हार्दिक पांड्या का धमाका भारत को बचा ले गया, एलिट छक्केबाजों की सूची में कोहली रोहित सूर्यकुमार के साथ पहुंचे

हार्दिक पांड्या का धमाका भारत को बचा ले गया, एलिट छक्केबाजों की सूची में कोहली रोहित सूर्यकुमार के साथ पहुंचे

प्रेषित समय :21:49:11 PM / Tue, Dec 9th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

कटक के बाराबती स्टेडियम में मंगलवार की रात खेला गया पहला टी20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबला भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए रोमांच, तनाव और राहत—तीनों भावनाओं का अनोखा संगम लेकर आया। एक समय ऐसा लगा मानो टीम इंडिया अपनी ही गलतियों में उलझ कर 150 रन तक भी नहीं पहुंच पाएगी, लेकिन तभी मैदान में उतरते हैं हार्दिक पांड्या—तीन महीने की चोटिल अवस्था और लंबे अंतराल से वापसी करने वाले उसी हार्दिक ने, जो दबाव को अपनी ताकत में बदलने का हुनर जानते हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इस मैच में उनके बल्ले से निकली 59 रनों की नाबाद पारी ने न सिर्फ भारत को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया, बल्कि उन्हें टी20I क्रिकेट के उन चुनिंदा भारतीय बल्लेबाजों की सूची में भी शामिल कर दिया जिन्होंने 100 से अधिक छक्के लगाए हैं। रोहित शर्मा, सूर्यकुमार यादव और विराट कोहली पहले ही इस लिस्ट में थे, और अब हार्दिक भी उनके साथ खड़े हैं—यही वह क्षण था जिसने बाराबती की रात को यादगार बना दिया।

टॉस दक्षिण अफ्रीका ने जीता था और कप्तान एडेन मार्करम ने गेंदबाजी का फैसला किया। शुरुआत में ही यह फैसला सही साबित होते दिखा जब भारतीय टॉप ऑर्डर लड़खड़ा गया। शुबमन गिल चार रन बनाकर चलते बने, सूर्यकुमार यादव भी बड़ी उम्मीदों के बावजूद 12 रन से आगे नहीं बढ़ सके। अभिषेक शर्मा और तिलक वर्मा की छोटी-छोटी पारियां भी पारी को गति नहीं दे सकीं। पहले छह ओवरों तक भारत की बल्लेबाज़ी डगमगाती हुई दिखाई दे रही थी और दर्शकों के मन में चिंता गहराने लगी थी कि क्या टीम 150 रन भी बना पाएगी। हर ओवर के साथ दबाव बढ़ता जा रहा था और विकेटों का गिरना रुक नहीं रहा था, तभी हार्दिक बल्लेबाज़ी करने उतरे और परिस्थितियों का रुख बदल दिया।

उनकी पारी का हर शॉट इस बात का एहसास दिला रहा था कि आखिर क्यों हार्दिक को भारतीय टीम का महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है। शुरुआती कुछ गेंदों में ही उन्होंने गेंद को इतने सटीक समय के साथ खेला कि दर्शकों में जो निराशा थी, वह उम्मीद में बदलने लगी। उनके पैरों का मूवमेंट, गेंद की लेंथ को पढ़ने की क्षमता और पावर हिटिंग का बेजोड़ संयोजन इस बात का प्रमाण था कि वे पूरी तैयारी के साथ लौटे हैं। उन्होंने चार चौकों के अलावा चार विशालकाय छक्के लगाए और इसी दौरान वे भारत की ओर से टी20I में 100 छक्के मारने वाले चौथे खिलाड़ी भी बन गए। इस उपलब्धि ने न सिर्फ उनके आत्मविश्वास को नई उड़ान दी, बल्कि टीम के डगमगाते मनोबल को भी संभाल लिया।

जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ा, हार्दिक की आक्रामकता और बढ़ने लगी। उन्होंने मैदान के हर कोने में शॉट्स लगाए—कभी कवर के ऊपर, कभी लॉन्ग-ऑन पर, और कभी सीधा गेंदबाज़ के सिर के ऊपर से। विपरीत परिस्थितियों में उनकी इस पारी का महत्व शायद स्कोरकार्ड से कहीं अधिक था। यह पारी उनकी करियर वापसी का ऐलान थी, टीम के लिए संजीवनी थी और विपक्ष के लिए चेतावनी। पारी के मध्य में ही वह क्षण आया जब उन्होंने अपना 100वां छक्का जड़ा और स्टेडियम में बैठे दर्शकों से लेकर डगआउट तक हर कोई खड़े होकर उनकी उपलब्धि का स्वागत करता दिखा।

भारत जब 17वें ओवर तक पहुंचा तो 150 रन से आगे बढ़ने की उम्मीद फिर भी कम ही लग रही थी। लेकिन अंतिम ओवरों में हार्दिक ने आक्रमकता की बाढ़ ला दी। उन्होंने पारी के अंतिम ओवर की दूसरी गेंद पर अपना अर्धशतक पूरा किया, वह भी छक्के के साथ—अनरिच नॉर्जे की फुल लेंथ गेंद को लॉन्ग-ऑन के ऊपर से उड़ाते हुए। यह उनका भारत के लिए टी20I में संयुक्त रूप से सबसे तेज अर्धशतक भी था, जिसने मैच के रोमांच को और बढ़ा दिया। अंतिम चार गेंदों में उन्होंने 11 और रन जोड़ दिए और भारत का स्कोर 175/6 तक पहुंच गया—यह वही टीम थी जो कुछ समय पहले 150 तक पहुंचने के लिए संघर्ष कर रही थी।

हार्दिक की इस पारी का असर सिर्फ मैदान पर ही नहीं, बल्कि भारतीय डगआउट में भी साफ दिखाई दे रहा था। कप्तान सूर्यकुमार यादव और मुख्य कोच गौतम गंभीर दोनों ने खड़े होकर उनकी पारी का स्वागत किया। गंभीर की मुस्कान और तालियों ने इस बात पर मोहर लगा दी कि यह पारी भारतीय टीम के मनोबल के लिए कितनी बड़ी दवा थी। कोच के रूप में गंभीर की कड़ी और संयमित छवि के बावजूद, इस प्रदर्शन ने उनके चेहरे पर गर्व और संतोष का भाव ला दिया।

ब्रॉडकास्ट पर बैठे पूर्व भारतीय बल्लेबाज़ रॉबिन उथप्पा ने भी हार्दिक के खेल की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि हार्दिक ने भारत को भारी शर्मिंदगी से बचा लिया। उथप्पा के शब्दों में—यह पारी “टॉप ड्रॉअर” की थी। उन्होंने हार्दिक की तकनीक, शॉट सिलेक्शन और पावर हिटिंग की समझ को बेहतरीन बताया। उथप्पा ने यह भी संकेत दिया कि भारत इस स्कोर से 18-20 रन पीछे जरूर रह गया, लेकिन जितनी कठिनाई में टीम थी, उसके हिसाब से हार्दिक का प्रयास किसी वरदान से कम नहीं था।

भारतीय पारी समाप्त होते ही माहौल थोड़ा संतुलित महसूस हुआ, लेकिन यह साफ था कि यह मैच अभी भी पूरी तरह खुला हुआ है। दक्षिण अफ्रीका ने टॉस जीतकर गेंदबाजी का फैसला कर दिखा दिया था कि वे भारतीय परिस्थितियों में भी तेज गेंदबाज़ी की धार दिखाने के लिए तैयार थे। शुरुआती ओवरों में भारतीय बल्लेबाजों की लड़खड़ाती पारी इसका प्रमाण थी। अब सबकी निगाहें इस बात पर थीं कि भारतीय गेंदबाज 175 के स्कोर का बचाव किस तरह करेंगे और क्या हार्दिक की यह पारी टीम को जीत दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाएगी।

पहले टी20 मैच में हार्दिक पांड्या का यह प्रदर्शन इसलिए भी खास है क्योंकि यह उनकी वापसी का मैच था। पिछले तीन महीनों से चोट के कारण टीम से बाहर रहे हार्दिक के लिए यह पारी आत्मविश्वास का पुनर्जन्म थी। उनके हर शॉट में वही जोश और निडरता साफ झलक रही थी, जिसने उन्हें पिछले एक दशक में दुनिया के बेहतरीन फिनिशरों की कतार में खड़ा किया है। भारतीय टीम के लिए भी यह संकेत है कि नए साल की ओर बढ़ते हुए मध्यक्रम में स्थिरता और मैच फिनिशिंग की क्षमता दोनों का मेल वापस लौट आया है।

इस मैच ने न सिर्फ भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को एक शानदार पारी का आनंद दिया, बल्कि यह भी याद दिलाया कि क्रिकेट सिर्फ स्कोर नहीं, कहानी भी है—संघर्ष की, वापसी की और कभी हार न मानने की। हार्दिक की 59 रन की नाबाद पारी इसी भावना का प्रतीक बन कर उभरी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह आग आगामी मैचों में भी जलती रहेगी और क्या उनकी यह फॉर्म भारत को सीरीज में एक मजबूत शुरुआत दिलाने में मदद करेगी।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-