ईडी ने शिखर धवन और सुरेश रैना की ₹11.4 करोड़ की संपत्ति जब्त की, अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी रैकेट में बड़ी कार्रवाई

ईडी ने शिखर धवन और सुरेश रैना की ₹11.4 करोड़ की संपत्ति जब्त की, अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी रैकेट में बड़ी कार्रवाई

प्रेषित समय :21:56:43 PM / Thu, Nov 6th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी रैकेट की जांच के सिलसिले में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय क्रिकेट के दो दिग्गज खिलाड़ियों—सुरेश रैना और शिखर धवन—की संपत्तियां अस्थायी रूप से जब्त कर ली हैं. ईडी ने दोनों पूर्व क्रिकेटरों की कुल ₹11.4 करोड़ की संपत्ति मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत अटैच की है. इनमें रैना के नाम पर ₹6.64 करोड़ के म्यूचुअल फंड निवेश और धवन की ₹4.5 करोड़ मूल्य की अचल संपत्ति शामिल है. एजेंसी का यह कदम अवैध ऑफशोर बेटिंग प्लेटफॉर्म ‘1xBet’ और उसके सरोगेट ब्रांड्स ‘1xBat’ तथा ‘1xBat Sporting Lines’ की जांच के हिस्से के रूप में उठाया गया है, जो भारत में गैरकानूनी ऑनलाइन सट्टेबाजी के संचालन में कथित रूप से शामिल थे.

ईडी के अधिकारियों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि रैना और धवन ने विदेशी कंपनियों के साथ विज्ञापन और प्रचार के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए थे, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 1xBet समूह से जुड़े हुए थे. जांच एजेंसी का कहना है कि इन सौदों के भुगतान विदेशों से बहु-स्तरीय चैनलों के जरिये किए गए ताकि धन के अवैध स्रोत को छिपाया जा सके. यह रकम अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी से अर्जित मुनाफे से जुड़ी हुई बताई जा रही है.

सूत्रों के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय ने इस कार्रवाई से पहले दोनों खिलाड़ियों से विस्तृत पूछताछ की थी. रैना को 13 अगस्त को और धवन को 4 सितंबर को तलब किया गया था, जहाँ उनसे लगभग आठ घंटे तक पूछताछ चली. दोनों से पूछे गए सवाल मुख्यतः उनके अनुबंधों, भुगतान प्राप्ति के माध्यमों, और प्रचार सामग्री के प्रसार को लेकर थे. एजेंसी को शक है कि खिलाड़ियों को मालूम था कि जिन कंपनियों का वे प्रचार कर रहे हैं, वे भारत में प्रतिबंधित हैं.

जांच के दायरे में अब केवल रैना और धवन ही नहीं, बल्कि अन्य नामचीन चेहरे भी हैं. ईडी ने पहले ही पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह और रॉबिन उथप्पा के बयान दर्ज किए हैं. इसके अलावा अभिनेता सोनू सूद, उर्वशी रौतेला, मिमी चक्रवर्ती (पूर्व तृणमूल सांसद) और अभिनेता अंकुश हजरा से भी पूछताछ की जा चुकी है. एजेंसी का मानना है कि इन सेलिब्रिटीज़ ने अपने सोशल मीडिया और विज्ञापन अभियानों के माध्यम से प्रतिबंधित बेटिंग ऐप्स को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दिया, जिससे लोगों को इन प्लेटफॉर्म्स के वैध होने का भ्रम हुआ.

ईडी की जांच से यह भी खुलासा हुआ है कि 1xBet ने भारत में प्रतिबंधित होने के बावजूद अपने विज्ञापनों को सरोगेट ब्रांड्स के जरिये जारी रखा. ये ब्रांड सोशल मीडिया, यूट्यूब चैनल्स और प्रिंट माध्यमों के जरिए भारतीय दर्शकों को निशाना बनाते थे. एजेंसी के अनुसार, कंपनी ने भारत में भुगतान स्वीकार करने और प्रचार सामग्री तैयार करने के लिए फर्जी कंपनियों का नेटवर्क बनाया था. धन शोधन के लिए विदेशी एजेंसियों और पेमेंट गेटवे का इस्तेमाल किया गया.

ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह नेटवर्क बेहद संगठित तरीके से काम करता था. जांच में अब तक 6,000 से अधिक ‘म्यूल अकाउंट्स’ की पहचान की गई है, जिनका इस्तेमाल भारतीय यूज़र्स से धन एकत्र करने में किया गया. इन खातों के माध्यम से एकत्र की गई रकम को विभिन्न पेमेंट गेटवे और विदेशी खातों के जरिये आगे बढ़ाया गया ताकि वास्तविक स्रोत छिपाया जा सके. कई गेटवे व्यापारियों को बिना केवाईसी सत्यापन के ऑनबोर्ड किया गया था, जबकि उनके घोषित कारोबारी उद्देश्यों का वास्तविक लेन-देन से कोई मेल नहीं था. यह पैटर्न मनी लॉन्ड्रिंग के संकेत देता है, जिसका मूल्य ₹1,000 करोड़ से अधिक बताया जा रहा है.

जांच में यह भी सामने आया कि 1xBet और उसके सहयोगी प्लेटफॉर्म भारत में अपने संचालन को वैध दिखाने के लिए सेलिब्रिटी एंडोर्समेंट का सहारा ले रहे थे. खिलाड़ियों और अभिनेताओं के प्रचार से कंपनी को सोशल मीडिया पर विश्वसनीयता मिल रही थी. ईडी का कहना है कि अधिकांश एंडोर्समेंट डील विदेशी मुद्रा में हुईं और भुगतान दुबई तथा साइप्रस स्थित कंपनियों के माध्यम से किया गया. इन भुगतान चैनलों का इस्तेमाल फंड की वास्तविक उत्पत्ति को छिपाने के लिए किया गया था.

जांच के दौरान एजेंसी ने गूगल और मेटा (फेसबुक) जैसी प्रमुख डिजिटल कंपनियों के प्रतिनिधियों से भी पूछताछ की है, क्योंकि इन प्लेटफॉर्म्स पर 1xBet और उसके सहयोगी ब्रांड्स के विज्ञापन व्यापक रूप से प्रसारित किए गए थे. अधिकारियों ने बताया कि इन विज्ञापनों में कई बार “गेमिंग” या “स्पोर्ट्स न्यूज़” के नाम पर सट्टेबाजी लिंक छिपाए गए थे. इन विज्ञापनों से संबंधित एल्गोरिद्म मैनिपुलेशन की भी जांच की जा रही है, जिसके तहत यूज़र्स को सट्टेबाजी साइटों तक आकर्षित करने के लिए भ्रामक सामग्री का उपयोग किया गया.

इस व्यापक कार्रवाई के तहत ईडी ने अब तक 60 से अधिक बैंक खातों को फ्रीज़ किया है, जो इन पेमेंट गेटवे से जुड़े पाए गए. इसके साथ ही ₹4 करोड़ से अधिक की संपत्ति भी जब्त की जा चुकी है. एजेंसी का कहना है कि जब्त संपत्तियों में डिजिटल वॉलेट, क्रिप्टोकरेंसी और नकद लेन-देन से जुड़ी डिजिटल ट्रेल्स शामिल हैं. ईडी का दावा है कि उसके पास पर्याप्त सबूत हैं जो दिखाते हैं कि भारतीय खिलाड़ियों और अन्य प्रचारकों ने जानबूझकर प्रतिबंधित प्लेटफॉर्म्स के साथ अनुबंध किए और इसके एवज में विदेशी भुगतान प्राप्त किए.

इस बीच, क्रिकेट जगत में ईडी की इस कार्रवाई ने हलचल मचा दी है. खेल जगत के कई दिग्गजों का कहना है कि खिलाड़ियों को ऐसे अनुबंधों में सावधानी बरतनी चाहिए थी, खासकर तब जब भारत में ऑनलाइन सट्टेबाजी प्रतिबंधित है. वहीं, कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह साबित हो गया कि खिलाड़ियों को कंपनी के गैरकानूनी होने की जानकारी थी, तो उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है.

अधिकारियों का कहना है कि यह केवल शुरुआत है. एजेंसी ने संकेत दिए हैं कि आने वाले हफ्तों में और भी बड़े नाम इस जांच के दायरे में आ सकते हैं. बताया जा रहा है कि ईडी ने 1xBet नेटवर्क के कई भारतीय एजेंटों की पहचान की है, जिन्होंने करोड़ों रुपये का लेन-देन सुगम किया. इन एजेंटों के ठिकानों पर हाल में की गई छापेमारी के दौरान कई डिजिटल उपकरण, बैंक स्टेटमेंट्स और एन्क्रिप्टेड दस्तावेज़ बरामद हुए हैं.

ईडी के अनुसार, इस मामले का मकसद केवल अवैध सट्टेबाजी को उजागर करना नहीं, बल्कि उस संगठित तंत्र को तोड़ना है जो विदेशी प्लेटफॉर्म्स को भारत में काम करने की सुविधा देता है. जांच एजेंसी का कहना है कि जब तक इन नेटवर्क्स के माध्यमों को खत्म नहीं किया जाता, तब तक ऐसे रैकेट पनपते रहेंगे.

7 नवंबर 2025 की शाम को ईडी की इस कार्रवाई के बाद यह साफ हो गया है कि भारत में सट्टेबाजी को लेकर कानून के शिकंजे को और कसने की तैयारी है. एजेंसी ने संकेत दिए हैं कि जिन लोगों ने अवैध प्लेटफॉर्म्स को प्रचारित या लाभान्वित किया है, वे चाहे कितने भी बड़े नाम क्यों न हों, जांच से नहीं बच पाएंगे. प्रवर्तन निदेशालय का यह कदम न केवल खेल जगत के लिए चेतावनी है, बल्कि डिजिटल विज्ञापन और मनोरंजन उद्योग के लिए भी एक सबक बन सकता है कि लोकप्रियता के बदले कानून से खिलवाड़ की कोई गुंजाइश नहीं है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-