नितीश बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में दसवीं बार शपथ को तैयार, गांधी मैदान में समारोह से पहले उपमुख्यमंत्रियों और एनडीए मंत्रियों पर सबकी नजरें

नितीश बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में दसवीं बार शपथ को तैयार, गांधी मैदान में समारोह से पहले उपमुख्यमंत्रियों और एनडीए मंत्रियों पर सबकी नजरें

प्रेषित समय :22:29:54 PM / Wed, Nov 19th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पटना. बिहार की राजनीति में एक बार फिर इतिहास दोहराने वाला है। जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे नितीश कुमार गुरुवार को अपने दसवें कार्यकाल की शपथ लेंगे। गांधी मैदान में होने वाले इस भव्य समारोह से पहले पूरे राज्य में सियासी सरगर्मी चरम पर है। बुधवार शाम नितीश कुमार ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात की और अगली एनडीए सरकार बनाने का दावा पेश किया। इसके साथ ही उन्होंने मौजूदा कार्यकाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा सौंप दिया, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया और उन्हें नए मंत्रिमंडल के गठन तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने का निर्देश दिया।

नितीश एक बार फिर भारी जनादेश के साथ सत्ता में लौट रहे हैं। NDA गठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज की है और जेडीयू ने 243 सदस्यीय विधानसभा में 85 सीटें हासिल कर अपनी स्थिति मजबूत की है। चुनाव परिणामों के बाद से ही यह साफ हो गया था कि राज्य में सत्ता का नेतृत्व नितीश ही करेंगे। गुरुवार सुबह 11 बजे गांधी मैदान में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कई केंद्रीय मंत्रियों और विभिन्न एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के शामिल होने की संभावना है। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गांधी मैदान और उसके आसपास के इलाकों में कड़े इंतज़ाम किए गए हैं।

गुरुवार का समारोह कई मायनों में ऐतिहासिक होगा। गांधी मैदान, जिसे पहले बैकीपुर मैदान के नाम से जाना जाता था और महात्मा गांधी की हत्या के बाद इसका नाम बदला गया था, आज़ादी के बाद से कई महत्वपूर्ण आंदोलनों और शपथ समारोहों का गवाह रहा है। 1947 में आज़ादी के जश्न से लेकर 1970 के दशक के जेपी आंदोलन तक, इस मैदान ने बिहार की राजनीतिक संस्कृति को आकार दिया है। नितीश कुमार भी इससे पहले कई बार यहीं शपथ ले चुके हैं; 2005 के बाद से चार में से तीन बार शपथ ग्रहण इसी मैदान में आयोजित किए गए।

अब जबकि 18वीं विधानसभा का गठन होना है, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस बार मंत्रिमंडल में कौन-कौन शामिल होगा, कौन से वरिष्ठ चेहरों को जिम्मेदारी मिलेगी, और सबसे अहम—कितने उपमुख्यमंत्री बनाए जाएंगे। पिछली सरकार में दो उपमुख्यमंत्री—सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा—कार्यरत थे, जबकि महागठबंधन सरकार में तेजस्वी यादव अकेले डिप्टी CM थे। अब जब दोनों ही मौजूदा एनडीए गठबंधन में फिर से विजयी होकर लौटे हैं, यह सवाल बरकरार है कि क्या नितीश इस परंपरा को जारी रखेंगे या इस बार केवल एक उपमुख्यमंत्री नियुक्त करेंगे।

कैबिनेट गठन को लेकर भी काफी हलचल है। अधिकतम 36 मंत्रियों वाले बिहार मंत्रिमंडल में कई नए चेहरों को जगह मिलने की उम्मीद है। जेडीयू और बीजेपी दोनों ही गृह मंत्रालय पर दावा ठोंक रहे हैं, जो पारंपरिक रूप से जेडीयू के पास रहा है। शिक्षा विभाग भी इस बार विवाद का विषय बना हुआ है। दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई लगभग तीन घंटे की बैठक में इन मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई, जिसमें दोनों दलों के वरिष्ठ नेता मौजूद थे। माना जा रहा है कि शीर्ष मंत्रालयों के लिए अभी भी अंतिम सहमति बनना बाकी है।

इस बीच, नई सरकार में दलित, पिछड़े वर्ग और महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर भी चर्चाएं जोरों पर हैं। NDA गठबंधन की ओर से यह संकेत दिया गया है कि इस बार मंत्रिमंडल अधिक समावेशी होगा और विभिन्न क्षेत्रों तथा समुदायों से आने वाले नेताओं को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार नितीश कुमार अपने अनुभव और प्रशासनिक समझ का उपयोग करते हुए एक संतुलित टीम तैयार करना चाहेंगे, ताकि सरकार सुचारू रूप से चले और चुनावी वादों को पूरा करने में कोई बाधा न आए।

नितीश ने बुधवार को इस्तीफा देने के बाद पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत में कहा कि “जनता का विश्वास हमें एक बार फिर मिला है और हम बिहार के विकास को नई गति देंगे।” हालांकि उन्होंने उपमुख्यमंत्री और मंत्रियों के नामों पर कोई टिप्पणी नहीं की। दूसरी ओर बीजेपी में भी सियासी गतिविधियां तेज़ हैं, क्योंकि पार्टी इस बार अपने लिए अधिक बड़ी और प्रभावी हिस्सेदारी की उम्मीद कर रही है।

गुरुवार का समारोह सिर्फ राजनीतिक घटनाक्रम नहीं, बल्कि बिहार के बदलते राजनीतिक संतुलन और नितीश कुमार की सियासी मजबूती का प्रतीक माना जा रहा है। एक ऐसा नेता, जिसने पिछले दो दशकों में कई गठबंधनों के उतार-चढ़ाव देखे, राजनीतिक समीकरणों को नए सिरे से गढ़ा, और हर बार नई परिस्थितियों में सत्ता को संभाला। अब दसवीं बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे नितीश के सामने जनादेश की बड़ी उम्मीदें हैं—रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने जैसी चुनौतियां उनके नए कार्यकाल में बड़ा मुद्दा होंगी।

बिहार में सरकार गठन की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। तमाम अटकलों, बैठकों और चर्चाओं के बीच अब नजरें केवल गांधी मैदान पर टिक गई हैं, जहां गुरुवार सुबह एक और ऐतिहासिक शपथ ग्रहण का साक्षी बनने के लिए पूरा राजनीतिक तंत्र और जनता की उम्मीदें एकजुट होंगी।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-