क्या शिक्षक पात्रता परीक्षा अभ्यर्थियों के साथ सरकारी ठगी है ?

देश भर में शिक्षकों की भर्ती के लिए पिछले डेढ़ दशक से शिक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन किया जाता है, इस परीक्षा की खास बात ये है कि केंद्रीय शिक्षक पात्रता के अलावा सभी राज्य सरकारें अपनी तरफ से अलग-अलग राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित करवाती है. केंद्रीय पात्रता परीक्षा तो साल में दो-दो बार आयोजित की जाती है. मगर इन पात्रता पास अभ्यर्थियों में से मुश्किल से एक प्रतिशत को लम्बे  इंतज़ार  के बाद शिक्षक बनने का मौका मिल पाता है. आखिर ये बेरोजगार युवाओं को लूटने का तरीका बंद क्यों नहीं होता? नई शिक्षा नीति में इस लूट प्रथा पर नकेल क्यों नहीं लगाई गई?


आखिर क्यों केंद्रीय शिक्षक पात्रता पास युवाओं को राज्य में भी अलग से पात्रता उत्तीर्ण करनी पड़ती है. मकसद साफ़ है परीक्षा के नाम पर पैसों की लूट. राजस्थान राज्य सम्भवत एक ऐसा राज्य है जो शिक्षक पात्रता परीक्षा तभी लेता है जब वहां शिक्षकों की भर्ती निकलती है. उसी आधार पर वहां पात्रता परीक्षा आयोजित होती है और कट ऑफ निर्धारित होती है. कितना अच्छा तरीका है ये. आखिर केंद्र और अन्य राज्य इस राजस्थानी पद्धति को नहीं अपनाते? बाकी राज्यों के अभ्यर्थियों को बार-बार परीक्षाओं के नाम पर क्यों ठगा जाता है?

जाहिर है हरियाणा में हर साल लगभग पांच पांच लाख अभ्यर्थी शिक्षक पात्रता परीक्षा में हर पेपर के लिए एक हज़ार रुपए की फीस भरकर बैठते है. नतीज़न सरकार को अरबों की कमाई होती है. लेकिन सरकार को तो कमाई होती है,  इसके बदले युवाओं के सपने बिक जाते है. हरियाणा में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती हुए लगभग दस साल हो गए है. बाकी शिक्षक भर्तियों का भी यही हाल है. जब सरकार को भर्ती ही नहीं करनी तो क्यों सरकार बार-बार ये परीक्षा करवाकर बेरोजगारों को शिक्षक बनाने के नाम पर ठग कर रही है.

बार-बार शिक्षक पात्रता परीक्षा का शिक्षकों की भर्ती के अभाव में क्या औचित्य है? सच में ये बेरोजगार युवाओं को लूटने का सरकारी धंधा बन गया है. हरियाणा में दस-दस बार शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर चुके युवाओं को अभी तक नौकरी की कोई आस नहीं है. इस बात का सबसे बड़ा सबूत  ये है कि सरकार को भर्ती के अभाव में इनकी पात्रता को मजबूर होकर पांच साल से सात करना पड़ा.  हरियाणा में आगामी शिक्षक पात्रता परीक्षा का बेरोजगारों को लूटने के अलावा कोई औचित्य नहीं है. अगर सरकार को शिक्षकों कि आवश्यकता ही है तो पहले से उत्तीर्ण युवाओं को नौकरी क्यों नहीं दी जा रही. कोरोना के चलते जब भर्ती परीक्षाओं को रोक दिया है तो शिक्षक पात्रता करवाने के पीछे लूटने के अलावा कौन सी मंशा है. युवाओं को इसका एक सुर में विरोध करना चाहिए.

मेरा मकसद इन परीक्षाओं की रोक का कतई नहीं है. ये परीक्षा ली जाये और पारदर्शी तरिके से ली जाये. मगर तभी ली जाये जब भर्ती आ जाये. भर्ती घोषणा के उपरांत सरकार पात्रता परीक्षा ले ताकि उत्तीर्ण युवा भर्ती में भाग ले सके. या फिर सरकार इस बात की गारंटी दे की दो साल में एक बार शिक्षक भर्ती अवश्य होगी. और उत्तीर्ण प्रतिशत भी भर्ती के एक अनुपात में हो ताकि प्रतिभाशाली युवा शिक्षक बन सके.मगर हरियाणा जहां हर साल शिक्षक पात्रता परीक्षा ली जाती है वहां उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की पांच साल की पात्र अवधी दो-दो बार समाप्त हो चुकी है मगर भर्ती नहीं आई. ऐसे में इस परीक्षा का क्या औचित्य है? इसलिए शिक्षक पात्रता अवधि नेट की तरह आजीवन करने कि सख्त जरूरत है.

हरियाणा के  स्कूलों में अध्यापकों की भर्ती के लिए हज़ारों पद खाली है लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने वालों की कोई सुध नहीं ले रही है.इनकी नियुक्तियों को लेकर अधिकारी भी कुछ बोलने से कतरा रहे हैं.ऐसे में हर स्तर की परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को लेकर सालों बाद भी सरकार कोई निर्णय नहीं ले सकी है.हरियाणा बोर्ड की ओर से आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा में हर साल लाखों अभ्यर्थी क्रमश: प्राथमिक, जूनियर और सीनियर स्तर की परीक्षा में उत्तीर्ण होते है।

शिक्षा विभाग हरियाणा में जेबीटी के करीब 9 हजार रिक्त पदों पर रेगुलर जेबीटी शिक्षकों की भर्ती करने की मांग को लेकर प्रदेशभर के जेबीटी पात्रता पास उम्मीदवारों ने पिछले कई सालों से विरोध जताना शुरू कर रखा है मगर सरकार इसकी तरफ ध्यान दिए बगैर हर साल नई पात्रता परीक्षा ले लेती है.मगर शिक्षक भर्ती नहीं करती. जेबीटी एचटेट पास एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष  के अनुसार प्रदेश के शिक्षा विभाग में जेबीटी शिक्षकों के करीब दस हजार पद सालों से खाली हैं, जिन पर रेगुलर जेबीटी भर्ती की जानी है.मगर इन  पदों को भरने में सरकार कोई रूचि नहीं ले रही. ये बेरोजगारों के साथ खेल नहीं है तो क्या है?

सरकार की ओर से  स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती  नहीं निकाली जाती अगर निकाल दी जाती है, तो सालों तक पूरी नहीं होती. ऐसे में ये परीक्षा पास करने वालों की कोई सुध नहीं ली जा रही है.प्रदेश सरकार की ओर से प्राथमिक और जूनियर  स्तर पर भर्ती को लेकर कोई निर्णय नहीं होने से शिक्षकों की कमी का खामियाजा बच्चे भुगत रहे हैं.शिक्षकों की भर्ती नहीं होने से प्राथमिक विभाग एवं  गणित और विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों में बच्चों की नींव मजबूत नहीं हो पा रही है।

और आज जब कोरोना के नाम पर सरकार ने सभी भर्ती परीक्षाओं पर रोक लगा रखी है तो ये परीक्षा लेने की सरकारों को क्या जल्दी है. ये पब्लिक है जनाब सब जानती है. इन परीक्षाओं का देश भर में एक सुर में विरोध होना चाहिए. तभी ये लूट परीक्षा बंद होगी. पिछले 8 सालों से हरियाणा सरकार जेबीटी शिक्षकों की भर्ती नहीं कर रही है.एचटेट पात्रता परीक्षा प्रमाण पत्र सात साल के लिए मान्य है और पिछले 8 सालों से जेबीटी शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन ही जारी नहीं हुआ.इसलिए लाखों की संख्या में एचटेट पास पात्र अभ्यर्थियों का प्रमाणपत्र बिना भर्ती में शामिल हुए अमान्य हो जाएगा।

युवाओं को इस पात्रता परीक्षा का खुलकर विरोध करना चाहिए और अपनी बात सरकार के समकक्ष रखकर इसका स्थायी समाधान निकलवाना चाहिए अन्यथा ये ठगी जारी रहेगी और बेरोजगार शिक्षक  पात्र अभ्यर्थी भर्ती के नाम पर लुटते रहेंगे.

प्रियंका सौरभ के अन्य अभिमत

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