पलवल. दिल्ली के लाल किले के पास हुए भीषण धमाके के बाद पूरे देश में जहां सुरक्षा एजेंसियां चौकसी बढ़ा रही हैं, वहीं बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने हरियाणा में जारी अपनी ‘सनातन एकता पदयात्रा’ के दौरान कहा कि अगर हिंदू एक नहीं हुए, तो परिणाम भयावह होंगे. “आठ नहीं, अस्सी हजार मरेंगे,”— यह वाक्य उनके भाषण का सबसे तीखा और चर्चित हिस्सा बना, जो बुधवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
धीरेंद्र शास्त्री बुधवार को हरियाणा के पलवल जिले के तूमसरा गांव से शुरू हुई ‘सनातन एकता पदयात्रा’ के छठे दिन जुलूस की अगुवाई कर रहे थे. उन्होंने कहा, “अगर हिंदू एकजुट हो जाएं, तो इस तरह के धमाके दोबारा नहीं होंगे. हर बार एक ही समुदाय का नाम क्यों सामने आता है? जब तक हिंदू एक नहीं होंगे, तब तक स्थिति और खराब होती जाएगी.” उनके इस वक्तव्य को सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे, जिनमें कई लोग ट्रकों और पेड़ों पर चढ़कर फूल बरसाते दिखाई दिए.
‘सनातन एकता पदयात्रा’ 7 नवंबर से आरंभ हुई है और यह दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से होकर 16 नवंबर तक चलेगी. इस यात्रा में अनेक संत, साधु और धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं. हर पड़ाव पर धीरेंद्र शास्त्री का स्वागत पारंपरिक तरीकों से किया जा रहा है. बुधवार को भी उनके स्वागत में युवकों ने फूल बरसाए और शास्त्री ने स्वयं ढोल बजाकर वातावरण को भक्ति से भर दिया.
हाल ही में दिल्ली में हुए धमाके ने पूरे देश को झकझोर दिया है. 10 नवंबर की शाम करीब 6 बजकर 52 मिनट पर लाल किले के समीप एक धीमी गति से चल रही कार ट्रैफिक सिग्नल पर रुकी और अचानक जोरदार धमाके के साथ फट गई. इस घटना में 12 लोगों की मौत और कई के घायल होने की खबर है. पुलिस और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) संयुक्त रूप से जांच कर रही हैं. सीसीटीवी फुटेज में धमाके का सटीक पल दर्ज हुआ है, जिसने जांच को नई दिशा दी है.
इस घटना के बाद देश के कई प्रमुख शहरों में सुरक्षा अलर्ट जारी किया गया है. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के साथ ही हरियाणा में भी सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हैं. ‘सनातन एकता पदयात्रा’ की सुरक्षा के लिए हरियाणा पुलिस की पांच अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई हैं. प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यात्रा पूरी तरह शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराई जाएगी और किसी भी तरह के भड़काऊ नारे या गतिविधि पर नजर रखी जा रही है.
धीरेंद्र शास्त्री के बयान ने राजनीतिक और सामाजिक दोनों हलकों में बहस छेड़ दी है. उनके समर्थक इसे “हिंदू एकता की पुकार” बता रहे हैं, जबकि विरोधियों का कहना है कि इस तरह की टिप्पणियाँ तनाव को बढ़ा सकती हैं. सोशल मीडिया पर शास्त्री के भाषण के वीडियो को लाखों लोगों ने देखा और इस पर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ आईं. कुछ ने इसे धार्मिक जागरूकता का आह्वान कहा, तो कुछ ने इसे असंवेदनशील वक्तव्य बताया, खासकर उस समय जब धमाके में कई निर्दोष लोगों की जान गई है.
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि सनातन धर्म को कमजोर करने की कोशिशें लगातार हो रही हैं और अब समय आ गया है कि समाज एक स्वर में इसका प्रतिकार करे. उन्होंने कहा, “यह धर्म किसी के विरोध में नहीं, बल्कि सभी के कल्याण के लिए है. लेकिन जब कोई हमारे अस्तित्व पर प्रहार करेगा, तब मौन रहना भी अधर्म होगा.”
पदयात्रा में मौजूद लोगों ने उनके इस वक्तव्य पर जयघोष किया और “सनातन धर्म अमर रहे” के नारे लगाए. वहीं प्रशासन ने यात्रा के मार्ग में सुरक्षा जांच बढ़ा दी है और सभी वाहनों की सघन तलाशी ली जा रही है.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि लाल किले के धमाके के बाद शास्त्री का यह बयान उस माहौल में आया है जब देशभर में धार्मिक असुरक्षा और सामाजिक एकता पर गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं. ऐसे समय में संतों और धार्मिक नेताओं के शब्द समाज पर गहरा प्रभाव डालते हैं. कई पर्यवेक्षकों ने यह भी कहा कि यह पदयात्रा केवल धार्मिक अभियान नहीं, बल्कि एक सामाजिक और वैचारिक आंदोलन का रूप लेती जा रही है.
लाल किले के धमाके को लेकर दिल्ली पुलिस ने शुरुआती जांच में पाया है कि विस्फोटक सामग्री कार की डिक्की में रखी गई थी. विशेषज्ञों के अनुसार, यह एक उच्च क्षमता वाला विस्फोट था जिसने पास की इमारतों की खिड़कियों के शीशे तक तोड़ दिए. मृतकों में दो बच्चे और एक महिला भी शामिल हैं. फिलहाल एनआईए ने संदिग्धों की तलाश तेज कर दी है और दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर अतिरिक्त नाकेबंदी की गई है.
इस घटना के बाद देशभर में धार्मिक आयोजनों और सार्वजनिक सभाओं की सुरक्षा पर भी पुनर्विचार किया जा रहा है. गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि किसी भी बड़े धार्मिक या सामाजिक आयोजन के दौरान पर्याप्त बल और इंटेलिजेंस व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.
धीरेंद्र शास्त्री की पदयात्रा अब उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करने वाली है, जहाँ उनके स्वागत की व्यापक तैयारियां चल रही हैं. यात्रा के आयोजकों का कहना है कि इसका उद्देश्य केवल धर्म नहीं, बल्कि समाज में एकता, करुणा और आत्मबल का संदेश देना है.
कुल मिलाकर, लाल किले के धमाके के बाद देश में बढ़े तनाव और धार्मिक चिंता के बीच धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की ‘सनातन एकता पदयात्रा’ ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. एक ओर यह यात्रा समाज को जोड़ने की पहल मानी जा रही है, वहीं दूसरी ओर उनके तीखे शब्दों ने यह संकेत भी दे दिया है कि धर्म और राजनीति के बीच की रेखा आज पहले से कहीं अधिक धुंधली होती जा रही है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

