स्टेट बार काउंसिल सचिव की नियुक्ति हाईकोर्ट ने रद्द की, एलडीसी पद पर लौटने के आदेश

स्टेट बार काउंसिल सचिव की नियुक्ति हाईकोर्ट ने रद्द की, एलडीसी पद पर लौटने के आदेश

प्रेषित समय :15:35:16 PM / Sat, Dec 20th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. एमपी हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्टेट बार काउंसिल ऑफ मध्यप्रदेश की सचिव गीता शुक्ला की नियुक्ति को अवैधानिक करार दिया है. कोर्ट ने कहा कि यह नियुक्ति अधिवक्ता अधिनियम 1961 और मध्यप्रदेश राज्य बार काउंसिल नियमों का उल्लंघन कर की गई है.

याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य अधिवक्ता परिषद के उन दोनों आदेशों को निरस्त कर दिया. जिनके तहत गीता शुक्ला को पहले सहायक सचिव और फिर सचिव नियुक्त किया गया था. चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने गीता शुक्ला को तत्काल प्रभाव से एलडीसी (लोअर डिवीजन क्लर्क) के पद पर रिवर्ट करने के निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि सहायक सचिव और सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति नियमों के अनुसार ही की जानी चाहिए. कोर्ट ने स्टेट बार काउंसिल को निर्देश दिए हैं कि दो माह के भीतर नियमानुसार योग्य अभ्यर्थी की सहायक सचिव एवं सचिव पद पर नियुक्ति की जाए और इस अवधि में किसी योग्य व्यक्ति को एडहॉक सचिव के रूप में नियुक्त किया जाए.

खंडपीठ ने कहा कि सचिव का पद अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसके लिए नियमों में आवश्यक योग्यताएं निर्धारित हैं, जिन्हें पूरा करना अनिवार्य है. कोर्ट ने पाया कि स्टेट बार काउंसिल ने पहले गीता शुक्ला को 31 जनवरी 2022 को एलडीसी से सहायक सचिव पद पर पदोन्नत किया और फिर 9 जुलाई 2024 को उन्हें सचिव नियुक्त कर दिया. यह पूरी प्रक्रिया अधिवक्ता अधिनियम और बार काउंसिल नियमों के विपरीत है. यह याचिका स्टेट बार काउंसिल के सदस्य शैलेंद्र वर्मा, अहदुल्ला उसमानी, हितोषी जय हर्डिया, अखंड प्रताप सिंह व नरेंद्र जैन द्वारा दायर की गई थी. याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि गीता शुक्ला को बिना योग्यता आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गयाए जो पूरी तरह अवैधानिक है.

याचिका में बताया गया कि सहायक सचिव पद पर नियुक्ति के लिए अधिवक्ताओं से आवेदन आमंत्रित किए गए थे. कई अधिवक्ताओं ने आवेदन किया था. गीता शुक्ला ने भी आवेदन में खुद को 8 वर्ष का वकालत अनुभव बताया. इस पद के लिए 1 मार्च 2019 को परीक्षा आयोजित की गई थी. जिसमें टॉप करने वाले अभ्यर्थी को 40 अंक मिले, गीता शुक्ला को मात्र 5 अंक प्राप्त हुए और उनका स्थान 12वां था. इसके बावजूद परीक्षा परिणामों की अनदेखी कर तत्कालीन स्टेट बार काउंसिल अध्यक्ष द्वारा उन्हें सहायक सचिव बना दिया गया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-