साल 2025 का ‘शब्द’ बना 67-संख्या में छिपा इंटरनेट पीढ़ी का नया भाव और बेतरतीब रचनात्मकता का प्रतीक

साल 2025 का ‘शब्द’ बना 67-संख्या में छिपा इंटरनेट पीढ़ी का नया भाव और बेतरतीब रचनात्मकता का प्रतीक

प्रेषित समय :22:01:27 PM / Thu, Oct 30th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भाषा की दुनिया में इस साल का सबसे बड़ा चौंकाने वाला फैसला सामने आया है. प्रतिष्ठित Dictionary.com ने वर्ष 2025 का ‘Word of the Year’ — यानी साल का शब्द — घोषित किया है. लेकिन यह शब्द नहीं, बल्कि एक संख्या है: “67”. यह घोषणा सुनकर भाषा विशेषज्ञों से लेकर आम इंटरनेट उपयोगकर्ताओं तक सभी हैरान हैं. पर यह चौंकाने वाला चुनाव कोई साधारण मज़ाक नहीं, बल्कि उस नई डिजिटल संस्कृति का प्रतीक है, जिसने शब्दों की परिभाषा ही बदल दी है. यह वही संस्कृति है जिसमें अर्थ से ज़्यादा अहमियत साझा हँसी, विडंबना और सामूहिक मज़े की होती है.

“67” की शुरुआत किसी शब्दकोश या साहित्यिक मंच पर नहीं, बल्कि इंटरनेट की अराजक और रचनात्मक गलियों में हुई. साल 2024 में रैपर स्क्रिला (Skrilla) ने अपना गाना Doot Doot रिलीज़ किया था. गाने में एक पंक्ति थी—“6-7, I just bipped right on the highway.” इसमें न कोई खास अर्थ था, न कोई गहरी रूपक या सामाजिक टिप्पणी. लेकिन इंटरनेट की दुनिया में randomness यानी बेतरतीबी ही नया नियम है. यही पंक्ति देखते ही देखते सोशल मीडिया का चहेता मीम बन गई.

कुछ ही हफ्तों में TikTok पर यह धुन लाखों बार रीमिक्स की गई, क्लिप्स में दोहराई गई, और मज़ाकिया अंदाज़ में चिल्लाई जाने लगी. “सिक्स-सेवन” अब सिर्फ़ एक संख्या नहीं रही—यह बन गई उत्साह, ऊर्जा और सामूहिक ‘इनसाइड ह्यूमर’ की पहचान. इस ट्रेंड को एनबीए के प्रशंसकों ने भी हाथों-हाथ लिया, क्योंकि बास्केटबॉल खिलाड़ी ला मेलो बॉल (LaMelo Ball) की ऊँचाई भी छह फुट सात इंच है. जल्द ही इंटरनेट पर #67 टैग के साथ उनके खेलते और जश्न मनाते वीडियो भर गए.

TikTok के आँकड़ों के मुताबिक #67 अब दो मिलियन से ज़्यादा पोस्ट पार कर चुका है. विशेष रूप से बैक-टू-स्कूल सीज़न में यह ट्रेंड अपने चरम पर रहा, जब स्कूली बच्चे और युवा इस संख्या को अपने खास “कोड वर्ड” की तरह इस्तेमाल करने लगे. यह एक ऐसी डिजिटल ‘इनसाइड जोक’ बन गया जिसने Gen Alpha — यानी 2010 के बाद जन्मी इंटरनेट-नेटीव पीढ़ी — को एक साझा पहचान दी.

जब Dictionary.com ने “67” को वर्ष 2025 का शब्द घोषित किया, तो संपादकों ने इसे इस युग का सटीक प्रतीक बताया. संस्था ने कहा कि “67 एक साथ इनसाइड जोक, सोशल सिग्नल और प्रदर्शन का माध्यम है. यह दिखाता है कि भाषा अब केवल अर्थों तक सीमित नहीं रही, बल्कि भावनाओं और समुदायिक अनुभवों का प्रतीक बन चुकी है.” इस चयन ने यह स्पष्ट कर दिया कि आधुनिक युग की भाषा अब अक्षरों में नहीं, बल्कि ध्वनियों, प्रतीकों और मीम्स में ढल रही है.

“67” का असर केवल डिजिटल दुनिया तक सीमित नहीं रहा. यह मीम कक्षा तक पहुँच गया. दुनिया भर के स्कूलों से यह रिपोर्ट आने लगी कि बच्चे अचानक “सिक्स!” चिल्लाते और पूरा क्लास “सेवन!” में जवाब देता. कुछ शिक्षकों ने इसे पढ़ाई में व्यवधान मानकर बैन कर दिया, तो कुछ ने चतुराई से इसे कॉल-एंड-रिस्पॉन्स तकनीक के रूप में अपनाया—कक्षा में ध्यान आकर्षित करने का नया तरीका. कुछ शिक्षकों ने इसे मीडिया साक्षरता के उदाहरण के रूप में भी इस्तेमाल किया, ताकि छात्र समझ सकें कि कैसे मीम और डिजिटल संस्कृति आधुनिक संवाद को आकार दे रही है.

सोशल मीडिया पर भी “67” की व्याख्याएँ कई रूपों में सामने आईं. किसी ने इसे chaotic humor कहा, तो किसी ने collective vibe का प्रतीक बताया. लेकिन सभी का एकमत यही था कि यह ट्रेंड Gen Alpha की सोच को सबसे अच्छे ढंग से दर्शाता है—एक ऐसी पीढ़ी जो विडंबना, व्यंग्य और वायरल बेतरतीबी में अर्थ खोजने लगी है.

“67” का यह उभार यह भी दर्शाता है कि अब भाषा केवल अभिव्यक्ति का नहीं, बल्कि पहचान और समुदाय का माध्यम बन चुकी है. जैसे पहले “OK” या “LOL” डिजिटल भावनाओं के प्रतीक बने थे, वैसे ही “67” अब उस सामूहिक मज़ाकिया उर्जा का प्रतिनिधि बन गया है जिसमें कोई निश्चित अर्थ नहीं, लेकिन साझा समझ ज़रूर है.

भाषा विशेषज्ञों के लिए यह चयन एक चुनौती और चेतावनी दोनों है. यह बताता है कि इंटरनेट की दुनिया में अब “शब्द” की परिभाषा बदल रही है. आज लोग संवाद के लिए शब्दों से ज़्यादा मीम्स, ध्वनियाँ, इशारे और प्रतीक इस्तेमाल कर रहे हैं. “67” उसी बदलाव का संकेत है—एक ऐसी भाषा का, जो किताबों से नहीं, बल्कि स्क्रीन से जन्मी है.

आख़िरकार, “67” एक संख्या से कहीं ज़्यादा है. यह एक डिजिटल युग का प्रतीक है, जहाँ बेतुकी बातें भी संस्कृति बन जाती हैं, जहाँ अर्थ से ज़्यादा अहमियत उस साझे अनुभव की होती है जिसने करोड़ों लोगों को एक हँसी और एक लय में बाँध दिया. यही कारण है कि Dictionary.com का यह निर्णय, जितना अजीब लगता है, उतना ही प्रासंगिक भी है—क्योंकि आज की भाषा में “67” का अर्थ यही है: सब समझते हैं, पर कोई समझा नहीं सकता.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-