मुंबई. देश के सबसे पुराने और विश्वसनीय होम टेक्सटाइल ब्रांडों में से एक, बॉम्बे डाइंग ने नकली उत्पादों के खिलाफ एक व्यापक राष्ट्रीय अभियान छेड़ दिया है. कंपनी ने हाल ही में कोलकाता, हैदराबाद, केरल और मुंबई सहित कई प्रमुख शहरों में छापेमारी कर नकली उत्पादों के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है. यह कार्रवाई न केवल ब्रांड की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए की गई है, बल्कि उपभोक्ताओं के भरोसे को बनाए रखने की दिशा में भी एक अहम कदम मानी जा रही है.
मुंबई के एक प्रमुख मॉल में हुई हालिया छापेमारी में कंपनी ने पाया कि कई दुकानों पर बॉम्बे डाइंग के नाम पर नकली उत्पाद खुलेआम बेचे जा रहे थे. इन उत्पादों पर कंपनी के ट्रेडमार्क और लोगो की हूबहू नकल की गई थी. असली लोगो जहाँ नीले रंग में होता है, वहीं नकली उत्पादों में लोगों को बैंगनी (पर्पल) रंग में दिखाया गया था ताकि ग्राहक भ्रमित हों और उन्हें असली समझकर खरीद लें. कंपनी की जांच में यह भी सामने आया कि नकली उत्पादों की पैकेजिंग को भी इस तरह से डिजाइन किया गया था कि वह मूल ब्रांड की पैकिंग जैसी ही लगे. कई जगहों पर फर्जी बारकोड और ब्रांड टैग का इस्तेमाल कर उपभोक्ताओं को गुमराह किया जा रहा था.
कंपनी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि यह कार्रवाई न केवल बॉम्बे डाइंग की साख और पहचान को सुरक्षित रखने के लिए है, बल्कि हर उस उपभोक्ता के हित में है जो भरोसे और गुणवत्ता के साथ ब्रांड से जुड़ा है. बॉम्बे डाइंग की मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) किरोदा जेना ने मीडिया से कहा, “हमारा उद्देश्य सिर्फ ब्रांड की सुरक्षा नहीं बल्कि ग्राहकों के भरोसे की रक्षा करना है. हर भारतीय परिवार को वही प्रामाणिक गुणवत्ता मिले जिसके लिए बॉम्बे डाइंग जाना जाता है. नकली उत्पाद न केवल हमारे उपभोक्ताओं को धोखा देते हैं बल्कि बाजार की पारदर्शिता को भी कमजोर करते हैं.”
उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी इस पूरे अभियान में स्थानीय प्रशासन, पुलिस, रिटेल साझेदारों और उद्योग संगठनों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि नकली उत्पादों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकें. कंपनी का कहना है कि वह ऐसे अपराधों के खिलाफ कोई समझौता नहीं करेगी और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी. सूत्रों के अनुसार, कंपनी ने अबतक कई शहरों में पुलिस की मदद से छापेमारी की है और बड़ी मात्रा में नकली सामान जब्त किया गया है. इन मामलों में कुछ स्थानीय वितरकों और दुकानदारों से पूछताछ भी की जा रही है.
इस कार्रवाई के बाद बॉम्बे डाइंग ने उपभोक्ताओं से भी अपील की है कि वे खरीदारी करते समय उत्पाद के लोगो, रंग, पैकेजिंग और टैग को ध्यान से जांचें. असली बॉम्बे डाइंग उत्पादों पर नीले रंग का लोगो होता है, जबकि नकली उत्पादों में रंग और डिजाइन में मामूली लेकिन महत्वपूर्ण अंतर दिखाई दे सकता है. कंपनी ने यह भी कहा है कि ग्राहक यदि किसी उत्पाद की प्रामाणिकता पर संदेह करें, तो तुरंत ब्रांड की आधिकारिक वेबसाइट या ग्राहक सेवा से संपर्क करें. इसके अलावा, उपभोक्ताओं को केवल अधिकृत विक्रेताओं या आधिकारिक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से ही खरीदारी करने की सलाह दी गई है.
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारतीय बाजार में बढ़ते नकली उत्पादों के जाल पर एक मजबूत संदेश है. भारत में टेक्सटाइल और होम फर्निशिंग के क्षेत्र में नकली उत्पादों का कारोबार अरबों रुपये का है, जो न केवल ब्रांड्स को आर्थिक नुकसान पहुँचाता है बल्कि उपभोक्ताओं के भरोसे को भी तोड़ता है. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी कंपनियाँ जो दशकों से अपने नाम और गुणवत्ता पर कायम हैं, उन्हें नकली उत्पादों के कारण दोहरी मार झेलनी पड़ती है — एक तरफ ब्रांड की साख को नुकसान और दूसरी तरफ ग्राहकों की असंतुष्टि.
बॉम्बे डाइंग, जिसकी स्थापना स्वतंत्रता-पूर्व काल में हुई थी, भारत के हर घर में एक परिचित नाम बन चुका है. उसकी बेडशीट, टॉवल, पर्दे और अन्य होम टेक्सटाइल उत्पाद दशकों से गुणवत्ता और विश्वसनीयता का प्रतीक रहे हैं. कंपनी के अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजार दोनों में नकली उत्पादों का चलन तेजी से बढ़ा है, जिससे ग्राहकों को असली और नकली के बीच फर्क करना मुश्किल होता जा रहा है. कंपनी ने बताया कि इन नकली उत्पादों में घटिया कपड़ा, सस्ते रंग और निम्न गुणवत्ता की प्रिंटिंग का उपयोग किया जाता है, जिससे उपभोक्ताओं को असली उत्पाद जैसा अनुभव नहीं मिल पाता.
किरोदा जेना ने यह भी कहा कि नकली उत्पादों का मामला केवल ब्रांड की आर्थिक हानि तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उपभोक्ताओं के अधिकारों और सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है. उन्होंने बताया कि कंपनी अपने सभी अधिकृत वितरकों को डिजिटल वेरिफिकेशन सिस्टम और QR कोड आधारित प्रमाणीकरण प्रणाली से जोड़ने की योजना पर काम कर रही है, ताकि भविष्य में कोई भी उपभोक्ता अपने खरीदे गए उत्पाद की असलियत तुरंत जांच सके.
उद्योग जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि यह कार्रवाई अन्य ब्रांडों के लिए भी एक मिसाल बनेगी. भारत में कई ब्रांड्स नकली उत्पादों की वजह से नुकसान झेल रहे हैं, लेकिन उनमें से बहुत कम ही कंपनियाँ इतनी संगठित और बड़े पैमाने पर कार्रवाई करती हैं. बॉम्बे डाइंग की इस पहल से निश्चित रूप से उपभोक्ताओं में जागरूकता बढ़ेगी और बाजार में पारदर्शिता को बल मिलेगा.
कंपनी के अनुसार, नकली उत्पादों के खिलाफ यह सिर्फ एक बार की कार्रवाई नहीं बल्कि एक निरंतर अभियान होगा. आने वाले महीनों में देश के अन्य शहरों में भी ऐसी छापेमारी की जाएगी और जहां भी ट्रेडमार्क के दुरुपयोग की शिकायत मिलेगी, वहां तुरंत कार्रवाई की जाएगी. कंपनी ने कहा कि वह अपने ब्रांड की पहचान, ग्राहकों के हित और बाजार की निष्पक्षता के लिए प्रतिबद्ध है.
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या भारतीय बाजार में नकली उत्पादों के खिलाफ नियामक तंत्र पर्याप्त है. विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक उपभोक्ता जागरूक नहीं होंगे और ब्रांड्स एकजुट होकर कार्रवाई नहीं करेंगे, तब तक ऐसे मामलों पर पूरी तरह रोक लगाना मुश्किल है. बॉम्बे डाइंग की हालिया पहल यह दिखाती है कि उद्योग जगत अब केवल नुकसान झेलने की स्थिति में नहीं रहना चाहता, बल्कि सक्रिय रूप से अपनी पहचान और उपभोक्ताओं के भरोसे की रक्षा के लिए आगे आ रहा है.
बॉम्बे डाइंग की इस मुहिम ने यह साबित किया है कि असली ताकत सिर्फ ब्रांड की विरासत में नहीं, बल्कि उसके सत्यनिष्ठ प्रयासों में होती है. जिस विश्वास और गुणवत्ता के लिए यह ब्रांड दशकों से जाना जाता है, उसी परंपरा को बरकरार रखते हुए उसने यह कदम उठाया है. नकली उत्पादों के खिलाफ यह लड़ाई केवल कंपनी की नहीं, बल्कि हर उस उपभोक्ता की है जो यह मानता है कि असली चीज़ों की पहचान अब भी ईमानदारी और पारदर्शिता से होती है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

