भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच जारी दौरे में टीम इंडिया अब 50 ओवरों की सीरीज़ की ओर बढ़ रही है, लेकिन उससे पहले टीम प्रबंधन की प्राथमिकता खिलाड़ियों की फिटनेस और वर्कलोड मैनेजमेंट हो गई है. कप्तान शुभमन गिल की अचानक हुई चोट ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है. इसी पृष्ठभूमि में खबर है कि जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पांड्या को आगामी वनडे मैचों से आराम दिया जा सकता है. टीम मैनेजमेंट और मेडिकल यूनिट दोनों ही किसी तरह का जोखिम उठाने के मूड में नहीं हैं, खासकर तब जब भारत का फोकस अगले साल होने वाले टी20 विश्व कप की तैयारी पर है.
सूत्रों के मुताबिक, हार्दिक पांड्या अभी अपनी क्वॉड्रिसेप्स की चोट से उबरने की प्रक्रिया में हैं और बेंगलुरु स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में ‘रिटर्न टू प्ले’ प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं. उनकी रिकवरी अच्छी बताई जा रही है, लेकिन अभी वह 50 ओवर जैसे लंबे फॉर्मेट में खेलने की स्थिति में नहीं हैं. चिकित्सकीय टीम का मानना है कि इतनी जल्दी ODI क्रिकेट में वापसी करने से चोट दोबारा उभर सकती है और किसी भी बड़े टूर्नामेंट से पहले ऐसी स्थिति टीम के लिए नुकसानदेह हो सकती है. इसलिए हार्दिक को वनडे की बजाय टी20 फ़ॉर्मेट में धीरे-धीरे मैच फिटनेस हासिल करने देने की योजना बनाई गई है. वह जल्द ही सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में बड़ौदा के लिए कुछ मुकाबले खेलकर फॉर्म और रिद्म में लौटने की कोशिश करेंगे.
जसप्रीत बुमराह की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5 टी20 मैचों की पूरी सीरीज़ खेलने के बाद उन्होंने कोलकाता में खेले गए टेस्ट मुकाबले में भी अपनी भूमिका निभाई. बुमराह का लंबे समय तक लगातार गेंदबाज़ी करना बीसीसीआई के लिए हमेशा से सावधानी का विषय रहा है, क्योंकि उनकी फिटनेस भारतीय टीम की गेंदबाज़ी संरचना का केंद्रीय आधार है. माना जा रहा है कि टीम मैनेजमेंट उन्हें गुवाहाटी टेस्ट के बाद वनडे सीरीज़ में आराम दे सकता है, ताकि वह पूरी तरह तरोताज़ा होकर टी20 मुकाबलों में वापसी कर सकें.
बुमराह और हार्दिक दोनों ही 2024 टी20 विश्व कप जीत में भारत के सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ियों में शामिल थे. कोच गौतम गंभीर की अगुआई में टीम प्रबंधन अगले विश्व कप की योजना बनाते हुए इन दोनों खिलाड़ियों की फिटनेस और उपलब्धता को सबसे ऊपर रख रहा है. विश्व कप से पहले किसी भी प्रकार का जोखिम टीम के अभियान को सीधा प्रभावित कर सकता है. इसलिए दक्षिण अफ्रीका जैसे कठिन दौरे पर भी खिलाड़ियों को स्मार्ट रोटेशन और ब्रेक देना प्राथमिकता बन गया है.
इस बीच, शुभमन गिल की चोट ने टीम के भीतर चिंताओं को और बढ़ा दिया है. ईडन गार्डन्स टेस्ट के दौरान उन्हें अचानक गर्दन में खिंचाव की समस्या हुई, जिसके चलते वह मैच के आखिरी हिस्से में मैदान में नहीं उतर पाए. गुवाहाटी पहुँचने पर गिल को गर्दन का ब्रेस पहने देखा गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि उनकी उपलब्धता संदिग्ध है. गिल ने इस साल लगातार क्रिकेट खेला है—आईपीएल में केवल 10 दिनों का सस्पेंशन छोड़कर वह लगभग हर फॉर्मेट में बिना ब्रेक मैदान पर रहे. ऑस्ट्रेलिया टी20 सीरीज़ के तुरंत बाद ही उन्होंने दक्षिण अफ्रीका टेस्ट में कप्तानी की जिम्मेदारी संभाली, जिससे उनके वर्कलोड में और बढ़ोतरी हुई.
टीम के भीतर यह समझ बढ़ती जा रही है कि अगर गिल को बिना पूरी रिकवरी के वनडे सीरीज़ में उतारा गया तो चोट और बढ़ सकती है. एक ऐसे खिलाड़ी की चोट का जोखिम उठाना, जो तीनों फॉर्मेट का नियमित सदस्य है और भविष्य का प्रमुख स्तंभ माना जाता है, किसी भी तरह से समझदारी नहीं माना जा रहा. भारत की रणनीति यही दिखाती है कि वनडे सीरीज़ को अधिक प्रयोग और बेंच स्ट्रेंथ की जांच के अवसर के रूप में देखा जा सकता है, न कि सभी मुख्य खिलाड़ियों को मैदान पर उतारने की मजबूरी के रूप में.
इसके अलावा, भारतीय टीम प्रबंधन आने वाले महीनों में व्यस्त अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर को भी ध्यान में रख रहा है. घरेलू सीरीज़, विदेशी दौरे, आईपीएल और उसके बाद विश्व कप—इन सबके बीच खिलाड़ियों के शरीर पर पड़ने वाला दबाव काफी अधिक है. इसीलिए बीसीसीआई की मेडिकल टीम खिलाड़ी-विशेष की आवश्यकताओं के अनुसार अलग-अलग वर्कलोड चार्ट तैयार कर रही है. गिल, बुमराह और हार्दिक जैसे अहम खिलाड़ी इन योजनाओं के केंद्र में हैं.
दक्षिण अफ्रीका दौरे के ऐतिहासिक रूप से चुनौतीपूर्ण माहौल को देखते हुए, टीम इंडिया कभी भी जोखिम उठाने के लिए जानी नहीं जाती. उछालभरी पिचें, तेज़ गेंदबाज़ी और लंबा कार्यक्रम—इन सबका असर खिलाड़ियों की शारीरिक थकावट पर पड़ता है. भारत पहले भी कई बार चोटों से परेशान हुआ है, और इस बार टीम कोशिश कर रही है कि बड़े फॉर्मेट में केवल वही खिलाड़ी खेलें जो पूरी तरह फिट हों और सीरीज़ में अपनी श्रेष्ठता साबित कर सकें.
भारत की नजरें अब गुवाहाटी टेस्ट पर हैं, जहां टीम यह देखना चाहेगी कि शुभमन गिल की स्थिति क्या रहती है. अगर वह फिट नहीं होते हैं, तो सीमित ओवरों में उनकी जगह किसी अन्य खिलाड़ी को जिम्मेदारी देने पर विचार किया जा सकता है. वहीं, बुमराह और हार्दिक के आराम करने की संभावना लगभग तय मानी जा रही है. टीम संयोजन में बदलाव निश्चित है, लेकिन प्रबंधन का संदेश साफ है—खिलाड़ियों की फिटनेस किसी भी नतीजे से ज्यादा अहम है.
आगामी वनडे सीरीज़ भारत के लिए भले निर्णायक न हो, लेकिन टीम की भविष्य योजना का अहम हिस्सा जरूर है. मुख्य खिलाड़ियों को फिट रखकर उन्हें विश्व कप की तैयारी के लिए संरक्षित करना प्राथमिक लक्ष्य है. इसलिए भारत सतर्क है, सोच-समझकर कदम उठा रहा है और किसी भी अनावश्यक जोखिम से बचने की कोशिश कर रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

