देश के स्कूलों में तीसरी कक्षा से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पाठ्यक्रम होगा लागू, भविष्य की चुनौतियों के लिए छात्र होंगे तैयार

देश के स्कूलों में तीसरी कक्षा से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पाठ्यक्रम होगा लागू, भविष्य की चुनौतियों के लिए छात्र होंगे तैयार

प्रेषित समय :21:29:27 PM / Sat, Nov 1st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली: भारत के छात्रों को प्रौद्योगिकी-संचालित भविष्य के लिए तैयार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग (CT) को पूरे देश के स्कूलों में कक्षा 3 से ही पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने ज़ोर देकर कहा है कि यह कदम फाउंडेशनल स्तर पर एआई शिक्षा को एकीकृत करने के भारत के व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिससे छात्रों में 21वीं सदी के लिए आवश्यक समस्या-समाधान, विश्लेषणात्मक और कम्प्यूटेशनल कौशल विकसित करने में मदद मिलेगी।

शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (DoSEL) ने 'जन कल्याण के लिए एआई' को सीखने का एक प्रमुख स्तंभ बनाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। विभाग का कहना है कि नए पाठ्यक्रम से छात्रों में गंभीर सोच (क्रिटिकल थिंकिंग), रचनात्मकता और एआई के नैतिक उपयोग को शुरुआती उम्र से ही बढ़ावा मिलेगा। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और नए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एजुकेशन (NCF-SE) 2023 के साथ पूरी तरह से संरेखित है।

 एआई पाठ्यक्रम की रूपरेखा: आईआईटी मद्रास विशेषज्ञ समिति की प्राथमिकताएँ

कक्षा 3 से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग (CT) को लागू करने की इस पहल को ज़मीन पर उतारने के लिए, आईआईटी मद्रास के प्रोफ़ेसर कार्तिक रमन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। इस समिति की मुख्य प्राथमिकताएँ यह सुनिश्चित करना है कि पाठ्यक्रम आयु-उपयुक्त (Age-appropriate) हो और यह केवल तकनीकी ज्ञान तक सीमित न रहे। प्रस्तावित पाठ्यक्रम की रूपरेखा में मुख्य रूप से निम्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:

  • फाउंडेशनल कौशल का विकास: पाठ्यक्रम का प्राथमिक लक्ष्य छात्रों में विश्लेषणात्मक (Analytical), समस्या-समाधान (Problem-solving) और तार्किक सोच (Logical thinking) जैसे बुनियादी कम्प्यूटेशनल कौशल का विकास करना होगा, न कि सिर्फ़ कोडिंग सिखाना।

  • दैनिक जीवन से जुड़ाव: एआई को एक 'सैद्धांतिक विषय' के रूप में नहीं, बल्कि 'हमारे आसपास की दुनिया' से जुड़े एक व्यावहारिक कौशल के रूप में पढ़ाया जाएगा। उदाहरण के लिए, सरल डेटा पैटर्न को समझना, मशीनी सीखने (Machine Learning) के बुनियादी सिद्धांतों को खेलों या कहानियों के माध्यम से समझाना।

  • नैतिक उपयोग और जागरूकता: पाठ्यक्रम में एआई के नैतिक पहलुओं को शुरू से ही शामिल किया जाएगा। छात्रों को डेटा प्राइवेसी, पूर्वाग्रह (Bias) और एआई के जिम्मेदार उपयोग के बारे में जागरूक किया जाएगा।

  • रचनात्मकता और नवाचार: छात्रों को एआई उपकरणों का उपयोग करके सरल प्रोजेक्ट्स बनाने और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया जाएगा, ताकि वे भविष्य के इनोवेटर बन सकें।

यह दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि तीसरी कक्षा से ही छात्र एआई को एक सहायक उपकरण के रूप में देखें, जो उन्हें भविष्य की तकनीकी चुनौतियों के लिए तैयार करेगा।

पाठ्यक्रम डिजाइन और विशेषज्ञ समिति: इस महत्वाकांक्षी शैक्षिक सुधार को लागू करने से पहले, शिक्षा मंत्रालय ने 29 अक्टूबर 2025 को एक महत्वपूर्ण हितधारक परामर्श बैठक आयोजित की। इस बैठक में सीबीएसई (CBSE), एनसीईआरटी (NCERT), केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS), नवोदय विद्यालय समिति (NVS) के प्रतिनिधियों के साथ-साथ कई बाहरी विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लिया।

कम्प्यूटेशनल थिंकिंग (CT) पाठ्यक्रम को डिजाइन करने के लिए आईआईटी मद्रास के प्रोफ़ेसर कार्तिक रमन की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। इस उच्च-स्तरीय समिति को कक्षाओं के अनुरूप, प्रासंगिक और प्रभावी पाठ्यक्रम तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है, जिसे पूरे देश में एकसमान रूप से लागू किया जा सके।

शिक्षा मंत्रालय की प्रतिबद्धता और समावेशी दृष्टिकोण: DoSEL के सचिव संजय कुमार ने इस पहल के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में शिक्षा को 'हमारे आसपास की दुनिया' से जुड़े एक बुनियादी सार्वभौमिक कौशल के रूप में माना जाना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा कि यह पहल NCF-SE 2023 के अनुरूप है और यह सुनिश्चित करेगी कि हर बच्चे की विशिष्ट क्षमता का पोषण एक समावेशी और भविष्य के लिए तैयार दृष्टिकोण के माध्यम से किया जाए। मंत्रालय का उद्देश्य केवल छात्रों को तकनीक सिखाना नहीं है, बल्कि उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनाना है जो एआई का उपयोग मानवता की भलाई के लिए कर सके।

क्रियान्वयन और शिक्षक प्रशिक्षण की रणनीति: इस विशाल शैक्षिक सुधार को देश भर के स्कूलों में प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए, शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षक प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। NISHTHA (नेशनल इनिशिएटिव फॉर स्कूल हेड्स एंड टीचर्स हॉलिस्टिक एडवांसमेंट) प्रशिक्षण मॉड्यूल और वीडियो-आधारित पाठों जैसे सीखने की सामग्री का उपयोग कार्यान्वयन में सहायता के लिए किया जाएगा। शिक्षकों को नए एआई और सीटी पाठ्यक्रम को पढ़ाने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान से लैस करना इस योजना का एक अभिन्न अंग है। शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के बाद ही, यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि पाठ्यक्रम को सही भावना और सटीकता के साथ कक्षा तक पहुँचाया जाए।

यह कदम भारत के शिक्षा क्षेत्र में एक क्रांति लाने का वादा करता है। बच्चों को इतनी कम उम्र में कम्प्यूटेशनल सोच से परिचित कराकर, भारत का लक्ष्य अपनी युवा पीढ़ी को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार करना है। एआई केवल भविष्य की तकनीक नहीं है, बल्कि यह वर्तमान में ही जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर रही है, और इस पहल से भारतीय छात्र इस डिजिटल परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए सुसज्जित होंगे। यह फैसला दर्शाता है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली अब केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यावहारिक, तकनीकी और भविष्य-केंद्रित कौशल पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-