जबलपुर . भारतीय रेल के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है. देश की आधुनिक रेल तकनीक का प्रतीक बन चुकी वंदे भारत ट्रेन अब एक नए रूप में गति के नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है. वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के दूसरे रेक ने कोटा मंडल में आयोजित ट्रायल रन के दौरान 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार हासिल की. यह उपलब्धि न केवल भारतीय रेलवे की इंजीनियरिंग क्षमता का प्रमाण है, बल्कि आने वाले समय में देश के यात्रियों को तेज़, सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का वादा भी करती है.कोटा मंडल, जो पश्चिम मध्य रेलवे (West Central Railway - WCR) के अधीन आता है, को उच्च गति परीक्षणों के लिए चुना गया क्योंकि यहाँ का ट्रैक स्ट्रक्चर और सिग्नलिंग सिस्टम इस प्रकार की गति के लिए उपयुक्त माना जाता है.
भारतीय रेल के "मिशन रफ्तार" और "मिशन गति शक्ति" के तहत किए जा रहे इस परीक्षण को एक निर्णायक कदम माना जा रहा है. ट्रायल का संचालन रिसर्च डिज़ाइंस एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (RDSO) की टेस्ट डायरेक्टरेट टीम ने किया. यह वही संस्था है जो देश की सभी नई रेल तकनीकों का मूल्यांकन करती है और उन्हें सुरक्षा मानकों पर परखती है.
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का यह दूसरा रेक बीईएमएल (भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड) द्वारा तैयार किया गया है. इसमें चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) की उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. यह ट्रेन विशेष रूप से लंबी दूरी की रात्रिकालीन यात्रा के लिए डिज़ाइन की गई है, ताकि यात्री तेज़ रफ्तार के साथ आरामदायक नींद का अनुभव कर सकें.
जानकारी के अनुसार, इस रेक में नए प्रकार के सस्पेंशन सिस्टम और एयरोडायनेमिक डिज़ाइन का उपयोग किया गया है, जो ट्रेन को उच्च गति पर भी स्थिर बनाए रखता है. परीक्षण के दौरान कोटा मंडल के ट्रैक पर ट्रेन ने न केवल 180 किलोमीटर प्रति घंटे की गति हासिल की बल्कि संतुलन और शोर नियंत्रण के मामले में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया.
रेलवे सूत्रों के अनुसार, यह ट्रायल पूरी तरह सफल रहा और इससे यह साबित हुआ कि भारतीय रेलवे की घरेलू तकनीक अब विश्वस्तरीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम है. बीईएमएल द्वारा निर्मित यह कोच सेट वंदे भारत ट्रेन के मौजूदा चेयर कार संस्करण से उन्नत है. इसमें रात की यात्रा के लिए आरामदायक स्लीपर बेर्थ, नॉइज़ इंसुलेशन, स्मार्ट लाइटिंग और डिजिटल कंट्रोल सिस्टम जैसी आधुनिक सुविधाएँ शामिल हैं.
भारतीय रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि ट्रायल का यह चरण वंदे भारत स्लीपर प्रोजेक्ट की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. आने वाले महीनों में इसके और भी परीक्षण विभिन्न मार्गों पर किए जाएंगे, जिनमें दिल्ली-मुंबई और चेन्नई-बेंगलुरु जैसे कॉरिडोर शामिल हैं. इसके बाद ट्रेन को व्यावसायिक परिचालन के लिए मंजूरी दी जाएगी.
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह ट्रायल भारतीय रेल के लिए गर्व का क्षण है. स्वदेशी तकनीक से बनी इस ट्रेन ने जो प्रदर्शन किया है, वह हमारे आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करता है. हमारा लक्ष्य है कि देश के प्रमुख महानगरों के बीच रात्रिकालीन यात्रा को पहले से अधिक सुविधाजनक और तेज़ बनाया जाए.”
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की कोच संरचना भी अपने आप में अनूठी है. इसमें तीन प्रकार के कोच — AC First Class, AC 2-Tier और AC 3-Tier शामिल होंगे. प्रत्येक कोच में यात्रियों के लिए व्यक्तिगत चार्जिंग पॉइंट, इन्फोटेनमेंट सिस्टम और तापमान नियंत्रण की व्यवस्था की गई है. साथ ही सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक फायर अलार्म सिस्टम, CCTV निगरानी, और ऑटोमैटिक दरवाज़े जैसी सुविधाएँ भी दी गई हैं.
बीईएमएल ने इस ट्रेन के निर्माण में न केवल तकनीकी सुधार किए हैं, बल्कि भारतीय यात्रियों की ज़रूरतों को भी ध्यान में रखा है. डिजाइन ऐसा बनाया गया है कि यह न केवल गति में बेहतर प्रदर्शन करे, बल्कि आराम और सौंदर्य में भी अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा कर सके.
ट्रायल रन के दौरान वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की ब्रेकिंग क्षमता और ट्रैक स्थिरता का भी परीक्षण किया गया. प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेन ने अचानक ब्रेक लगाए जाने पर भी उत्कृष्ट नियंत्रण दिखाया. रेलवे अधिकारियों ने बताया कि ट्रायल के दौरान ट्रेन ने कोटा मंडल के विभिन्न सेक्शनों पर अलग-अलग गति स्तरों पर सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया.
रेल विशेषज्ञों का कहना है कि इस ट्रायल की सफलता भारतीय रेल की महत्वाकांक्षी योजनाओं को और गति देगी. आने वाले वर्षों में देश में कई वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें चलाई जाने की योजना है, जो महानगरों के बीच रातभर की यात्रा को पहले से कहीं अधिक तेज़ और आरामदायक बनाएँगी.
ट्रायल के दौरान मौजूद अधिकारियों के अनुसार, ट्रेन के भीतर वाइब्रेशन स्तर बहुत कम रहा और शोर का स्तर भी पारंपरिक ट्रेनों की तुलना में काफी घटा हुआ था. इससे यह सिद्ध होता है कि ट्रेन का डिजाइन उच्चतम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है.
रेल मंत्रालय के अनुसार, पहला वंदे भारत स्लीपर रेक पहले ही चेन्नई में प्रारंभिक ट्रायल पूरा कर चुका है, जबकि दूसरा रेक अब अपनी गति और सुरक्षा दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है. आने वाले महीनों में यह परियोजना पूरी होने के बाद ट्रेनों का वाणिज्यिक संचालन शुरू किया जाएगा.
रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय रेल का लक्ष्य अगले दो वर्षों में कम से कम 20 वंदे भारत स्लीपर रेक तैयार करने का है, जिन्हें देश के विभिन्न लंबी दूरी के मार्गों पर उतारा जाएगा. इन ट्रेनों के परिचालन से राजधानी, दुरंतो और हमसफर जैसी ट्रेनों की क्षमता पर दबाव कम होगा, और यात्रियों को तेज़ व आरामदायक यात्रा का नया विकल्प मिलेगा.
रेल विश्लेषकों का मानना है कि वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें देश की रेल प्रणाली को “सेमी-हाई स्पीड नेटवर्क” की दिशा में ठोस आधार देंगी. यह न केवल गति का प्रतीक होगी बल्कि भारतीय रेलवे के आत्मनिर्भर तकनीकी विकास की झलक भी दिखाएगी.
बीईएमएल अधिकारियों ने कहा कि इस ट्रेन का अगला चरण परीक्षण उत्तर भारत के विभिन्न सेक्शनों में किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश के विविध भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों में भी यह ट्रेन उतनी ही प्रभावी प्रदर्शन कर सके.
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का यह सफल ट्रायल इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारतीय रेल अब तेज़ी से भविष्य की ओर बढ़ रही है. यह केवल एक ट्रेन नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता, गति और आधुनिकता की कहानी है. आने वाले समय में जब यह ट्रेन नियमित रूप से पटरी पर दौड़ेगी, तो यह न केवल यात्रियों के सफ़र को बदलेगी, बल्कि भारतीय रेल की वैश्विक छवि को भी नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-





