लखनऊ.उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अयोध्या को विश्व के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मानचित्र पर एक अप्रतिम गंतव्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में मंगलवार को एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया। कैबिनेट ने अयोध्या में प्रस्तावित विश्व स्तरीय मंदिर संग्रहालय परियोजना के विस्तार को हरी झंडी दे दी है, जिसकी जिम्मेदारी अब टाटा सन्स जैसी दिग्गज कंपनी को सौंपी गई है। यह अत्याधुनिक म्यूजियम न केवल भारत की प्राचीन मंदिर वास्तुकला और धार्मिक विरासत को प्रदर्शित करेगा, बल्कि इसे कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) फंड के तहत विकसित और संचालित किया जाएगा, जिससे इसकी डिजाइन, संचालन और थीमिंग अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित होगी। इस फैसले ने राज्य के पर्यटन उद्योग और रोजगार सृजन की संभावनाओं को नई उड़ान दे दी है।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए पहले 25 एकड़ भूमि आवंटित की गई थी, लेकिन संग्रहालय की भव्यता और इसकी वैश्विक महत्ता को देखते हुए योगी कैबिनेट ने अतिरिक्त 27.102 एकड़ भूमि के प्रावधान को भी मंजूरी दे दी है। अब यह विशाल सांस्कृतिक परिसर कुल 52.102 एकड़ के क्षेत्र में विकसित होगा। यह भूमि पर्यटन विभाग को निःशुल्क हस्तांतरित की जाएगी, जिससे इस भव्य कॉम्प्लेक्स के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इस परियोजना के सफल और दीर्घकालिक प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए, टाटा सन्स कंपनी एक्ट 2013 की धारा 8 के तहत एक विशेष गैर-लाभकारी कंपनी (SPV) का निर्माण करेगी। इस विशेष उद्देश्य वाहन (SPV) में केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे, जो परियोजना में पारदर्शिता और साझेदारी सुनिश्चित करेगा। गौरतलब है कि इस परियोजना को लेकर भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और टाटा सन्स के बीच 3 सितंबर 2024 को एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर भी हस्ताक्षर हो चुके हैं।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद से अयोध्या में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है, जहाँ प्रतिदिन औसतन 2 से 4 लाख भक्त पहुंच रहे हैं। यह नया संग्रहालय केवल एक पर्यटक स्थल नहीं होगा, बल्कि यह युवाओं, विदेशी पर्यटकों और भारतीय संस्कृति के शोधकर्ताओं के लिए ज्ञान का एक विशाल केंद्र बनेगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह परियोजना हजारों की संख्या में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के नए अवसर सृजित करेगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व बढ़ावा मिलेगा और राज्य की पर्यटन आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की जाएगी। यह कदम अयोध्या को केवल एक धार्मिक शहर के रूप में नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति के एक वैश्विक अध्ययन केंद्र के रूप में स्थापित करने की योगी सरकार की दूरगामी सोच को दर्शाता है।
इसी कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में दिव्यांगजनों के हितों को लेकर भी एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। उत्तर प्रदेश के सभी 18 मंडलों में अब नए जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र (DDRC) स्थापित किए जाएंगे। वर्तमान में 38 जिलों में DDRC मौजूद हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण कई केंद्र प्रभावी रूप से कार्य नहीं कर पा रहे थे। नए DDRC खुलने से दिव्यांगजनों को सर्वे, पहचान, कैम्प आयोजन, सहायक उपकरण वितरण, कृत्रिम अंग फिटमेंट, प्रशिक्षण, फिजियोथेरेपी और स्पीच थेरेपी जैसी सभी आवश्यक सेवाएं एक ही स्थान पर सुगम तरीके से मिल सकेंगी। इसके साथ ही, UDID कार्ड और दिव्यांग प्रमाणपत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया भी पहले से अधिक सरल और तेज हो जाएगी। योगी सरकार का स्पष्ट उद्देश्य है कि दिव्यांगजनों को बिना किसी बाधा के समग्र और तेज सेवाएं मिलें, ताकि उनका पुनर्वास सुनिश्चित हो सके। अयोध्या में भव्य संग्रहालय के विस्तार की मंजूरी और दिव्यांगजनों के लिए व्यापक सुविधाओं का विस्तार, दोनों ही फैसले योगी सरकार के समावेशी विकास और सांस्कृतिक उत्थान के विजन को मजबूत करते हैं।
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