Ro-Ko को मत रोको श्रीसंत की बेबाक अपील ने सोशल मीडिया में नई हलचल मचाई, रोहित-कोहली को लेकर बढ़ी बहस

Ro-Ko को मत रोको श्रीसंत की बेबाक अपील ने सोशल मीडिया में नई हलचल मचाई, रोहित-कोहली को लेकर बढ़ी बहस

प्रेषित समय :22:27:49 PM / Tue, Dec 2nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भारतीय क्रिकेट में रोहित शर्मा और विराट कोहली का नाम सिर्फ दो खिलाड़ियों का नहीं, बल्कि एक पूरे दौर का पर्याय है। और इसी दौर की चमक एक बार फिर पहली ODI में साउथ अफ्रीका के खिलाफ रांची में नजर आई, जहाँ दोनों दिग्गजों ने शानदार वापसी कर आलोचकों की आवाजें थाम दीं। मैच के बाद देश में रोहित-कोहली की जोड़ी को लेकर चर्चाओं का बाज़ार गर्म था, और उसी बीच पूर्व तेज़ गेंदबाज़ एस. श्रीसंत का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। उनके शब्द सिर्फ टिप्पणी नहीं, बल्कि एक तरह का खुला संदेश थे—एक अपील, एक चेतावनी और एक भावनात्मक आग्रह—सब कुछ एक साथ।

श्रीसंत ने अबू धाबी T10 लीग के दौरान कहा, “गौतम भाई, आप कोच हो… किसी को मत रोको। खासकर Ro-Ko को मत रोको। रोहित और विराट के जो रिकॉर्ड हैं वो बेहतरीन हैं, और जब तक वे खेलना चाहें—उन्हें खेलने दो। वे आज भी ज्यादातर खिलाड़ियों से हजार गुना बेहतर हैं।” यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से फैल गया और देखते ही देखते लाखों री-शेयर, कमेंट और रिएक्शन के साथ चर्चा का केंद्र बन गया।

यह बयान ऐसे समय आया है जब टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम में रोहित-कोहली और कोच गौतम गंभीर के बीच कथित मतभेदों की अफवाहें चल रही थीं। भले ही इस पर टीम प्रबंधन ने कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन क्रिकेट जगत में यह बातचीत धीरे-धीरे मुख्य मुद्दा बनती जा रही थी। श्रीसंत के बयान ने इन चर्चाओं को और हवा दे दी, लेकिन साथ ही यह संदेश भी दिया कि दिग्गजों को जगह देने का मामला सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि क्रिकेटिंग मजबूती का भी है।

पहली ODI में दोनों खिलाड़ियों ने अपने खेल से यह साबित भी कर दिया। रोहित शर्मा की तीखी हाफ-सेंचुरी और विराट कोहली का शानदार शतक—दोनों की साझेदारी ने न सिर्फ मैच जिताया, बल्कि यह भी दिखाया कि अनुभव, क्लास और बड़े मंच पर दबाव झेलने की क्षमता को कोई विकल्प नहीं है। उनकी 100 से ज्यादा की साझेदारी ने यह साफ कर दिया कि भारत का बल्लेबाज़ी क्रम आज भी इन्हीं दो स्तंभों पर मजबूती से टिके होने की क्षमता रखता है।

टीम इंडिया 2027 वर्ल्ड कप के लिए लंबे रोडमैप की तैयारी में है। नए खिलाड़ियों को मौका दिया जा रहा है, पुराने चेहरों पर सवाल उठ रहे हैं, फिटनेस और फॉर्म की नई जांचें हो रही हैं। लेकिन इस बदलाव के दौर में रोहित-कोहली के लिए जगह क्या होगी—यह सबसे बड़ा सवाल बन गया है। ऐसे में रांची के मैदान ने यह जवाब किसी विश्लेषण या बयान नहीं, बल्कि बैट और रन की भाषा में दिया। और यही वजह है कि श्रीसंत का “Ro-Ko को मत रोको” वाला संदेश इतना असरदार बन गया।

कई दिग्गज क्रिकेटरों और विश्लेषकों ने भी रोहित और विराट की इस वापसी को “भारत की वर्ल्ड कप तैयारी में निर्णायक क्षण” बताया है। उनकी बल्लेबाज़ी में वही लय, वही नियंत्रण और वही नेतृत्व दिखाई दिया जो बड़े टूर्नामेंटों के लिए टीम इंडिया की सबसे बड़ी जरूरत मानी जाती है।

श्रीसंत के बयान ने खिलाड़ियों के जज्बे और प्रतिष्ठा पर बात की, लेकिन इसने कोच गौतम गंभीर की भूमिका पर भी रोशनी डाली। गंभीर का नेतृत्व सख्त, अनुशासित और जीत को सर्वोपरि मानने वाले दृष्टिकोण से पहचाना जाता है। ऐसे में अनुभवी खिलाड़ियों और नई सोच के बीच संतुलन कैसे बनेगा—यह आने वाले समय में टीम इंडिया की रणनीति की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होगी।

सोशल मीडिया पर प्रशंसकों ने श्रीसंत के बयान को दो तरह से देखा—कुछ ने इसे सही कहा और लिखा कि “दिग्गजों को सीमित मत करो,” वहीं कुछ ने इसे टीम प्रबंधन के फैसलों में दखल जैसा करार दिया। लेकिन एक बात पर सभी सहमत दिखे—रोहित और विराट जैसे खिलाड़ी तब तक रोके नहीं जाने चाहिए जब तक वे खुद खेल छोड़ने का फैसला न करें।

यह पूरा मामला भारत में क्रिकेट की भावनात्मक ताकत को भी दिखाता है। जब दो दिग्गज खिलाड़ी एक साथ क्रीज़ पर आते हैं तो टीवी स्क्रीन के सामने बैठी करोड़ों आंखें उम्मीद, रोमांच और विश्वास से भर जाती हैं। रांची की जीत वास्तव में सिर्फ एक ODI की जीत नहीं थी—यह उन भावनाओं की जीत थी जो भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल अध्याय को फिर से जीवंत करती हैं।

2027 वर्ल्ड कप की राह लंबी है, और टीम इंडिया को अभी कई मुश्किल मैदान, जटिल परिस्थितियाँ और रणनीतिक चुनौतियां पार करनी हैं। लेकिन रोहित-कोहली जैसी जोड़ी जब फॉर्म में हो, जब साझेदारी बह रही हो, जब उनके बल्लों में वही पुराना आत्मविश्वास हो—तो भारतीय क्रिकेट को लेकर उम्मीदें स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती हैं।

श्रीसंत का सवाल सरल था, पर उसका अर्थ गहरा—“जब दुनिया जानती है कि Ro-Ko भारत के लिए कितना मायने रखते हैं, तो फिर उन्हें क्यों रोका जाए?”

और शायद इसी में आने वाले महीनों की सबसे बड़ी कहानी छिपी है—क्या टीम इंडिया इन दिग्गजों की चमक और नई प्रतिभाओं की ऊर्जा के बीच सही तालमेल बैठा पाएगी?

फिलहाल तो रांची का मैदान और करोड़ों भारतीय फैन्स यही कह रहे हैं—
Ro-Ko को मत रोको। Let them play. Let them lead.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-