भारत की प्रतिभा दुनिया में किस स्तर पर धूम मचा सकती है, इसका ताज़ा और हैरत में डाल देने वाला उदाहरण है 14 साल के भारतीय मूल के सिद्धार्थ नंद्याला की उपलब्धि। अक्सर कहा जाता है कि इनोवेशन की शुरुआत जिज्ञासा से होती है, और इसी जिज्ञासा ने भारत के इस होनहार बालक को चिकित्सा तकनीक की दुनिया में बड़ा नाम बना दिया है। जिस उम्र में बच्चे स्कूल, खेल और शौक में व्यस्त रहते हैं, उस उम्र में सिद्धार्थ ने ऐसा मोबाइल ऐप बना दिया है जो दिल की बीमारी का पता सिर्फ 7 सेकंड में लगा देता है। यह उपलब्धि न सिर्फ टेक्नोलॉजी दुनिया को चौंकाती है, बल्कि भारत की बढ़ती वैश्विक वैज्ञानिक क्षमता का भी दमदार प्रमाण पेश करती है।
यह ऐप मोबाइल फोन को दिल के पास रखकर कुछ सेकंड तक धड़कन रिकॉर्ड करता है और तुरंत रिपोर्ट तैयार कर देता है कि दिल की धड़कन सामान्य है या किसी बीमारी का संकेत दे रही है। एआई और मशीन लर्निंग आधारित इस तकनीक में दिल की सूक्ष्म ध्वनियों को पढ़ने की क्षमता है, जो शुरुआती और खतरनाक हार्ट प्रॉब्लम्स को भी पकड़ लेती है। इसकी खासियत यह है कि इसे किसी मशीन, डॉक्टर या मेडिकल सेटअप की जरूरत नहीं होती—सिर्फ एक मोबाइल फोन ही काफी है।
अमेरिका में इस ऐप की टेस्टिंग 15,000 से ज्यादा मरीज़ों पर की गई और भारत में लगभग 700 लोगों पर। भारत में यह परीक्षण गुंटूर सरकारी अस्पताल में हुआ, जहां ऐप ने 96% से अधिक सटीकता दिखाई। चिकित्सक इसे भविष्य की हेल्थ टेक्नोलॉजी का “गेम-चेंजर” बता रहे हैं, खासकर इसलिए क्योंकि भारत जैसे देश में दिल की बीमारी सबसे बड़ी मौत का कारण है और समय पर जांच न होने से लाखों लोग हर साल संकट में रहते हैं।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में 48% वयस्क किसी न किसी दिल की समस्या से पीड़ित हैं। वहीं दुनिया में 32% मौतें हार्ट डिज़ीज़ की वजह से होती हैं। ऐसे समय में 14 साल के भारतीय मूल के इस बच्चे द्वारा विकसित ऐप दुनिया के लिए उम्मीद की नई रोशनी है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भी सिद्धार्थ की खोज की खूब सराहना की है और इसे भारत के लिए गौरव का क्षण बताया है।
दिलचस्प बात यह है कि सिद्धार्थ की यह पहली खोज नहीं है। इससे पहले वे कम लागत वाली कृत्रिम भुजा बना चुके हैं और STEM IT नाम से स्टार्टअप भी शुरू कर चुके हैं, जो छात्रों के लिए विज्ञान और तकनीक की किट बनाता है। सिद्धार्थ को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी अभिनंदन पत्र मिल चुका है। वर्तमान में वे टेक्सास में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन भारत से उनका जुड़ाव और देश के लिए उनका योगदान हर भारतीय को गर्व से भर देता है।
इस ऐप की खासियत इसकी पहुँच है। भारत जैसे विशाल और विविधताओं वाले देश में जहां गांवों, कस्बों और दूर-दराज़ के इलाकों में दिल की जाँच के लिए बड़े उपकरण उपलब्ध नहीं होते, वहाँ यह ऐप किसी जीवनरक्षक उपकरण से कम साबित नहीं होगा। यह उन लोगों को शुरुआती चेतावनी दे सकता है जिनकी धड़कनों में असामान्यता है और जिन्हें तत्काल डॉक्टर से मिलने की सलाह चाहिए। यह खोज स्वास्थ्य सेवाओं को उतना ही आसान बना सकती है जितना आज ब्लड प्रेशर या शुगर चेक करना है।
सिद्धार्थ की यह सफलता पूरी दुनिया को यह संदेश देती है कि भारत के बच्चे न सिर्फ तकनीक को समझ रहे हैं बल्कि उसे नई दिशा भी दे रहे हैं। 14 साल के सिद्धार्थ नंद्याला ने यह साबित कर दिया है कि असली नवाचार उम्र नहीं, सोच और संकल्प देखता है। भारत की यह प्रतिभा आने वाले वर्षों में हेल्थ टेक्नोलॉजी की दुनिया में क्रांति लाने की क्षमता रखती है और यह कहानी हर उस बच्चे और युवा के लिए प्रेरणा है, जो सपनों और विज्ञान को जोड़कर दुनिया में बदलाव लाना चाहता है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

