नज़रिया. किसान नेता राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आंदोलनजीवी वाले बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि हम आंदोलन करते हैं, हम जुमलेबाज तो नहीं हैं. एमएसपी पर कानून बनना चाहिए वो नहीं बन रहा. तीनों काले कानून खत्म नहीं हो रहे हैं. प्रधानमंत्री जी ने 2011 में कहा था कि देश में एमएसपी पर कानून बनेगा, यह जुमलेबाजी थी.
खबरें हैं कि नए कृषि क़ानूनों के विरोध में हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में संयुक्त किसान मोर्चा ने एक विशाल किसान महापंचायत का आयोजन किया था, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. इस महापंचायत को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का कहना था कि- प्रधानमंत्री ने जो आंदोलनजीवी कहा है, हम आंदोलन करते हैं, हम जुमलेबाज तो नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार नए कृषि क़ानूनों को वापस ले और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाए नहीं तो आंदोलन जारी रहेगा.
यही नहीं, उन्होंने फिर यह दोहराया कि यह आंदोलन अभी लंबा चलेगा.
उनका कहना था कि अभी सरकार को 2 अक्टूबर 2021 तक का समय दिया गया है. दिल्ली से किसान वापस नहीं आ रहे थे, जो साढ़े तीन लाख ट्रैक्टर गए थे. सरकार किसी ग़लतफहमी में न रहे कि किसान वापस चला जाएगा.
हमने क़ानूनों को निरस्त करने के लिए सरकार को 2 अक्टूबर 2021 तक का समय दिया है, इसके बाद हम आगे की प्लानिंग करेंगे. हम दबाव में सरकार के साथ चर्चा नहीं करेंगे.
जाहिर है, किसी भी आंदोलन को बेअसर करने का, समाप्त करने का जो सफल हथियार है कि आंदोलन को लंबा चलने दिया जाए, यह सरकारी प्रयास भी अब बेदम होता जा रहा है. सरकार के पास तो 2024 तक का समय है, लेकिन किसान तो उससे आगे भी आंदोलन जारी रखने को तैयार हैं.
देश की राजधानी दिल्ली में 2020 के दौरान कोरोना के कारण लाॅकडाउन था और अब किसान आंदोलन के कारण लाॅकडाउन जैसे हालात हैं.
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