आयकर रिटर्न दाखिल करने की नई तारीख अब 10 दिसंबर तक

आयकर रिटर्न दाखिल करने की नई तारीख अब 10 दिसंबर तक

प्रेषित समय :20:33:53 PM / Wed, Oct 29th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने करदाताओं और कर विशेषज्ञों को राहत देते हुए वित्त वर्ष 2024–25 (आकलन वर्ष 2025–26) के लिए आयकर रिटर्न (ITR) और ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की अंतिम तिथियों में विस्तार कर दिया है. बुधवार को जारी अधिसूचना के अनुसार अब ऑडिट रिपोर्ट 10 नवंबर 2025 तक और आयकर रिटर्न 10 दिसंबर 2025 तक दाखिल किए जा सकेंगे.

पहले जिन करदाताओं को ऑडिट कराना अनिवार्य था — जैसे कंपनियां, फर्म और ऐसे व्यक्ति जो साझेदारी में काम कर रहे हैं — उन्हें 31 अक्टूबर 2025 तक ITR दाखिल करना था. लेकिन अब उन्हें लगभग छह सप्ताह का अतिरिक्त समय मिला है.

CBDT ने अपने बयान में कहा कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139(1) के तहत रिटर्न दाखिल करने की तिथि 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 10 दिसंबर 2025 कर दी गई है. यह राहत उन सभी करदाताओं के लिए है जिन पर ऑडिट करवाना आवश्यक होता है. इसी के साथ ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की “निर्दिष्ट तिथि” भी 10 नवंबर 2025 कर दी गई है.

यह फैसला ऐसे समय आया है जब विभिन्न उच्च न्यायालयों — विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा, और गुजरात हाईकोर्ट — ने ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की समय-सीमा बढ़ाने के निर्देश दिए थे. कर पेशेवरों और व्यापार संगठनों की ओर से लगातार यह मांग उठाई जा रही थी कि ऑडिट और रिटर्न दाखिल करने के बीच पर्याप्त अंतर रखा जाए, ताकि तकनीकी कठिनाइयों और कार्यभार को देखते हुए समय पर रिटर्न दाखिल हो सके.

CBDT के अनुसार, “केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने निर्णय लिया है कि आयकर अधिनियम की धारा 139(1) के उपबंधों के तहत 31 अक्टूबर 2025 की तिथि को बढ़ाकर अब 10 दिसंबर 2025 किया जाए. इसी प्रकार, ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की निर्दिष्ट तिथि भी 10 नवंबर 2025 कर दी गई है.”

इससे पहले, 25 सितंबर को विभाग ने टैक्स ऑडिट रिपोर्ट (TAR) दाखिल करने की तिथि 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 की थी. अब एक बार फिर समय सीमा बढ़ाए जाने से लाखों करदाताओं को राहत मिली है, खासकर छोटे व्यापारियों और फर्मों को जिन्हें ऑडिट प्रक्रिया में अधिक समय लगता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम आयकर प्रशासन को अधिक पारदर्शी और व्यवहारिक बनाने की दिशा में मदद करेगा. इससे टैक्स प्रोफेशनल्स को दस्तावेज़ों की जांच और सत्यापन के लिए पर्याप्त समय मिलेगा, जबकि करदाताओं पर समय-सीमा के दबाव में गलती करने की संभावना भी घटेगी.

इस फैसले से देश भर में ऑडिट और रिटर्न दाखिल प्रक्रिया की गति और गुणवत्ता दोनों में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है.

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