नए घर में प्रवेश से पहले पुरानी चौखटें और फर्नीचर हटा दें, वास्तु दोष निवारण से आती है सुख-समृद्धि?

नए घर में प्रवेश से पहले पुरानी चौखटें और फर्नीचर हटा दें, वास्तु दोष निवारण से आती है सुख-समृद्धि?

प्रेषित समय :19:48:53 PM / Sat, Nov 1st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नया घर या संपत्ति खरीदना हर व्यक्ति के जीवन का सबसे बड़ा सपना और महत्वपूर्ण पड़ाव होता है, जो भविष्य की खुशहाली और स्थिरता का प्रतीक है। लेकिन, केवल संपत्ति का मालिकाना हक़ हासिल कर लेना ही पर्याप्त नहीं है। वास्तु विशेषज्ञ और ऊर्जा सलाहकार मानते हैं कि नए घर में प्रवेश से पहले की जाने वाली तैयारी, विशेषकर ऊर्जा शुद्धिकरण और पुरानी वस्तुओं का त्याग, यह सुनिश्चित करता है कि नए निवास में केवल सकारात्मकता, समृद्धि और शांति का ही वास हो।

यह देखा गया है कि लोग भावनात्मक लगाव के कारण या पैसे बचाने की मंशा से अपने पुराने निवास से लकड़ी के दरवाज़े, खिड़कियों की चौखटें, पुराने फर्नीचर और यहाँ तक कि छोटे-मोटे सजावटी सामान भी नए घर में ले आते हैं। वास्तु शास्त्र इस अभ्यास को गंभीर रूप से हतोत्साहित करता है। यह समझना आवश्यक है कि प्रत्येक वस्तु, विशेषकर लकड़ी की चीज़ें, अपने पूर्व स्थान की ऊर्जा, इतिहास और 'औरा' को अवशोषित करके रखती हैं। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि पुराने घर की ऊर्जा, चाहे वह तनाव, बीमारी, या आर्थिक तंगी से जुड़ी हो, अनजाने में नए स्थान पर स्थानांतरित हो जाती है। नया घर एक कोरे कैनवास की तरह होना चाहिए, जहाँ केवल नई और शुभ ऊर्जाओं को ही जगह मिलनी चाहिए। इसलिए, यह दृढ़ता से सलाह दी जाती है कि पुराने सामान को नए निवास में लाने से बचें, ताकि एक नई और सकारात्मक जीवनशैली की शुरुआत सुनिश्चित हो सके।

एक बार जब पुराने सामान को बाहर कर दिया जाता है, तो अगला और सबसे महत्वपूर्ण चरण घर का ऊर्जा शुद्धिकरण होता है। नया घर, चाहे वह बिल्कुल नया बना हो या पुराना, उसमें पूर्व मालिकों की ऊर्जा या निर्माण के दौरान आई नकारात्मक ऊर्जा का वास हो सकता है। इस नकारात्मकता को दूर करने के लिए घर को वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रूप से तैयार करना अनिवार्य है।

शुरुआत गहन साफ-सफाई से की जानी चाहिए। इसके बाद, वास्तु के नियमों का पालन करते हुए पूरे घर को पवित्र और शुद्ध करने की प्रक्रिया शुरू होती है। यह प्रक्रिया सरल लेकिन अत्यंत प्रभावी होती है। सबसे पहले, पूरे घर के फर्श को पोंछने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी में समुद्री नमक (क्रिस्टल सॉल्ट) मिलाया जाना चाहिए। नमक को नकारात्मक ऊर्जा को सोखने का एक शक्तिशाली माध्यम माना जाता है। नियमित रूप से नमक वाले पानी से पोछा लगाने से वातावरण की भारीपन दूर होता है और ऊर्जा हल्की व सकारात्मक बनती है।

इसके बाद, घर में धूनी (Smudging) देनी चाहिए। धूनी की प्रक्रिया में विभिन्न प्रकार की शुभ सामग्री का उपयोग होता है। कपूर की धूनी नकारात्मकता को नष्ट करने के लिए सबसे प्रभावी मानी जाती है। इसके अलावा, लोबान, गूगल, शुद्ध सरसों, गाय के गोबर के उपले और कुछ विशेष जड़ी-बूटियों (Herbs) जैसे कि लोबान का मिश्रण बनाकर पूरे घर में, विशेषकर कोनों और कमरों की दीवारों के पास धूनी देनी चाहिए। धूनी देने से वायु शुद्ध होती है, जीवाणु समाप्त होते हैं और घर का वातावरण आध्यात्मिक रूप से चार्ज हो जाता है।

इन भौतिक शुद्धिकरणों के बाद, घर में पवित्रता का संचार करना आवश्यक है। इसके लिए गंगाजल सबसे उत्तम माना जाता है। गंगाजल को पूरे घर में, विशेषकर पूजा स्थान और प्रवेश द्वार पर छिड़कना चाहिए। यदि गंगाजल उपलब्ध न हो, तो किसी भी पवित्र नदी का जल या साफ पानी में तुलसी के पत्ते डालकर उसका उपयोग किया जा सकता है। यह जल घर के 'औरा' को एक सुरक्षा कवच प्रदान करता है।

शुद्धिकरण की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए, घर के नवीनीकरण और रखरखाव पर ध्यान देना चाहिए। घर में नया पेंट करवाना न केवल घर को नयापन देता है, बल्कि वास्तु के अनुसार सही रंगों का चयन करके घर की ऊर्जा को वांछित दिशा में मोड़ने में भी मदद करता है। उदाहरण के लिए, हल्के और तटस्थ रंग शांति और स्थिरता लाते हैं, जबकि दक्षिण-पूर्व जैसे क्षेत्रों में हल्के लाल या गुलाबी रंग का उपयोग ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित कर सकता है।

अंत में, नए घर में प्रवेश के लिए उचित मुहूर्त का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। किसी अनुभवी ज्योतिषी या पंडित से सलाह लेकर एक शुभ तिथि और समय निर्धारित करना चाहिए। इस शुभ मुहूर्त में किया गया गृह प्रवेश और हवन (यज्ञ) घर में दैवीय शक्तियों का आह्वान करता है। हवन से उत्पन्न होने वाला पवित्र धुआँ वातावरण को शुद्ध करता है और अग्नि देव के माध्यम से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और सौभाग्य का स्थायी वास होता है।

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, यदि घर में कोई भी वास्तु दोष दिखाई दे, तो उसे यथासंभव और तुरंत ठीक करने की कोशिश करनी चाहिए। चाहे वह उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में कोई शौचालय हो या दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) में प्रवेश द्वार, इन दोषों को बिना देर किए विशेषज्ञ की सलाह से ठीक करना चाहिए। वास्तु दोषों का निवारण यह सुनिश्चित करता है कि घर में रहने वालों को किसी भी प्रकार की बाधा, स्वास्थ्य समस्या या आर्थिक कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।

संक्षेप में, नया घर खरीदना सिर्फ एक लेन-देन नहीं है, बल्कि एक नए, समृद्ध और खुशहाल जीवन की शुरुआत है। पुरानी चीज़ों का त्याग, नमक और कपूर से ऊर्जा शुद्धिकरण, और शुभ मुहूर्त में हवन के साथ गृह प्रवेश—ये सभी कदम मिलकर यह सुनिश्चित करते हैं कि नव-निर्मित या नव-अधिग्रहित निवास वास्तव में सुख और समृद्धि का केंद्र बने। इन शास्त्रीय और वास्तु सम्मत नियमों का पालन करके ही एक सफल और शांतिपूर्ण गृहस्थ जीवन की नींव रखी जा सकती है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-