पिछले पांच सालों में 9 लाख भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता वैश्विक अवसरों की तलाश में बढ़ा प्रवासन का रुझान

पिछले पांच सालों में 9 लाख भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता वैश्विक अवसरों की तलाश में बढ़ा प्रवासन का रुझान

प्रेषित समय :21:37:04 PM / Tue, Dec 16th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली। भारतीय संसद में हाल ही में पेश किए गए एक बयान के अनुसार, 2020 से 2025 तक लगभग 9 लाख भारतीय नागरिकों ने स्वेच्छा से अपनी भारतीय नागरिकता त्याग दी। यह जानकारी विदेश मंत्रालय (MEA) ने साझा की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक अवसरों, परिवार पुनर्मिलन और बेहतर आर्थिक संभावनाओं की तलाश में कई भारतीय नागरिक अपने देश की नागरिकता छोड़ रहे हैं।

भारतीय नागरिकता त्यागना एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसे अपनाकर व्यक्ति किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करता है या अपने व्यक्तिगत कारणों से भारतीय नागरिकता नहीं बनाए रखना चाहता। भारतीय कानून के अनुसार, एक बार नागरिकता formally त्याग दी जाने के बाद द्वैध नागरिकता की अनुमति नहीं होती। ऐसे नागरिकों को ओवरसीज़ सिटीजन ऑफ़ इंडिया (OCI) कार्ड प्रदान किया जाता है, जो उन्हें भारत में जीवनभर निवास और यात्रा की सुविधा देता है।

नागरिकता छोड़ने वाले लोग भारत में वोट देने और सरकारी पद संभालने जैसे कुछ अधिकार खो देते हैं, लेकिन अपनी नई अपनाई गई देश की पूर्ण कानूनी सुविधाओं का लाभ उठाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में नागरिकता त्यागने का रुझान लगातार बढ़ा है। इसके पीछे शिक्षा, पेशेवर अवसर, परिवार पुनर्मिलन और जीवन स्तर को बेहतर बनाने जैसी प्रमुख वजहें हैं।

MEA के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ के देशों ने भारतीयों के लिए लंबे समय तक बसने के आकर्षक केंद्र बने हुए हैं। इन देशों में स्थिर नौकरी के अवसर, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं, और व्यापक वैश्विक यात्रा की स्वतंत्रता जैसी चीजें भारतीयों को आकर्षित करती हैं। यही कारण है कि ये देशों में बसने और नागरिकता अपनाने का रुझान लगातार बढ़ता जा रहा है।

नागरिकता त्यागने का प्रमुख कारण आर्थिक अवसर भी है। कई भारतीय अपने करियर को विदेश में आगे बढ़ाने के लिए उच्च वेतन, विशिष्ट नौकरियों और पेशेवर विकास के बेहतर अवसरों की तलाश में अपने देश की नागरिकता छोड़ते हैं। शिक्षा और परिवार पुनर्मिलन भी एक बड़ा कारण है। कई परिवार उन देशों में नागरिकता प्राप्त करना चाहते हैं, जहां उनके बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं या जहां परिवार के कई सदस्य पहले से बसे हुए हैं।

वैश्विक गतिशीलता भी एक महत्वपूर्ण कारण है। कुछ देशों के पास ऐसी पासपोर्ट सुविधाएं हैं, जो अधिक देशों में बिना वीजा यात्रा करने की अनुमति देती हैं। पेशेवर, उद्यमी और बार-बार यात्रा करने वाले लोग इस सुविधा को अपनी प्राथमिकता बनाते हैं। इसके अलावा जीवन स्तर के कारक जैसे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, सामाजिक सुरक्षा लाभ और सुरक्षित जीवन पर्यावरण भी नागरिकता त्यागने के पीछे एक बड़ी प्रेरणा हैं।

हालांकि भारतीय नागरिकता छोड़ देने के बावजूद, अधिकांश लोग भारत के साथ अपने भावनात्मक और सांस्कृतिक संबंध बनाए रखते हैं। वे अक्सर भारत की यात्रा करते हैं, परिवार और मित्रों से जुड़े रहते हैं और देश के त्योहारों और पारिवारिक अवसरों में भाग लेते हैं। इस भावनात्मक जुड़ाव को बनाए रखने के लिए सरकार ने ओवरसीज़ सिटीजन ऑफ़ इंडिया (OCI) कार्ड जैसी सुविधा प्रदान की है। OCI कार्ड धारक जीवन भर बिना वीज़ा के भारत की यात्रा कर सकते हैं, अधिकांश मामलों में पुलिस रजिस्ट्रेशन से छूट प्राप्त कर सकते हैं और कई आर्थिक, वित्तीय और शैक्षिक गतिविधियों में गैर-निवासी भारतीयों (NRI) के बराबर अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले पांच वर्षों में 9 लाख नागरिकों द्वारा भारतीय नागरिकता त्यागना एक बड़ा संकेत है कि भारत वैश्विक प्रवासन के पैटर्न में गहराई से जुड़ा हुआ है। यह प्रवृत्ति कुछ सवाल भी खड़े करती है, जैसे कि ‘ब्रेन ड्रेन’ की समस्या और घरेलू बाजार में कुशल पेशेवरों की कमी। वहीं, यह भारत की वैश्विक प्रतिभा उत्पादन क्षमता को भी दर्शाता है। नीति निर्माता अब इस चुनौती का सामना करते हुए यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर सकते हैं कि कुशल पेशेवरों को वापस आकर्षित करने के लिए अवसर उपलब्ध हों और देश में पेशेवर विकास के रास्ते भी खुले रहें।

नागरिकता त्यागने के आंकड़ों में साल दर साल वृद्धि देखी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रवृत्ति केवल पेशेवरों और छात्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि परिवारिक कारणों और बेहतर जीवन स्तर की तलाश में कई लोग इस कदम को अपनाते हैं। इसके पीछे सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा और रोजगार जैसे कारक भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

इस प्रवृत्ति के पीछे एक व्यापक वैश्विक परिप्रेक्ष्य भी है। दुनिया भर में लोग अधिक गतिशील और मोबाइल होते जा रहे हैं। उच्च शिक्षा और कौशल आधारित नौकरियों के अवसर देशों की सीमाओं को पार कर रहे हैं, और भारतीय नागरिकता त्यागने वाले लोग भी इसी वैश्विक प्रवासन का हिस्सा बन गए हैं। भारत की युवा और शिक्षित आबादी इस वैश्विक अवसरों के दायरे में लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे देश के सामाजिक और आर्थिक ढांचे पर भी इसका असर पड़ रहा है।

नीति निर्माताओं के लिए यह आंकड़ा सोचने की वजह है। भारत में उच्च शिक्षा और पेशेवर अवसरों को और अधिक सुलभ बनाना, वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बनाए रखना और कुशल श्रमिकों के लिए स्थानीय अवसर बढ़ाना आवश्यक हो गया है। वहीं, OCI और NRI जैसी सुविधाओं के माध्यम से उन नागरिकों को भारत से जोड़कर रखना भी एक महत्वपूर्ण कदम है, ताकि वे भारत में निवेश, रोजगार और सामाजिक योगदान में हिस्सा ले सकें।

पिछले पांच वर्षों में 9 लाख भारतीयों द्वारा नागरिकता त्यागना भारत की वैश्विक गतिशीलता में भागीदारी, बेहतर आर्थिक और सामाजिक अवसरों की तलाश, और पारिवारिक जरूरतों के कारणों का संकेत देता है। यह प्रवृत्ति न केवल प्रवासन के पैटर्न को दर्शाती है, बल्कि नीति निर्माण और भारत की वैश्विक रणनीति के लिए भी महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। भारतीय सरकार और समाज के लिए चुनौती और अवसर दोनों ही हैं—कैसे देश में कुशल और शिक्षित नागरिकों को बनाए रखा जाए और उन्हें वैश्विक अवसरों के बावजूद भारत के साथ जुड़े रखा जाए।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-