देशद्रोह है अय्यर का पाकिस्तान प्रेम

देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब भी कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं तो वे किसी राजनीतिक दल को समाप्त करने की बात नहीं करते. उनके कहने का आशय यही होता है कि लम्बे समय तक देश ने जिस कांग्रेस संस्कृति (सीधे शब्दों में कहा जाए तो विकृति) का साक्षात्कार किया था, उससे देश को मुक्ति मिले. देश की आजादी के बाद आज देश को जिस स्थिति में होना चाहिए था, कांग्रेस रुपी विकृति ने वहां तक पहुंचने में बहुत बड़े अवरोधक का काम किया. देश में सत्ता का संचालन करते हुए कांग्रेस के नेता निरंकुशता की ओर ही बढ़ते जा रहे थे. उन्हें यह भी पता नहीं था कि वे जो भी बोल रहे हैं, उसका सरल अर्थ क्या था? अपने वक्तव्यों के माध्यम से कांग्रेस के नेताओं ने भारत को तोड़ने का सपना देखने वालों का गुणगान किया. उनसे प्यार भरी भाषा का बखान किया. देश के खजाने का दुरुपयोग किया. भारत की रग-रग में भ्रष्टाचार को प्रवाहित किया. इतना ही नहीं, पाकिस्तान जाकर भारत की बुराई तक की. यही कांग्रेस की संस्कृति है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसी को समाप्त करने की बात कहते हैं. जो समाप्त होना ही चाहिए.
लम्बे समय तक कांग्रेस की राजनीति करने वाले मणिशंकर अय्यर अपनी बातों से अब भी कांग्रेस की शैली को अपनाए हुए दिख रहे हैं. वैसे तो कई अवसरों पर कांग्रेस की राजनीति में ऐसा भी देखने को मिला है कि जिससे वह घर का भेदी लंका ढाए वाली उक्ति के साथ फिट बैठ रही है. अभी हाल ही में कांग्रेस के निलंबित नेता मणिशंकर अय्यर ने एक बार फिर से पाकिस्तान के प्रति प्रेम का प्रदर्शन किया है. वह भी एक ऐसे देश से जो भारत का स्थायी दुश्मन भी है. दुश्मन के साथ प्रेम का प्रदर्शन करना निश्चित रुप से अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा ही कृत्य कहा जाएगा. वर्तमान में मणिशंकर अय्यर पूरी तरह से घर के भेदी ही सिद्ध होने की श्रेणी आ रहे हैं. उन्हें पाकिस्तान में जाकर भारत विरोधी बात बिलकुल नहीं करना चाहिए.
मणिशंकर अय्यर ने कहा है कि मैं पाकिस्तान से प्यार करता हूं. यानी मणिशंकर अय्यर की नजर में भारत और पाकिस्तान एक ही श्रेणी के देश हैं. जो ठीक नहीं है, क्योंकि मातृ भूमि की तुलना किसी भी देश नहीं की जा सकती. भारत मातृ भूमि है. यहां सवाल यह भी आता है कि मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान से प्यार करते हैं तो क्या उसे भी अपनी मातृ भूमि के समान ही मानते हैं? वे कहते हैं कि मुझे पाकिस्तान से प्यार है, पाकिस्तान में मुझे जितना प्यार मिलता है, उतनी हिन्दुस्तान में नफरत मिलती है. अब मणिशंकर अय्यर को कौन समझाए कि जिस देश की जनता पूरे पाकिस्तान को अपना दुश्मन मानती है, सीमा पर पनप रहे आतंकवाद के माध्यम से वह देश की शांति छीन रहा है, ऐसे देश के प्रति अपने प्रेम का प्रदर्शन करने पर देश की जनता नफरत नहीं करेगी तो क्या प्यार करेगी. पाकिस्तान के प्रति प्रेम का प्रदर्शन करने वाले वर्तमान में मणिशंकर अय्यर के बयान से ऐसा लगता है कि पाकिस्तान ही उनके लिए मातृ भूमि है. ऐसे बयानों से यह स्वाभाविक ही है कि उनके बारे में देश में प्रतिक्रिया होनी ही थी. इससे भारत की जनता उनके विरोध में आ गई. केवल भारत की जनता ही नहीं, बल्कि अब तो कांगे्रस में भी मणिशंकर अय्यर के विरोध में वातावरण बनता दिखाई देने लगा है. कांग्रेस के एक नेता हनुमंत राव ने तो यहां तक कह दिया है कि मणिशंकर अय्यर ने कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में पराजित करवाया है, वहीं गुजरात में भी सरकार नहीं बनने दी और अब कर्नाटक में भी कांग्रेस को हराना चाहते हैं. यह सभी जानते हैं कि आज देश की जनता पाकिस्तान के विरोध में अपने स्वर मुखरित कर रही है. मणिशंकर अय्यर के बयान के बाद जनता में नाराजी के स्वर भी बढ़े हैं. गुजरात चुनावों के दौरान भी मणिशंकर अय्यर ने देश के अति सम्मानजनक पद की जिम्मेदारी निभाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नीच शब्द से संबोधित किया था. नरेन्द्र मोदी अब पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं, मणिशंकर अय्यर के भी हैं, इसलिए उनके द्वारा नीच कहा जाना पूरे भारत का अपमान ही था. बाद में हालांकि मणिशंकर अय्यर ने माफी भी मांगी थी, लेकिन इसी बयान के कारण उन्हें कांग्रेस से निलंबन की सजा भी मिली. इसके बाद मणिशंकर अय्यर को सुधर जाना चाहिए, लेकिन सजा मिलने के बाद भी उनमें किसी प्रकार का सुधार नहीं हुआ.
मणिशंकर अय्यर देश की जनता की भावनाओं पर नमक छिड़कने का दुस्साहस करने की चेष्टा करते हुए दिखाई दे रहे हैं. वास्तव में कांग्रेस की दुर्गति का कारण उसके अपने ही वे नेता हैं जो बिना सोचे समझे बयान दे रहे हैं, उन्हें इतना भी नहीं पता कि पाकिस्तान क्या है और वह भारत के विरोध में कैसे कैसे षड़यंत्र कर रहा है. वैसे मणिशंकर अय्यर का पाकिस्तान प्रेम का यह पहला वक्तव्य नहीं है, इससे पहले भी वह भारत की मोदी सरकार को पद च्युत करने के लिए पाकिस्तान से समर्थन मांग चुके हैं. यहां यह सवाल आता है कि मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान से ही क्यों हमदर्दी दिखाते हैं. इसके नेपथ्य में क्या कारण हो सकते हैं? इसका उत्तर तलाशना कठिन अवश्य है, परंतु यह साफ है कि पाकिस्तान से समर्थन मांगना कहीं न कहीं हिन्दुस्थान की बर्बादी का मार्ग तैयार करने जैसा ही है. मणिशंकर अय्यर जितना पाकिस्तान से प्रेम का प्रदर्शन कर रहे हैं, उतना अगर हिन्दुस्थान को अपने दिल में उतार लें तो वह कभी पाकिस्तान के बारे में सोच भी नहीं सकते. मणिशंकर अय्यर के बयान से यह साफ हो जाता है कि वह भारत से कितना प्यार करते होंगे. अगर भारत से प्यार है तो वह स्वभाव में भी दिखना चाहिए, लेकिन मणिशंकर अय्यर के स्वभाव में देश भाव नहीं है. मणिशंकर अय्यर का बयान सीमा पर शहीद हो रहे सैनिकों के प्रति असम्मान का भाव प्रवाहित करता हुआ दिखाई दे रहा है, जो पाकिस्तान हमारे सैनिकों के साथ खून की होली खेल रहा है, उसके प्रति रागात्मक सहानुभूति का प्रदर्शन करना प्रथम दृष्टया राष्ट्र द्रोह की श्रेणी में ही आता है. ऐसे में उन्हें भारत में रहने का कोई अधिकार ही नहीं है, वे अब पाकिस्तान में ही बस जाएं तो ज्यादा अच्छा रहेगा. पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में की जा रही पत्थरबाजी पर अब हालांकि रोक लग चुकी है, लेकिन लगता है यह रोक कांग्रेस के नेताओं को पसंद नहीं आ रही है. कांग्रेस के नेता हमेशा ही ऐसे बयान देते रहे हैं, जिससे पाकिस्तान को समर्थन मिलता है. दिग्विजय सिंह भी आतंकियों के बारे में सम्मान जनक भाषा का उपयोग कर चुके हैं. कांग्रेस के नेताओं ने ओसामा जी और हाफिज सईद साहब जैसे संबोधन भी दिए हैं. क्या यह राष्ट्र द्रोह नहीं है? अगर है तो वैसी कार्यवाही भी होना चाहिए.

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