महाराष्ट्र सरकार के कद्दावर मंत्री माणिकराव कोकाटे का इस्तीफा और सियासत में आया भूचाल

महाराष्ट्र सरकार के कद्दावर मंत्री माणिकराव कोकाटे का इस्तीफा और सियासत में आया भूचाल

प्रेषित समय :20:15:24 PM / Thu, Dec 18th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

मुंबई. महाराष्ट्र की राजनीति में  उस वक्त एक बड़ा संवैधानिक और राजनीतिक संकट खड़ा हो गया जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दिग्गज नेता माणिकराव कोकाटे को अपने मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा. 18 दिसंबर 2025 की शाम ढलते-ढलते मुंबई के राजनीतिक गलियारों से आई इस खबर ने न केवल सत्ताधारी गठबंधन बल्कि पूरे देश की सियासत में हलचल पैदा कर दी है. यह पूरा घटनाक्रम किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है, जिसमें एक रसूखदार मंत्री को अदालत के एक फैसले के बाद अपनी कुर्सी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा. दरअसल, यह सारा विवाद एक फ्लैट अधिग्रहण मामले में दस्तावेजों की हेराफेरी और धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है, जिसमें अदालत ने कोकाटे को दोषी पाते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई है. जैसे ही अदालत का फैसला सार्वजनिक हुआ, विपक्षी दलों ने सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी थी, लेकिन आज मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा कोकाटे का इस्तीफा स्वीकार किए जाने के बाद इस पूरे ड्रामे पर फिलहाल विराम लगता दिख रहा है. जनता के बीच इस खबर को लेकर भारी उत्सुकता है क्योंकि माणिकराव कोकाटे कोई साधारण नेता नहीं हैं; वे महाराष्ट्र की राजनीति के वह मंझे हुए खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने समय के साथ अपनी वफादारियां बदलीं और सत्ता के केंद्र में बने रहे. कभी अविभाजित शिवसेना का चेहरा रहे कोकाटे ने बाद में कांग्रेस का हाथ थामा और 2023 में जब राकांपा में फूट पड़ी, तो वे अजित पवार के खेमे में शामिल होकर कैबिनेट मंत्री की कुर्सी तक जा पहुंचे थे.

खेल और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे कोकाटे पर आए इस अदालती फैसले ने अजित पवार गुट के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर कोकाटे का इस्तीफा स्वीकार करने का अनुरोध किया, जो इस बात का संकेत है कि गठबंधन सरकार अब किसी भी तरह के दागदार चेहरे को साथ लेकर चलने का जोखिम नहीं उठाना चाहती. लोगों के मन में सबसे बड़ी जिज्ञासा इस बात को लेकर है कि आखिर इतने ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति ने एक फ्लैट के लिए कानून के साथ खिलवाड़ क्यों किया. अदालत की टिप्पणियों ने साफ कर दिया है कि सत्ता का रसूख कानून से ऊपर नहीं हो सकता. जैसे ही यह खबर मुंबई से निकलकर महाराष्ट्र के गांवों और शहरों तक पहुंची, सोशल मीडिया पर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया कि क्या अब कोकाटे की विधायकी भी खतरे में पड़ जाएगी. कानून के जानकारों का मानना है कि दो साल की सजा जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अयोग्यता का आधार बन सकती है, जिसने कोकाटे के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है.

प्रशासनिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि कोकाटे के विभागों का प्रभार अब किसे सौंपा जाएगा. बुधवार को ही उनसे उनके पोर्टफोलियो वापस ले लिए गए थे, जिससे यह साफ हो गया था कि उनकी विदाई तय है. यह इस्तीफा केवल एक व्यक्ति का पद छोड़ना नहीं है, बल्कि यह महाराष्ट्र की महायुति सरकार के भीतर चल रहे शक्ति संतुलन और नैतिक दबाव की कहानी भी कहता है. विपक्षी दल अब इस मुद्दे को लेकर आक्रामक हैं और सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि ऐसे 'दागी' नेताओं को कैबिनेट में जगह ही क्यों दी गई थी. वहीं, कोकाटे के समर्थकों में मायूसी का माहौल है, जो इसे उनके खिलाफ एक राजनीतिक साजिश करार दे रहे हैं. लेकिन दस्तावेजों में की गई छेड़छाड़ और अदालत की सख्त टिप्पणी ने बचाव के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं. इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भारतीय राजनीति में पदों की चमक-धमक कानून की लंबी पहुंच के सामने फीकी पड़ जाती है.

अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि जेल की सजा के खिलाफ कोकाटे ऊपरी अदालत में अपील करते हैं या उन्हें सलाखों के पीछे जाना पड़ेगा. महाराष्ट्र की जनता इस हाई-प्रोफाइल मामले के हर एक अपडेट को बारीकी से देख रही है, क्योंकि यह मामला सीधे तौर पर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग से जुड़ा है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अजित पवार अपनी पार्टी की छवि बचाने के लिए और क्या कदम उठाते हैं और इस खाली हुए मंत्री पद की रेस में अब कौन सा नया चेहरा सामने आता है. फिलहाल, माणिकराव कोकाटे का इस्तीफा महाराष्ट्र की सत्ता नीति में एक बड़े अध्याय का अंत और नए विवादों का आगाज माना जा रहा है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-