नई दिल्ली.भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कुछ लक्ष्य ऐसे हैं जो केवल आँकड़ों का खेल नहीं, बल्कि पीढ़ियों की कल्पना और उम्मीदों का प्रतीक बन जाते हैं। सचिन तेंदुलकर का सौ अंतरराष्ट्रीय शतकों का रिकॉर्ड ऐसा ही एक पर्वत है, जिसे पार करने का सपना शायद केवल विराट कोहली जैसा बल्लेबाज़ ही देख सकता है। लेकिन 2025 के अंत में आते–आते यह सवाल पहले से कहीं ज्यादा जटिल रूप ले चुका है। कोहली के नाम फिलहाल 84 अंतरराष्ट्रीय शतक हैं—30 टेस्ट में, 53 वनडे में और एक टी20I में। दिखने में यह अंतर केवल 16 शतकों का है, लेकिन क्रिकेट के संदर्भ और उम्र के गणित इसे कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण और लंबी यात्रा बना देते हैं।
37 वर्ष की उम्र में कोहली अब टेस्ट और टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं, और केवल वनडे क्रिकेट पर ध्यान दे रहे हैं। इसका मतलब है कि आगे आने वाले शतक लगभग पूरी तरह वनडे फॉर्मेट पर निर्भर रहेंगे। यह परिस्थिति एक ओर उनकी ऊर्जा को एक ही फॉर्मेट में केंद्रित रखती है, तो दूसरी ओर यह उनके मैचों की संख्या को सीमित भी करती है। सवाल यही है कि क्या वे अगले 6–9 वर्षों में यह रिकॉर्ड छू पाने की स्थिति में रहेंगे।
कोहली के करियर की बात करें तो उनके पास पहले से ही 27,000 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय रन हैं। वनडे में उनका रिकॉर्ड असाधारण है—14,500 से अधिक रन, लगभग 59 की औसत और 53 शतक। दिलचस्प यह है कि कोहली हर 5.6 वनडे पारियों में एक शतक लगा देते हैं, जबकि पिछले कुछ वर्षों में उनके पुनरुत्थान की अवधि में यह दर और बेहतर होकर 4.4 पर पहुंच गई है। यह 'कोहली 2.0' फेज़ उनके मानसिक और तकनीकी दोनों स्तरों पर उनकी नई मजबूती का संकेत देता है।
लेकिन आगे का रास्ता केवल क्षमता पर नहीं, अवसरों पर भी निर्भर करता है। भारत के पास 2027 वनडे विश्व कप तक एक ठोस और व्यस्त कैलेंडर है। अगले दो वर्षों में भारत लगभग 35 वनडे मैच खेलेगा, जिनमें अधिकतर में कोहली के खेलने की पूरी संभावना है। इनको मिलाकर कोहली के पास लगभग 30–32 वनडे पारियाँ होंगी। यही वह विंडो है जिसके आधार पर विशेषज्ञ और विश्लेषक उनकी शतकों की अगली छलांग का अनुमान लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
अगर इन 30 पारियों को आधार मानें, तो तीन अनुमानित परिदृश्य बनते हैं—एक उम्र को देखते हुए थोड़ा धीमा, दूसरा करियर का औसत प्रदर्शन और तीसरा उनकी मौजूदा फॉर्म के आधार पर एक आशावादी संभावित रफ्तार। सबसे रूढ़िवादी अनुमान यह कहता है कि कोहली अपने अगले 30 इनिंग्स में 4–5 शतक जोड़ सकते हैं, जबकि उनके करियर की औसत दर कहती है कि यह संख्या 5–6 तक जा सकती है। वहीं अगर उनकी "पर्पल पैच" जैसी निरंतरता बनी रही तो वह 6–7 शतक भी लगा सकते हैं। इसका मतलब है कि 2027 विश्व कप तक कोहली लगभग 88 से 92 शतकों की रेंज में पहुंच सकते हैं।
इन अनुमानों का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि 2027 विश्व कप कोहली की यात्रा का अंत नहीं, बल्कि नया मोड़ साबित होगा। भले ही कोहली उस समय लगभग 39 वर्ष के होंगे, लेकिन अगर उनके पास फिटनेस और फॉर्म दोनों बने रहे तो वे 8-10 शतकों की दूरी तय कर सकते हैं। भारत के लिए 2028 से 2032 के बीच भी कई द्विपक्षीय वनडे सीरीज होंगी, पर उतनी अधिक नहीं जितनी अभी दिखती हैं। धीरे-धीरे टी20 और फ्रेंचाइजी लीग्स का दबदबा बढ़ रहा है, जिससे वनडे मैचों की संख्या स्वाभाविक रूप से कम होती जा रही है। इस कम होते कैलेंडर में कोहली को अधिकतम अवसरों का उपयोग करना होगा।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि सचिन के सौ शतकों में 51 टेस्ट शतक शामिल थे—एक लंबा प्रारूप जो उम्र के साथ बल्लेबाजों को अधिक अवसर देता है। लेकिन कोहली के लिए यह मार्ग अब बंद है, जिससे उनकी 16 शतकों की यात्रा अपेक्षा से अधिक कठिन हो जाती है। इसके बावजूद कोहली की फिटनेस और मानसिक दृढ़ता उन्हें किसी भी अनुमानित सीमा से बाहर लेकर जा सकती है। यह वही खिलाड़ी है जिसने एक समय तीनों फॉर्मेट में नंबर-वन की भूमिका निभाई थी और मानसिक थकान के बाद भी खुद को दोबारा उस स्तर तक पहुंचाया जो कम खिलाड़ियों के बस की बात होती है।
जब कोहली अपने करियर के इस अंतिम बड़े अध्याय की ओर बढ़ रहे हैं, तो यह केवल उनकी प्रतिभा का नहीं, बल्कि उनके धैर्य, फिटनेस और खेल से प्रेम का भी परीक्षण होगा। भारत के क्रिकेट प्रशंसकों के लिए यह एक ऐसा सफर है जिसे हर मैच के साथ महसूस किया जा सकता है—क्योंकि अब कोहली का हर शतक केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि उस इतिहास की ओर बढ़ता कदम है जिसे पूरा करने का सपना केवल कुछ चुनिंदा खिलाड़ियों ने देखा है।
सचिन तेंदुलकर का सौ शतकों का पर्वत अब भी विराट और विशाल है। कोहली उस शिखर की ओर बढ़ रहे हैं—धीरे, मजबूत और लगातार। अगले 6 से 9 वर्ष उनके करियर के अंतिम अध्याय को परिभाषित करेंगे और शायद क्रिकेट के इतिहास में एक नया अध्याय भी जोड़ देंगे। यह दौड़ सांख्यिकी की नहीं, जुनून की है। और यही कारण है कि दुनिया उनकी हर अगली पारी को नई उम्मीद के साथ देखती है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

