38 वर्षों से एक पद पर कार्यरत कर्मचारी का मामला : HC ने राज्य सरकार से मांगी नियमितीकरण को लेकर विस्तृत रिपोर्ट

38 वर्षों से एक पद पर कार्यरत कर्मचारी का मामला : HC ने राज्य सरकार से मांगी नियमितीकरण को लेकर विस्तृत रिपोर्ट

प्रेषित समय :20:40:03 PM / Mon, Dec 1st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर। उद्यान विभाग के उप संचालक कार्यालय में पदस्थ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राकेश कुमार चौरसिया की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य शासन से 9 दिसंबर तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि वे पिछले 38 वर्षों से एक ही पद पर कार्यरत हैं, न तो उनका नियमितिकरण किया गया और न पदोन्नति दी गई।
                                                           मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 25 मार्च 2025 को राज्य के मुख्य सचिव को नीति बनाने और स्थायी समिति गठित करने के निर्देश दिए थे, लेकिन आज तक आदेशों का पालन नहीं हुआ। याचिकाकर्ता फिर से हाईकोर्ट के संज्ञान में मामला लाया, तो 21 नवंबर को सुनवाई हुई। जिसमें शासन ने जवाब देने के लिए समय मांगा। राज्य शासन द्वारा अब तक हाईकोर्ट के पूर्व आदेशों का पालन न करने पर न्यायालय ने गंभीरता जताई है। 13 नवंबर 2025 को जस्टिस मनिन्दर सिंह भट्टी की बेंच ने पहली सुनवाई में राज्य शासन से यह पूछा था कि मुख्य सचिव ने इस विषय में क्या कार्रवाई की। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कई कर्मचारी 25 वर्ष से अधिक समय से निरंतर सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन उनका नियमितिकरण अब तक नहीं किया गया। राज्य शासन द्वारा समय-समय पर योजनाएं बनाने के बावजूद उन कर्मचारियों को लाभ नहीं मिल पाया, जिनकी नियुक्ति तत्कालीन रिक्त पद के विरुद्ध नहीं मानी गई। बाद में उन्हें यह कहकर लाभ से वंचित किया गया कि उनकी नियुक्ति अवैध है। राकेश चौरसिया ने अपनी याचिका में कहा कि पूर्व में हाईकोर्ट ने राज्य शासन को उनके नियमितिकरण के लिए कार्यवाही करने का निर्देश दिए थे, लेकिन शासन द्वारा लिए गए निर्णय में कहा गया कि 38 वर्ष पूर्व की गई नियुक्ति अवैध थी, क्योंकि उस समय पद स्वीकृत नहीं था। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पंकज दुबे ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश हैं कि 10 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत कर्मचारियों के नियमितिकरण के लिए स्थायी समिति बनाना अनिवार्य है, चाहे उनकी नियुक्ति अवैध या अनियमित क्यों न रही हो। उन्होंने कहा कि एक आदर्श नियोक्ता होने के नाते राज्य शासन का कर्तव्य है कि लंबे समय से सेवा दे रहे कर्मचारियों को स्थायी लाभ दें।