गुवाहाटी।
दिल्ली में हुए कार धमाके के बाद असम पुलिस ने सोशल मीडिया पर संदिग्ध पोस्ट और टिप्पणियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। पिछले दो दिनों में राज्य के 10 जिलों से 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई उसी तरह की मानी जा रही है जैसी अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद की गई थी, जब राज्यभर में पुलिस ने सोशल मीडिया पर आतंकवाद समर्थक टिप्पणियों के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया था।
असम पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स — फेसबुक, एक्स (ट्विटर), और इंस्टाग्राम — पर ऐसी टिप्पणियाँ और पोस्ट की थीं, जो “आतंकवादियों के समर्थन” या “राष्ट्रीय एकता के खिलाफ” मानी गईं। पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किए हैं, जिनमें राजद्रोह, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने से जुड़ी धाराएँ शामिल हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को गुवाहाटी में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी तरह की “डिजिटल देशविरोधी गतिविधि” को बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा, “दिल्ली धमाके में निर्दोष लोग घायल हुए हैं। ऐसे समय में अगर कोई सोशल मीडिया पर आतंकवाद का समर्थन करता है या देश विरोधी टिप्पणियाँ करता है, तो यह केवल गैरकानूनी नहीं बल्कि नैतिक रूप से भी निंदनीय है। असम सरकार ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करेगी।”
मुख्यमंत्री ने पुलिस विभाग को आदेश दिया है कि वे राज्यभर में सोशल मीडिया की निगरानी प्रणाली को और मजबूत करें और साइबर सेल के माध्यम से संदिग्ध अकाउंट्स की पहचान करें। उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्रवाई का मकसद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना नहीं, बल्कि “राष्ट्र की सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द” को बनाए रखना है।
सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार व्यक्तियों में कुछ छात्र, स्थानीय व्यवसायी और राजनीतिक रूप से सक्रिय लोग शामिल हैं। कुछ ने धमाके से जुड़ी भ्रामक सूचनाएँ फैलाने, तो कुछ ने आतंकी संगठनों की प्रशंसा करने जैसे पोस्ट किए थे। पुलिस ने बताया कि इन लोगों के मोबाइल फोन, लैपटॉप और ऑनलाइन संचार रिकॉर्ड जब्त कर लिए गए हैं।
गुवाहाटी, नागांव, बरपेटा, डिब्रूगढ़, करीमगंज और कछार जिले उन क्षेत्रों में हैं जहां सबसे अधिक गिरफ्तारियाँ हुई हैं। कई अन्य जिलों में भी संदिग्ध पोस्ट करने वालों की पहचान की जा रही है और आने वाले दिनों में गिरफ्तारी की संभावना जताई जा रही है।
असम पुलिस के डीजीपी जी. पी. सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया निगरानी अब एक साइबर इंटेलिजेंस मिशन का हिस्सा बन चुकी है। उन्होंने कहा, “यह केवल कानून व्यवस्था का मामला नहीं, बल्कि साइबर सुरक्षा का भी विषय है। हम डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर नफरत फैलाने या आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले किसी भी व्यक्ति को नहीं छोड़ेंगे।”
विशेषज्ञों के अनुसार, यह कार्रवाई एक संकेत है कि सरकारें अब ऑनलाइन स्पेस को भी राष्ट्रीय सुरक्षा के दायरे में गंभीरता से ले रही हैं। असम जैसे राज्यों में, जहां सीमावर्ती इलाकों से कट्टरपंथी प्रभाव की संभावना रहती है, वहां ऐसी निगरानी को आवश्यक माना जा रहा है।
हालांकि, कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और डिजिटल अधिकार समूहों ने इस कार्रवाई पर चिंता भी जताई है। उनका कहना है कि पुलिस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और घृणास्पद भाषण के बीच की रेखा को सावधानी से परिभाषित करना चाहिए। डिजिटल ह्यूमन राइट्स फोरम की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल असम में ऑनलाइन अभिव्यक्ति से जुड़े 127 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से कई मामलों में आरोपियों को बाद में रिहा कर दिया गया था।
फिलहाल पुलिस यह सुनिश्चित करने में लगी है कि दिल्ली धमाके को लेकर किसी तरह की गलत सूचना या सांप्रदायिक अफवाहें सोशल मीडिया पर न फैलें। राज्य के साइबर क्राइम विभाग ने फेसबुक और एक्स के अधिकारियों से संपर्क साधा है ताकि संदिग्ध खातों को जल्द से जल्द निलंबित किया जा सके।
राज्य सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी तरह की अफवाह या भड़काऊ सामग्री साझा न करें। मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, “देश कठिन समय से गुजर रहा है। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई केवल हथियारों से नहीं, बल्कि जिम्मेदार व्यवहार और एकता की भावना से भी लड़ी जाती है।”
यह पहली बार नहीं है जब असम पुलिस ने इस तरह की सख्त कार्रवाई की हो। इससे पहले, अप्रैल 2025 में पहलगाम हमले के बाद, राज्य में करीब 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया था जिन्होंने सोशल मीडिया पर आतंकवादियों के समर्थन में बयान दिए थे। उस वक्त भी सरकार ने कहा था कि “डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नफरत और हिंसा फैलाना एक तरह का साइबर अपराध है।”
असम में लगातार बढ़ती डिजिटल निगरानी और पुलिस की सक्रियता यह संकेत देती है कि आने वाले समय में ऑनलाइन जवाबदेही और भी सख्त होने जा रही है। फिलहाल, 15 गिरफ्तार व्यक्तियों से पूछताछ जारी है, और पुलिस का कहना है कि अगर आगे कोई और नाम सामने आते हैं, तो और भी गिरफ्तारी की जाएगी।
राज्य में सुरक्षा एजेंसियों ने दिल्ली धमाके के मद्देनज़र सतर्कता बढ़ा दी है और सीमावर्ती जिलों में चौकसी को भी सख्त कर दिया गया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यक्ति “आतंकवाद के प्रति सहानुभूति दिखाने” की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आज़ादी और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच की सीमा रेखा कहां खींची जाए। लेकिन फिलहाल, असम सरकार का संदेश साफ है — “राष्ट्रविरोधी विचारों को डिजिटल दुनिया में भी जगह नहीं दी जाएगी।”
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

