नजरिया. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं और बीजेपी पूरी ताकत के साथ मैदान में है.

बड़ा सवाल यह है कि आखिर बीजेपी अन्य राज्यों को नजरअंदाज करके पश्चिम बंगाल पर इतनी ताकत क्यों लगा रही है?

इसके कई कारण हैं.

पश्चिम बंगाल में लंबे समय से ममता बनर्जी का राज है, लिहाजा सत्ता विरोधी लहर का फायदा विपक्ष को मिलेगा और विपक्ष के नाम से इस वक्त सबसे आगे बीजेपी खड़ी दिखाई जा रही है.

पश्चिम बंगाल में क्योंकि कभी बीजेपी का राज रहा नहीं है, इसलिए बीजेपी को लेकर जनता वास्तविकता नहीं जानती है, मतलब- जनता को सपने दिखाना आसान है.

जहां धर्म के आधार पर सियासी लाभ लेने की हालत में भाजपा है, वहीं गैर-भाजपाई वोटों का बिखराव भी बड़ा मुद्दा है. खासकर, औवेसी की पार्टी से टीएमसी का प्रत्यक्ष नुकसान ओर बीजेपी को अप्रत्यक्ष फायदे की बड़ी संभावनाएं देखी जा रही हैं.

प्रचार तंत्र बीजेपी के साथ है, तो लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम भी बीजेपी की वहां बढ़ती ताकत को दिखा रहे हैं.

लेकिन, इस माहोल में जमीनी हकीकत जानना इतना आसान नहीं है, इसलिए सियासी सयानों का मानना है कि हो सकता है, बीजेपी के सत्ता के सपने पूरे हो जाएं और यह भी हो सकता है कि किनारे पर आ कर ढेर हो जाएं!

पेट्रोल-डीजलः केन्द्र के लूट-मार्ग पर ही आगे बढ़े राज्य भी, नतीजा? जनता की जेब कटती रही!