Kate Winslet ने प्लास्टिक सर्जरी और वज़न घटाने की दवाओं पर बढ़ती निर्भरता पर उठाए सवाल ‘स्वास्थ्य की अनदेखी डराने वाली’

Kate Winslet ने प्लास्टिक सर्जरी और वज़न घटाने की दवाओं पर बढ़ती निर्भरता पर उठाए सवाल ‘स्वास्थ्य की अनदेखी डराने वाली’

प्रेषित समय :21:11:33 PM / Tue, Dec 9th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

हॉलीवुड की प्रतिष्ठित अभिनेत्री और ऑस्कर विजेता केट विंसलेट ने एक बार फिर मनोरंजन उद्योग में फैले उस चलन पर बेबाकी से अपनी बात रखी है, जिसकी चर्चा दुनिया भर में बढ़ती जा रही है—प्लास्टिक सर्जरी, ब्यूटी ट्रीटमेंट और तेजी से वजन घटाने वाली दवाओं पर निर्भरता। उम्र, शरीर और सुंदरता को लेकर समाज के बदलते मानदंडों के बीच केट विंसलेट का यह वक्तव्य न केवल फिल्म इंडस्ट्री बल्कि आम लोगों के बीच भी गहरी प्रतिक्रिया उत्पन्न कर रहा है। प्रसंशकों और विशेषज्ञों की नज़र में विंसलेट की बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह हमेशा ही प्राकृतिक सौंदर्य, आत्मस्वीकृति और स्वस्थ जीवनशैली की मुखर समर्थक रही हैं, और उनकी आवाज़ मनोरंजन जगत में एक संतुलित सोच का प्रतिनिधित्व करती है।

विंसलेट ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में साफ कहा कि उन्हें इंडस्ट्री में उभर रही एक नई प्रवृत्ति बेहद परेशान करती है। उनके मुताबिक कई युवा और मध्य-आयु वर्ग की महिला अभिनेत्री अपने करियर के शुरुआती चरण में ही प्लास्टिक सर्जरी, बोटॉक्स, फिलर्स और अब तेज़ वजन घटाने वाली दवाओं का सहारा लेने लगी हैं। सोशल मीडिया की चकाचौंध, कैमरों की नज़दीकी, लगातार बनी रहने वाली सार्वजनिक छवि की चिंता और तथाकथित ‘परफेक्ट लुक’ की चाह इस दबाव को और बढ़ा रही है। विंसलेट का मानना है कि इससे न केवल अभिनेत्रियाँ मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित होती हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी एक बेहद अवास्तविक मानक स्थापित किया जा रहा है।

उनकी सबसे बड़ी चिंता यह है कि सुंदरता को लेकर पैदा हो रहा यह जुनून स्वास्थ्य को पीछे धकेल रहा है। विंसलेट के शब्दों में, “स्वास्थ्य की जिस तरह अनदेखी की जा रही है, वह वाकई डराती है।” उनका कहना है कि किसी भी प्रकार की सर्जरी या दवाओं का उपयोग बिना लंबी सोच और चिकित्सकीय समझ के करना खतरनाक है, और इंडस्ट्री के भीतर जिस तरह यह सामान्य होता जा रहा है, वह चिंता का विषय है। वह यह भी कहती हैं कि तेज़ वजन घटाने वाली दवाएं, जिनका उपयोग हॉलीवुड और दुनिया के कई हिस्सों में तेजी से बढ़ा है, लंबे समय में शरीर पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। इन दवाओं का मनोरंजन उद्योग की जीवनशैली में शामिल हो जाना उन्हें सबसे अधिक चिंतित करता है।

केट विंसलेट कभी भी उन अभिनेत्रियों में शामिल नहीं रहीं जिन्होंने अपनी उम्र को छिपाने या बदलने की कोशिश की हो। उन्होंने हमेशा कहा है कि चेहरे पर आने वाली झुर्रियाँ जीवन के अनुभवों की कहानी कहती हैं और इन्हें छिपाना नहीं, बल्कि अपनाना चाहिए। वह कई बार सार्वजनिक रूप से इस बात का उल्लेख कर चुकी हैं कि उनकी तस्वीरों को अनावश्यक रूप से फोटोशॉप करने की कोशिश से भी वह सहमत नहीं होतीं। उनका मानना है कि जब एक प्रतिष्ठित अभिनेत्री खुद अपने वास्तविक रूप को स्वीकार करती है, तो इससे युवा कलाकारों में भी आत्मविश्वास पैदा होता है। इसी सोच के साथ उन्होंने हॉलीवुड की उस चमक-दमक पर सवाल उठाया है जो वास्तविकता से ज्यादा कल्पनाओं पर आधारित सौंदर्य को आगे बढ़ाती है।

विंसलेट का यह वक्तव्य ऐसे समय में आया है जब दुनिया भर में वजन घटाने वाली दवाओं की मांग बढ़ती दिखाई दे रही है। कई सेलिब्रिटी इन दवाओं का उपयोग करने की बात स्वीकार चुके हैं, और इससे सोशल मीडिया पर एक तरह का ‘स्लिम ट्रेंड’ बन गया है। लाखों युवा इन सितारों को देखते हुए अपने शरीर को उसी रूप में ढालने की कोशिश में लग जाते हैं, अक्सर बिना किसी चिकित्सीय सलाह के। विंसलेट इस बात पर जोर देती हैं कि प्रसिद्ध चेहरों को यह समझना चाहिए कि उनके हर बयान, हर फैसले और हर बदलाव का समाज पर असर होता है। जब सितारे किसी दवा या सर्जरी को अपने सौंदर्य का रहस्य बताकर सामान्य कर देते हैं, तो यह एक ऐसी सोच को जन्म देता है जहाँ प्राकृतिक सुंदरता को कमतर आंका जाने लगता है।

वह यह भी स्वीकार करती हैं कि मनोरंजन उद्योग में शारीरिक आकर्षण का महत्व हमेशा रहा है। कैमरा चेहरे के हर भाव, हर झुर्री और हर थकान को पकड़ लेता है। लेकिन इसके बावजूद उनका मानना है कि किसी भी कलाकार की पहचान उसके अभिनय, संवेदनशीलता, मेहनत और रचनात्मकता से बनती है, न कि चेहरे के कसाव या शरीर के अनुपात से। वह कहती हैं कि जब युवा कलाकार करियर की शुरुआत में ही अपने चेहरे पर कोई स्थायी बदलाव कर लेते हैं, तो वे अपने भावों और अभिव्यक्तियों की स्वाभाविकता को भी खो देते हैं, जिससे अभिनय के क्षेत्र में उनकी वास्तविक क्षमता प्रभावित हो सकती है।

विंसलेट के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर व्यापक प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कई लोग उनकी बात से सहमत हैं और बताते हैं कि वे खुद सोशल मीडिया के दबाव में कभी-कभी अपने शरीर को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं। कई युवा यह भी मानते हैं कि सितारों का खुले तौर पर ऐसी दवाओं और सर्जरी के प्रति सावधानी बरतने की सलाह देना एक सकारात्मक कदम है। वहीं, कुछ लोग यह तर्क भी दे रहे हैं कि हर व्यक्ति को अपने शरीर पर अधिकार है और यदि कोई अपनी पसंद से कोई बदलाव करना चाहता है तो यह उसका व्यक्तिगत निर्णय है। इस बहस के बीच भी विंसलेट का संदेश यह स्पष्ट करता है कि चिंता किसी की व्यक्तिगत पसंद की नहीं, बल्कि उस सामाजिक प्रवृत्ति की है जो अस्वास्थ्यकर आदतों को ‘ट्रेंड’ बना रही है।

मनोरंजन उद्योग में काम करने वाली कई वरिष्ठ अभिनेत्रियाँ भी समय-समय पर इसी तरह की बातें कह चुकी हैं। जूलियन मूर, सारा जेसिका पार्कर और एमा थॉम्पसन जैसी कलाकार भी इस बात पर जोर दे चुकी हैं कि उम्र को छिपाने की संस्कृति किसी भी महिला के आत्मसम्मान के लिए उचित नहीं है। केट विंसलेट का वक्तव्य इन्हीं आवाज़ों को और मज़बूत करता है। वह कहती हैं कि उद्योग इतने लंबे समय से महिलाओं पर एक तरह का दबाव डालता आया है कि परफेक्ट दिखना ही उनका सबसे बड़ा गुण है। जबकि सच यह है कि महिलाएँ अपनी प्रतिभा, मेहनत, नेतृत्व और सृजनात्मक क्षमता से कहीं अधिक बड़े योगदान देती हैं।

विंसलेट का ताज़ा बयान न केवल हॉलीवुड पर एक टिप्पणी है, बल्कि हर उस समाज पर भी है जहाँ सोशल मीडिया ने सौंदर्य को एक प्रतिस्पर्धा बना दिया है। वह यह याद दिलाती हैं कि स्वास्थ्य, मानसिक संतुलन और आत्मसम्मान किसी भी बाहरी रूप से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। उनकी आवाज़ उन लाखों युवाओं, कलाकारों और आम लोगों के लिए एक प्रकार का संतुलित संदेश है जो रूप-सौंदर्य की इस दौड़ में कहीं न कहीं उलझते जा रहे हैं।

उनकी यह स्पष्टवादिता एक व्यापक चर्चा को जन्म दे रही है—क्या मनोरंजन उद्योग को सौंदर्य के मानकों को लेकर खुद को पुनर्परिभाषित नहीं करना चाहिए? क्या सितारों को अपनी वास्तविकता दिखाने का साहस नहीं करना चाहिए, ताकि आम लोग भी खुद को उसी दृष्टि से स्वीकार कर सकें? विंसलेट का यह सवाल हर पाठक को सोचने पर मजबूर करता है कि क्या सौंदर्य के ऐसे मानक वास्तव में हमें आत्मविश्वास दे रहे हैं या धीरे-धीरे हमारी वास्तविकता को धुंधला करते जा रहे हैं।

केट विंसलेट का यह वक्तव्य शायद इस विषय पर अंतिम शब्द नहीं, पर निश्चित रूप से एक महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेप है—एक आवाज़ जो न केवल इंडस्ट्री बल्कि समाज को याद दिलाती है कि स्वास्थ्य से बड़ी कोई सुंदरता नहीं होती।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-