भारत के टेलीकॉम सेक्टर में एक ऐसा बदलाव आने वाला है जो इंटरनेट की परिभाषा को हमेशा के लिए बदल देगा। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलॉन मस्क की कंपनी 'स्टारलिंक' अब भारत में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने के बेहद करीब है। पिछले कुछ महीनों से चल रही अटकलों और विनियामक प्रक्रियाओं के बाद, दिसंबर 2025 के अंत तक यह साफ हो चुका है कि स्टारलिंक ने न केवल दिल्ली के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में अपना पहला भारतीय कार्यालय खोल लिया है, बल्कि बेंगलुरु में अपनी टीम खड़ी करने के लिए बड़े पैमाने पर भर्तियां भी शुरू कर दी हैं। देश के सुदूर इलाकों, पहाड़ों और जंगलों में रहने वाले लोगों के लिए यह खबर किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि अब बिना किसी केबल या मोबाइल टावर के सीधे आसमान से हाई-स्पीड इंटरनेट उनके घर तक पहुंचेगा। सोशल मीडिया और टेक गलियारों में इस समय केवल एक ही सवाल गूंज रहा है कि आखिर आम आदमी की जेब पर इसका कितना बोझ पड़ेगा और यह सेवा कब से लाइव होगी।
स्टारलिंक की भारत में एंट्री को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा इसके 'कीमत और प्लान' को लेकर हो रही है। हाल ही में कंपनी की वेबसाइट पर एक तकनीकी खराबी (ग्लिच) के कारण कुछ कीमतें दिखाई दी थीं, जिन्हें बाद में हटा दिया गया। हालांकि, लीक हुई रिपोर्ट्स और वैश्विक मानकों के अनुसार, भारत में स्टारलिंक का सेटअप शुल्क लगभग 34,000 रुपये के आसपास हो सकता है, जिसमें सैटेलाइट डिश, राउटर और अन्य जरूरी उपकरण मिलेंगे। मासिक प्लान को लेकर दो तरह की खबरें हैं; जहाँ शुरुआती रिपोर्ट्स में इसे 3,000 से 6,000 रुपये के बीच बताया गया था, वहीं ताजा लीक में आवासीय (Residential) प्लान की कीमत 8,600 रुपये प्रति माह होने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि, भारतीय बाजार की संवेदनशीलता को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि स्टारलिंक को रिलायंस जियो और एयरटेल जैसे प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबला करने के लिए अपनी कीमतों में और सुधार करना पड़ सकता है।
स्पीड के मामले में स्टारलिंक किसी भी पारंपरिक ब्रॉडबैंड को कड़ी टक्कर देने वाला है। उम्मीद की जा रही है कि यूजर्स को 25 Mbps से लेकर 225 Mbps तक की जबरदस्त डाउनलोड स्पीड मिलेगी। सैटेलाइट इंटरनेट होने के बावजूद इसकी 'लेटेंसी' यानी डेटा ट्रांसफर की देरी बहुत कम (25 से 60 मिलीसेकंड) रहने का दावा किया गया है, जो ऑनलाइन गेमिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए बेहतरीन है। स्टारलिंक ने स्पष्ट किया है कि उनकी सेवा मुख्य रूप से उन क्षेत्रों के लिए है जहाँ फाइबर ऑप्टिक या 5G नेटवर्क नहीं पहुंच पाता है। शहरी इलाकों में जहाँ इंटरनेट पहले से ही सस्ता है, वहाँ स्टारलिंक एक 'प्रीमियम' विकल्प के रूप में उभरेगा, लेकिन ग्रामीण भारत के लिए यह एक जीवन बदलने वाली तकनीक साबित होगी।
सरकार की ओर से स्टारलिंक को लेकर कुछ सख्त नियम भी बनाए गए हैं। सुरक्षा कारणों से भारत सरकार ने शुरुआती तौर पर स्टारलिंक के लिए केवल 20 लाख (2 मिलियन) कनेक्शन की सीमा तय की है। इसके अलावा, कंपनी को अपने गेटवे स्टेशनों को केवल भारतीय नागरिकों द्वारा संचालित करने और डेटा को भारत के भीतर ही स्टोर करने के निर्देश दिए गए हैं। स्टारलिंक ने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में अपने गेटवे अर्थ स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई है, जो स्पेसएक्स के सैटेलाइट्स और भारतीय जमीन के बीच एक मजबूत पुल का काम करेंगे। टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और एलॉन मस्क के बीच हुई हालिया बातचीत ने इन अटकलों को और हवा दी है कि जनवरी 2026 तक देश में इस सेवा का औपचारिक उद्घाटन हो सकता है।
जैसे-जैसे 2025 का साल खत्म हो रहा है, भारत में सैटेलाइट इंटरनेट का बाजार गर्म होता जा रहा है। स्टारलिंक का मुकाबला केवल पारंपरिक कंपनियों से नहीं, बल्कि रिलायंस जियो के 'स्पेस फाइबर' और ईयूटेलसैट (Eutelsat) के 'वनवेब' से भी है। इस 'स्पेस वॉर' का सीधा फायदा भारतीय उपभोक्ताओं को होगा, जिन्हें अब कनेक्टिविटी के नए और बेहतर विकल्प मिलेंगे। आज हर तकनीक प्रेमी की नजर इस बात पर टिकी है कि क्या मस्क का यह 'ब्रॉडबैंड फ्रॉम द स्काई' भारत के डिजिटल अंतराल को पूरी तरह खत्म कर पाएगा। स्टारलिंक की एंट्री न केवल इंटरनेट की गति बढ़ाएगी, बल्कि यह देश के आर्थिक विकास और शिक्षा के क्षेत्र में भी एक नई क्रांति का सूत्रपात करेगी।
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