 500 मेगावॉट की एक यूनिट शामिल है. लेकिन पिछले एक वर्ष में यहां कई बार तकनीकी खराबियों के कारण यूनिटें बंद करनी पड़ी हैं.
कर्मचारियों का कहना है कि संयंत्र के पुराने हो चुके उपकरणों और समय पर रखरखाव की कमी के कारण बार-बार तकनीकी खराबियां सामने आती हैं. वहीं ऊर्जा विभाग के सूत्रों के मुताबिक, नियमित निरीक्षण और मेंटेनेंस की प्रक्रिया को और सख्ती से लागू करने की जरूरत है, ताकि उत्पादन पर असर न पड़े. स्थानीय लोगों का भी कहना है कि यूनिट बंद होने से न केवल बिजली उत्पादन प्रभावित होता है, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों पर भी असर पड़ता है. पावर प्लांट क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों को भी अस्थायी रूप से परेशानी का सामना करना पड़ता है.
गौरतलब है कि संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र राज्य सरकार के लिए बिजली उत्पादन का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है, लेकिन लगातार यूनिटों के बंद होने से इसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं. अब देखना यह होगा कि प्रबंधन किस तरह से तकनीकी खामियों को दूर कर इस बार उत्पादन को स्थिर बनाए रखता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

