प्रदीप द्विवेदी. जनगणना जैसे अवसर पर धर्म की जानकारी भी देनी होती है.

लेकिन, इन कुछ वर्षों में जो बदलाव आए हैं, उनके नतीजे में कई व्यक्ति, अनेक परिवार एक से अधिक धर्म में आस्था प्रदर्शित करते रहे हैं.

कई मुस्लिम, गणेशोत्सव उत्साह से मनाते हैं, तो कई हिन्दू, सिख धर्म में आस्था रखते हैं, जैन धर्म में आस्था रखते हैं, संतों की मजारों पर जाते हैं, शिरडी जाते हैं, कई आदिवासी प्राकृतिक धर्म के साथ-साथ हिन्दू धर्म में भरोसा रखते हैं.

ऐसी स्थिति में व्यक्ति के पास यह अधिकार होना चाहिए कि वह धर्म को लेकर एकाधिक धर्म दर्ज करवा सके.

इस वक्त न तो धर्म खतरे में है और न ही धर्मांधता खतरे में है. खतरे में है धर्म निरपेक्षता.

धर्म निरपेक्षता, जो स्वधर्म स्वाभिमान और शेष धर्म सम्मान का संदेश देती है!

अभिमनोजः आखिर पश्चिम बंगाल में इतनी ताकत क्यों लगा रही है बीजेपी?

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