वेटरन अभिनेता धर्मेंद्र के 90वें जन्मदिन के मौके पर देओल परिवार की एक पुरानी और बेहद दिलचस्प कहानी एक बार फिर से चर्चा में है. यह वह कहानी है जिसने न सिर्फ बॉबी देओल और तान्या देओल के रिश्ते की शुरुआत को आकार दिया, बल्कि पाठकों को देओल परिवार की उस चमक से भी परिचित कराया जिसे आमतौर पर पर्दे के पीछे रखा जाता है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रही यह कहानी एक पुराने इंटरव्यू पर आधारित है, जिसमें तान्या ने अपनी ससुराल से जुड़े शुरुआती अनुभवों, खासकर धर्मेंद्र से अपने पहले आमने-सामने के क्षण को साझा किया है.
कि कहानी की शुरुआत साधारण-सी शाम से होती है, मुंबई के मशहूर रेस्टोरेंट "ट्रेटोरिया" से, जहां तान्या अपने भाई और दोस्तों के साथ डिनर के लिए गई थीं. उसी रेस्टोरेंट में बॉबी अपनी मंडली के साथ मौजूद थे. तान्या बताती हैं कि उन्हें उस वक्त यह अंदाज़ा भी नहीं था कि वहीं खड़े एक शख्स के साथ उनकी जिंदगी का इतना बड़ा मोड़ जुड़ने वाला है. बॉबी ने तान्या को पहली बार वहीं देखा, लेकिन उस वक्त तान्या ने उनसे बातचीत नहीं की. उन्होंने कहा, “मैंने उन्हें देखा जरूर था लेकिन ‘हैलो’ कहना जरूरी नहीं लगा. मैं उन्हें जानती नहीं थी, इसलिए ध्यान नहीं दिया.” जिस मुलाकात को तान्या एक सामान्य शाम का हिस्सा मानकर भूल गईं, वही पल बॉबी के दिल में कहीं दर्ज हो चुका था.
कुछ दिनों बाद किस्मत ने दोनों को फिर मिलवाया, इस बार एक ग्लैमरस मौके पर — चंकी पांडे की दीवाली पार्टी में. पार्टी का माहौल खुशनुमा था, रोशनी और हंसी की चमक में हर चेहरा दमक रहा था. इसी बीच बॉबी वहीं पहुंच गए जहां तान्या कार्ड खेल रही थीं. उन्होंने मज़ाकिया अंदाज़ में तान्या के साथ कार्ड खेलना शुरू किया, लेकिन किस्मत इस बार उनके साथ नहीं थी. तान्या ने हंसते हुए बताया कि बॉबी लगातार उनसे हारते रहे, फिर भी पैसे नहीं दिए. जब तान्या ने हक़ जताया, तो बॉबी ने मुस्कुराकर कहा, “मैं तुम्हें डिनर पर ले जाऊंगा.” तान्या को यह अजीब लगा और उनके मन में यही आया कि “ये लड़का कौन है और क्या चाहता है?”
लेकिन बॉबी का इरादा मज़ाक का नहीं था, वह एक मुलाकात को और जानने की कोशिश में बदल देना चाहते थे. इसीलिए उन्होंने तान्या को एक रात अचानक फोन किया. यह फोन कॉल अप्रत्याशित था क्योंकि तान्या गहरी नींद में थीं. उन्होंने फोन उठाकर बस इतना कहा, “मैं कल बात करूंगी,” और फोन कट कर दिया. अगले दिन जब उन्होंने दोस्तों से पूछा कि क्या किसी का फोन आया था, तो सभी ने इनकार कर दिया. उस कॉल के बाद बॉबी को लगा कि तान्या शायद रूखी हैं या खुद को ज्यादा समझती हैं. लेकिन हकीकत यह थी कि तान्या को समझ ही नहीं आया था कि फोन किसका था.
करीब एक हफ्ते बाद बॉबी ने दोबारा कॉल किया, इस बार सही समय पर. यह बातचीत कुछ मिनटों में खत्म हो जाने वाली नहीं थी. दोनों ने सात से आठ घंटे तक फोन पर बात की. तान्या ने कहा, “यह किसी परीकथा जैसा था. हम डेट पर जाने की बजाय पार्टियों में ही मिलते रहे. एक रात जब बॉबी मुझे घर छोड़ने आए, दरवाजे पर ही उन्होंने शादी का प्रस्ताव रख दिया.” यह प्रस्ताव अचानक था लेकिन तान्या को भी महसूस होने लगा था कि यह रिश्ता कहीं गहराई तक जा चुका है.
बात जब गंभीर हुई, तो तान्या को बॉबी के परिवार से मिलना था. लेकिन यह सामान्य ‘पहली मुलाकात’ नहीं थी. सामने थे धर्मेंद्र — हिंदी सिनेमा के महानायक, लाखों दिलों के धड़कन, और घर के मुखिया. तान्या तब सिर्फ 19 साल की थीं. उन्होंने बताया कि वह बहुत नर्वस थीं और समझ नहीं पा रही थीं कि इतनी बड़ी शख्सियत के सामने कैसे पेश आएं. सलवार-कमीज़ पहनकर वह बॉबी के घर पहुंचीं. डर और उत्सुकता दोनों साथ चल रहे थे. लेकिन उनका डर चंद मिनटों में ही पिघल गया. धर्मेंद्र और प्रकाश कौर ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया, बिना किसी औपचारिकता के. तान्या ने कहा, “उन्होंने मुझे तुरंत सहज कर दिया. उनके अपनापन ने सारी घबराहट दूर कर दी.”
परिवार की मंजूरी के बाद शादी की तैयारियां शुरू हुईं, जो बाद में एक भव्य समारोह में बदल गईं. इस समारोह में 10,000 से अधिक मेहमान शामिल हुए. तान्या ने हंसते हुए कहा, “शुरुआत में शादी हमारी थी, लेकिन बाद में पूरा परिवार इसमें व्यस्त हो गया और हम दोनों पीछे रह गए.”
आज लगभग तीन दशक बाद, बॉबी और तान्या देओल फिल्मी चकाचौंध से परे एक स्थिर और खूबसूरत जीवन जी रहे हैं. उनके दो बेटे — आर्यमान और धरम — परिवार की नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं. बॉबी अपने करियर में नई ऊंचाइयां छू रहे हैं, जबकि तान्या पब्लिक लाइमलाइट से दूर रहते हुए एक सशक्त, शांत और समझदार जीवन जीती हैं. धर्मेंद्र के 90वें जन्मदिन के मौके पर यह कहानी सामने आना सिर्फ एक संयोग नहीं, बल्कि यह याद दिलाने का अवसर भी है कि फिल्मी सितारों की जिंदगी में भी प्यार, झिझक, संकोच, और परिवार जैसी भावनाएं उतनी ही सच्ची होती हैं जितनी किसी आम इंसान की जिंदगी में.
बॉबी और तान्या की यह प्रेमकहानी एक बार फिर यह साबित करती है कि रिश्ते सिर्फ मुलाकातों से नहीं, बल्कि उन भावनाओं से बनते हैं जिन्हें इंसान अक्सर अनजाने में अपने भीतर संजो लेता है. यह कहानी देओल परिवार की विरासत और उनके जुड़े हुए रिश्तों की सहजता को भी दर्शाती है, जो आज भी उतनी ही अटूट है, जितनी वर्षों पहले थी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

