AajKaDin: 26 दिसम्बर 2025, जीवन के दुःख नष्ट करे... मासिक त्रिपुराष्टमी!

AajKaDin: 26 दिसम्बर 2025, जीवन के दुःख नष्ट करे... मासिक त्रिपुराष्टमी!

प्रेषित समय :22:03:20 PM / Thu, Dec 25th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर (व्हाट्सएप- 8875863494)
* मासिक दुर्गाष्टमी - 28 दिसम्बर 2025, रविवार
* शुक्ल अष्टमी प्रारम्भ - 01:09 पीएम, 27 दिसम्बर 2025
* शुक्ल अष्टमी समाप्त - 11:59 एएम, 28 दिसम्बर 2025

देवीभक्तों के लिए प्रति माह की त्रिपुराष्टमी, दुर्गाष्टमी का बड़ा ही महत्व है. हर माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर त्रिपुराष्टमी, दुर्गाष्टमी व्रत-पूजा की जाती है. यह मासिक त्रिपुराष्टमी, दुर्गाष्टमी कहलाती है. इस दौरान देवीभक्त मातारानी की पूजा करते हैं और पूरे दिन का व्रत रखते हैं. प्रमुख त्रिपुराष्टमी, दुर्गाष्टमी, जो महाष्टमी कहलाती है, आश्विन माह में नौ दिवसीय शारदीय नवरात्रि उत्सव के दौरान आती है.
त्रिपुराष्टमी पर देवी त्रिपुरा सुंदरी का मन्त्रों से विधिपूर्वक पूजन किया जाता है, मातारानी को प्रसन्न करने के लिए हवन होता है तथा उबाले हुए चने, हलवा-पूरी, खीर आदि का भोग लगाया जाता है. विविध शक्तिपीठों में इस दिन बड़ा उत्सव होता है.
त्रिपुराष्टमी, दुर्गाष्टमी पर मातारानी के भक्त उनके दुर्गा-काली-भवानी-जगदम्बा-नवदुर्गा-आदि विविध स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं. मातारानी को शुद्ध जल से पवित्र स्नान करवाकर वस्त्राभूषणों से शृंगार किया जाता है. तत्पश्चात विधिविधान से पूजा की जाती है. हवन की अग्नि प्रज्ज्वलित कर धूप, कपूर, घी, गुग्गुल और हवन सामग्री की आहुतियां दी जाती हैं. देवी आराधना से व्यक्ति को मानसिक शांति के साथ-साथ आध्यात्मिक शक्ति भी प्राप्त होती है जो देवी भक्त की सदैव रक्षा करती है...
पूजा के बाद आरती अवश्य करें-
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी,
तुम को निस दिन ध्यावत,
मैयाजी को निस दिन ध्यावत
हरि-ब्रह्मा-शिवजी,
..जय अम्बे गौरी..
मांग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को,
मैया टीको मृगमद को,
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको,
..जय अम्बे गौरी..
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे,
मैया रक्ताम्बर साजे,
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे,
..जय अम्बे गौरी..
केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी,
मैया खड्ग कृपाण धारी,
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी,
..जय अम्बे गौरी..
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती,
मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर,
सम राजत ज्योति,
..जय अम्बे गौरी..
शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर घाती,
मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना
निशदिन मदमाती,
..जय अम्बे गौरी..
चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे,
मैया शोणित बीज हरे,
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे,
..जय अम्बे गौरी..
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी,
मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी,
..जय अम्बे गौरी..
चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों,
मैया नृत्य करत भैरों,
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू,
..जय अम्बे गौरी..
तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता,
मैया तुम ही हो भर्ता,
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता,
..जय अम्बे गौरी..
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी,
मैया वर मुद्रा धारी,
मन वाँछित फल पावत देवता नर-नारी,
..जय अम्बे गौरी..
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती,
मैया अगर कपूर बाती,
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती,
..जय अम्बे गौरी..
माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे,
मैया जो कोई नर गावे,
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे,
..जय अम्बे गौरी..
दैनिक चौघड़िया - 26 दिसम्बर 2025
* दिन का चौघड़िया
चर - 07:17 से 08:37
लाभ - 08:37 से 09:57
अमृत - 09:57 से 11:16
काल - 11:16 से 12:36
शुभ - 12:36 से 01:55
रोग - 01:55 से 03:15
उद्वेग - 03:15 से 04:35
चर - 04:35 से 05:54
* रात्रि का चौघड़िया
रोग - 05:54 से 07:35
काल - 07:35 से 09:15
लाभ - 09:15 से 10:56
उद्वेग - 10:56 से 12:36
शुभ - 12:36 से 02:16
अमृत - 02:16 से 03:57
चर - 03:57 से 05:37
रोग - 05:37 से 07:18 
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, विभिन्न पंचांगों, धर्मग्रथों से साभार ली गई है, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-