रुतुराज का पहला तूफ़ान और विराट की अडिग दीवार ने दक्षिण अफ्रीका को रौंदा

रुतुराज का पहला तूफ़ान और विराट की अडिग दीवार ने दक्षिण अफ्रीका को रौंदा

प्रेषित समय :17:22:51 PM / Wed, Dec 3rd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरे वनडे में भारतीय क्रिकेट ने एक ऐसा दिन देखा जिसे लंबे समय तक याद किया जाएगा। रुतुराज गायकवाड़ ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का पहला और बेहद आत्मविश्वास से भरा शतक जमाते हुए भारतीय पारी को नई ऊँचाइयों की ओर धकेला, और फिर विराट कोहली ने अपनी स्थिरता तथा क्लास का परिचय देते हुए 53वां वनडे शतक जड़कर दक्षिण अफ्रीका की उम्मीदों को लगभग समाप्त कर दिया। यह मुकाबला भारतीय प्रशंसकों के लिए सिर्फ एक जीत के करीब ले जाने वाला मैच नहीं बल्कि बल्लेबाज़ी कला का एक जीवंत प्रदर्शन साबित हुआ—जहाँ नए दौर की ऊर्जा और अनुभवी महारथ का बेहतरीन संगम सामने आया।

रुतुराज गायकवाड़ जब शुरुआती झटकों के बाद क्रीज पर आए, तो माहौल में हल्की बेचैनी थी। टीम को एक ऐसे बल्लेबाज़ की जरूरत थी जो सिर्फ टिके नहीं, बल्कि रनगति को भी सँभाले। शुरुआत में उन्होंने गेंद को देर से देखने और पिच के व्यवहार को समझने की रणनीति अपनाई। कुछ ओवरों बाद ही उनका आत्मविश्वास और टाइमिंग दोनों चरम पर दिखने लगे। यह वह गायकवाड़ थे जिन्हें अब तक टी20 क्रिकेट में अधिक जाना जाता था, लेकिन सीमित ओवरों के इस लंबे प्रारूप में वह पहली बार अपने वास्तविक कौशल को विस्तार दे रहे थे।

उनके शतक का क्षण दर्शकों और टीवी स्क्रीन पर वही पुराना रोमांच वापस ले आया। कोर्बिन बॉश की शॉर्ट गेंद को उन्होंने कलाई मोड़ते हुए स्क्वायर के आगे बाउंड्री की ओर भेजा—और उसी गेंद पर 77 गेंदों में अपना पहला वनडे शतक पूरा किया। हेलमेट उतारकर बल्ला उठाते ही विराट कोहली उनके करीब पहुँच गए, और दोनों के बीच साझा किया गया वह छोटा-सा आलिंगन इस साझेदारी के महत्व को बयान कर गया। गायकवाड़ की पारी में पुल शॉट्स की तराश, तेज गेंदबाज़ों के खिलाफ स्ट्रेट ड्राइव, स्पिनरों के सामने कदमों का बेखौफ इस्तेमाल, और फील्ड के हर हिस्से में शॉट बिखेरने की कला शामिल थी। दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाज़ हर कुछ ओवरों में रनगति काबू करने की कोशिश करते, लेकिन गायकवाड़ किसी न किसी ओवर में फील्ड की कमजोरियों को भाँपकर बाउंड्री ढूंढ ही लेते थे।

उनकी पारी इस मायने में भी खास रही कि यह दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ किसी भारतीय बल्लेबाज़ का दूसरा सबसे तेज शतक बना—यूसुफ पठान की 68 गेंदों वाली पारी के बाद। अंततः वह 83 गेंदों में 105 रन बनाकर आउट हुए, लेकिन तब तक भारतीय टीम एक मजबूत लय में आ चुकी थी जिसे रोकना विरोधी गेंदबाज़ों के लिए बेहद कठिन साबित हुआ।

दूसरी ओर, विराट कोहली की पारी उस शांति और दक्षता की मिसाल थी जो उनकी सबसे बड़ी पहचान है। वह शुरुआत में बिना किसी जल्दबाज़ी के खेलते दिखे—गेंद को अपने नीचे रखते हुए, कवर और मिडविकेट के बीच छोटे-छोटे गैप ढूंढते हुए, और रन बनाते हुए टीम को स्थिरता देते हुए। गेंदबाज़ों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए उनका सबसे बड़ा हथियार रनिंग बिटवीन द विकेट्स रहा। वह एक रन को दो में, और दो को तीन में बदलने की कला से हर ओवर में दबाव को दक्षिण अफ्रीकी फील्डर्स की ओर धकेलते रहे।

रांची में पहले मैच में लगाए गए 135 रन की तरह इस मैच में भी उन्होंने मौके का पूरा फायदा उठाया। अपनी फॉर्म का प्रभाव उन्होंने हर ओवर में दिखाया, और जब 90 गेंदों पर वह 53वां वनडे व 84वां अंतरराष्ट्रीय शतक पूरा कर रहे थे, तब पूरा स्टेडियम जैसे उनकी निरंतरता का सम्मान कर रहा था। मार्को जानसन की गेंद पर लॉन्ग-ऑन की ओर हल्की पुश करते ही उनका शतक पूरा हुआ। यह इंटरनेशनल क्रिकेट में वह दुर्लभ क्षण था जब एक महान खिलाड़ी लगातार दूसरे मैच में शतक लगाकर अपनी क्लास की पुष्टि करता है।

उनके आउट होने का क्षण, जब लुंगी एंगिडी की गेंद पर कैच लपका गया, तब वह 93 गेंदों में 102 रन बना चुके थे। लेकिन स्कोरबोर्ड का भार और मैच पर उसकी पकड़ भारतीय टीम के पक्ष में मजबूत हो चुकी थी। इस पारी ने न केवल उनकी आलोचना की आवाज़ों को शांत किया बल्कि आने वाले विश्व कप के लिए मध्यक्रम की मजबूती पर भी मोहर लगा दी।

इस पूरे मुकाबले में भारतीय बल्लेबाज़ी दो पीढ़ियों की ऊर्जा का संगम थी—एक तरफ वह युवा जो अब वादों को प्रदर्शन में बदल रहा है, और दूसरी तरफ वह दिग्गज जो अपनी हर पारी से क्रिकेट की किताब में नया अध्याय जोड़ देता है। दक्षिण अफ्रीका की गेंदबाज़ी इस दबाव से उबर नहीं सकी। हर बार वे वापसी की कोशिश करते, भारत की ओर से किसी न किसी ओवर में एक शॉट, एक रनिंग या एक गैप-पहचान उनकी मेहनत पर पानी फेर देती।

दर्शकों के लिए यह मुकाबला रोमांच, कौशल और संयम का शानदार मिश्रण था। भारत जिस लय में खेल रहा है, वह आने वाले विश्व कप की तैयारी के लिहाज से एक बेहद सकारात्मक संकेत है। प्रतिभा और अनुभव का यह मेल भारतीय टीम को उस मुकाम तक ले जा सकता है जहाँ जीत सिर्फ लक्ष्य नहीं बल्कि आदत बन जाती है। यह मैच इसी यात्रा की एक मजबूत कदम की तरह दर्ज हो गया—युवा रुतुराज की उड़ान और विराट की अडिग मज़बूती ने इसे यादगार बना दिया।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-