क्रेशर बस्ती में अंधेरा होते ही पत्थरों की बारिश से दहशत बढ़ी, लोग सुरक्षा को लेकर परेशान

क्रेशर बस्ती में अंधेरा होते ही पत्थरों की बारिश से दहशत बढ़ी, लोग सुरक्षा को लेकर परेशान

प्रेषित समय :20:25:05 PM / Tue, Nov 18th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. तिलवारा थाना क्षेत्र स्थित क्रेशर बस्ती इन दिनों एक ऐसी विचित्र और भयावह स्थिति का सामना कर रही है, जिसने यहां के सैकड़ों लोगों की रातों की नींद छीन ली है. जैसे ही सूरज ढलता है और अंधेरा फैलने लगता है, बस्ती में पत्थरों की बरसात शुरू हो जाती है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई सामान्य शरारत नहीं है, बल्कि बड़े-बड़े पत्थर उनके घरों की छतों, आंगनों और दरवाजों पर गिराए जा रहे हैं. इस पत्थरबाजी ने बस्ती में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है. लोग शाम ढलते ही घरों के दरवाजे बंद कर भीतर दुबक जाते हैं, लेकिन फिर भी यह अनदेखा खतरा उन्हें चैन से सोने नहीं देता.

क्रेशर बस्ती के निवासियों का कहना है कि बीते कई दिनों से यह सिलसिला लगातार जारी है. बस्ती के लोगों ने बताया कि जैसे ही रात का सन्नाटा बढ़ता है, अचानक तेज धमाकों की आवाजें आने लगती हैं. पहले उन्हें लगा कि कोई शरारती तत्व बच्चों की तरह मजाक कर रहा है, पर धीरे-धीरे वास्तविकता सामने आई कि पत्थर किसी ऊंचाई से फेंके जा रहे हैं. ये कोई छोटे कंकड़-पत्थर नहीं होते, बल्कि इतने बड़े होते हैं कि चाहें तो किसी की जान भी ले सकते हैं. कई घरों की टीन की छतें फट चुकी हैं, कुछ दीवारों में दरारें तक आ गई हैं, और बच्चों तथा बुजुर्गों में भय का वातावरण व्याप्त है.

बस्तीवासियों ने डर के माहौल का वर्णन करते हुए बताया कि शाम होते ही पूरा इलाका वीरान-सा हो जाता है. लोग बाहर निकलने से बचते हैं. बच्चों को घर से बाहर खेलने नहीं दिया जाता. कई परिवारों ने घरों में अतिरिक्त प्लाईवुड, पुरानी टिन शीट और ईंटें लगाकर सुरक्षा के इंतजाम भी किए हैं, पर पत्थरों की तेज आवाजें उनकी सुरक्षा का भ्रम तोड़ देती हैं. यह डर इतना बढ़ गया है कि स्थानीय महिलाओं ने रात के समय बाहर पानी भरने तक से परहेज शुरू कर दिया है.

स्थानीय निवासियों का यह भी कहना है कि पत्थरबाजी किसी एक दिशा से नहीं होती. कभी उत्तर दिशा से, कभी जंगल की तरफ से, तो कभी ऊँचाई के टेढ़े-मेढ़े रास्तों से पत्थर आते दिखाई देते हैं. इससे लोगों में संदेह है कि यह काम कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरी योजना के तहत किया जा रहा है. हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि यह किसी शरारती समूह की करतूत हो सकती है, लेकिन इतने बड़े पत्थरों को लगातार कई रातों तक फेंकना सामान्य शरारत नहीं लगती. उनके अनुसार या तो किसी को बस्ती को खाली करवाना है या इलाके में दहशत फैलाकर कोई दबाव बनाना चाहता है. कई लोगों ने ऐसे पत्थर जुटाए हैं जो किसी क्रेशर प्लांट से ही निकले प्रतीत हो रहे हैं.

बस्ती वालों ने बताया कि उन्होंने अपनी ओर से कई रातों को निगरानी का प्रयास भी किया है. कुछ युवकों ने टॉर्च लेकर अंधेरे में दौड़कर भी देखा, लेकिन हर बार पत्थर फेंकने वाला भाग निकलता है या दिखाई ही नहीं देता. चारों तरफ पेड़-पौधे, ऊबड़-खाबड़ रास्ते और क्रेशर के पास की ऊंची ज़मीनें—ये सभी क्षेत्र रात में अंधकार में डूब जाते हैं, जिससे किसी को पहचानना मुश्किल हो जाता है. कई बार ऐसा लगा कि पत्थर किसी मशीनरी से फेंके जा रहे हैं, क्योंकि उनकी आवाज़ और गति मानव क्षमता से ज्यादा लगती है.

बस्ती की महिलाओं ने बताया कि बच्चे घबराकर रात में जाग-जागकर रोते हैं. डर के कारण कई परिवारों ने अपने घरों के बाहर बल्ब और लाइट लगाने शुरू कर दिए हैं, ताकि शायद रोशनी देखकर पत्थर फेंकने वाले पीछे हट जाएं, लेकिन असर सीमित रहा है. पत्थरबाजी कभी अचानक रुक जाती है और फिर कुछ देर बाद शुरू हो जाती है. इस कारण पूरी रात बस्ती बेचैनी में गुजरती है.

क्रेशर बस्ती के कुछ बुजुर्ग बताते हैं कि पहले इस तरह की घटनाएँ कभी नहीं हुईं. यह इलाका सामान्यतः शांत था. मजदूरी और काम-धंधे से लौटने वाले लोग आराम से परिवार के साथ समय बिताते थे. पर पिछले कुछ दिनों से भय इतना बढ़ गया है कि महिलाएँ बच्चों के साथ एक कमरे में इकट्ठे होकर सोती हैं. कई लोगों ने अपने घरों पर ताले भी बदलवाए हैं और कुछ परिवार रिश्तेदारों के यहाँ जाकर रुक रहे हैं.

स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्होंने इसकी शिकायत तिलवारा थाना पुलिस को भी की है. पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और पत्थरों के नमूने भी देखे. हालांकि पुलिस ने लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिया है, लेकिन बस्तीवासी चाहते हैं कि रात में गश्त बढ़ाई जाए और पहाड़ी क्षेत्र में विशेष निगरानी की जाए. लोगों का कहना है कि यदि पुलिस चाह ले तो ड्रोन कैमरे या रात में थर्मल विजन से निगरानी कर इस रहस्य का समाधान किया जा सकता है. फिलहाल पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है और पत्थरबाजी के पीछे की वजह जानने का प्रयास किया जा रहा है.

क्रेशर बस्ती में रहने वाले युवकों ने एक दिलचस्प तथ्य यह भी साझा किया कि पत्थर फेंके जाने का समय लगभग हर दिन एक जैसा होता है, जो रात के 8 से 11 बजे के बीच का है. इससे उन्हें संदेह है कि पत्थर फेंकने वाला किसी नजदीक के क्षेत्र में छुपा रहता है और बस्ती की गतिविधियों पर नजर रखता है. ऐसा लग रहा है कि वह व्यक्ति या समूह बस्ती में डर बनाए रखने के लिए विशेष समय चुनता है.

जबलपुर के सामाजिक संगठनों ने भी इस मामले पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि अगर कोई समूह लोगों में भय फैलाकर किसी तरह की जमीन विवाद या कारोबारी लाभ लेना चाहता है, तो प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए. वहीं कुछ संगठनों का मानना है कि यह किसी अंधविश्वास या मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्ति की हरकत भी हो सकती है, जिसे जल्द पकड़ा जाना आवश्यक है.

कुल मिलाकर क्रेशर बस्ती अब शांत नहीं है. आसमान से बरसते पत्थरों ने लोगों के दिलों में रात का सन्नाटा और गहरा दिया है. जिला प्रशासन और पुलिस पर अब बड़ी जिम्मेदारी है कि इस पत्थरबाज का पता जल्दी लगाए, ताकि बस्ती में फिर से सामान्य जीवन लौट सके. फिलहाल बस्तीवासी रात के अंधेरे में बस एक ही सवाल पूछते हैं—आखिर कौन है जो उनकी शांति पर पत्थरों की मार कर रहा है, और कब इसका अंत होगा?

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-