नजरिया. नीतीश कुमार की कैबिनेट का विस्तार तो हो गया, लेकिन इसके साथ ही बागी स्वर भी बुलंद हो गए हैं.

इसे लेकर बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह की नाराजगी सामने आई है, जिन्होंने न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि- इस बार के मंत्रिमंडल में साफ सुथरी छवि वाले नेताओं को पीछे करके दागियों को मंत्री बनाया गया है. इस तरह के विस्तार से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचेगा.

उन्होंने कहा कि कैबिनेट विस्तार को लेकर मेरी सबसे बड़ी आपत्ति है कि इसमें जातीय संतुलन, क्षेत्रीय संतुलन और अनुभव संतुलन पर ध्यान नहीं दिया गया है. कहीं-कहीं से तीन-तीन मंत्री बनाए गए और कहीं से एक भी मंत्री नहीं बनाया गया. साफ सुथरी छवि वाले नेताओं को दरकिनार करके दागियों को मंत्री बनाया गया है.

ज्ञानेंद्र सिंह का यह भी कहना है कि सबसे ज्यादा अपर कास्ट के लोग जीतकर आए हैं. करीब पचास प्रतिशत उच्च जाति के लोग बीजेपी से जीतकर आए हैं, उन्हें उप-मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया जबकि दूसरों को बनाया गया.

जब उनसे यह पूछा गया कि- क्या कहीं आपको मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया, इसलिए तो नाराजगी नहीं है? इस पर उन्होंने कहा कि- मुझे जगह नहीं मिली, इसकी चिंता नहीं है. हम मंत्री से अच्छी हैसियत में हैं. मंत्रियों की क्या हैसियत है, इस सरकार में, वो सबको पता है. चिंता यह है कि पार्टी कमजोर हो रही है. कुछ जातिवादी लोग हैं, जो पार्टी को कमजोर कर रहे हैं.

जाहिर है, बीजेपी के अंदर जो सियासी रस्साकशी चल रही है, वह अब सामने आने लगी है. पार्टी नेतृत्व को सिद्धांत और समर्पित कार्यकर्ताओं के सियासी हक से ज्यादा सत्ता की चिंता है, यही वजह है कि बिहार जैसे निर्णय हर जगह लिए जा रहे हैं!

देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी नेतृत्व कब तक समर्पित कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करके औरों पर मेहरबान रहेगा?

मोदीजी! अगर आडवाणी आंदोलनजीवी नहीं होते तो आप यहां नहीं होते....
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