यूपी हाईकोर्ट से फर्जी बीएड डिग्री वाले 2823 अध्यापकों को बड़ा झटका, बर्खास्तगी को दिया सही करार

यूपी हाईकोर्ट से फर्जी बीएड डिग्री वाले 2823 अध्यापकों को बड़ा झटका, बर्खास्तगी को दिया सही करार

प्रेषित समय :19:25:05 PM / Fri, Feb 26th, 2021

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने साल 2005 में डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा की बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त 2823 सहायक अध्यापकों के अंकपत्र, डिग्री, नियुक्ति रद्द करने और बर्खास्तगी के आदेश को सही मानते हुए हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. यह आदेश जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने दिया है.

इसके अलावा हाईकोर्ट ने छेड़छाड़ के आरोपी 812 अध्यापकों को चार महीने की राहत देते हुए आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति की निगरानी में जांच पूरी करने का निर्देश दिया है. जांच के बाद सही पाये जाने पर नौकरी रहेगी, अन्यथा बर्खास्तगी बहाल हो जायेगी. वहीं, सात अध्यापकों के सत्यापन के लिए एक महीने का समय दिया गया है. 2005 में डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा की बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर इन सभी ने नौकरी हासिल की थी. बता दें कि फर्जी डिग्री से नौकरी हासिल करने वालों लोगों ने जांच में अपना पक्ष नहीं रखा था और इसके बाद बीएसए ने सभी को इसी आधार पर बर्खास्त कर दिया था. इसके अलावा हाईकोर्ट ने एकल पीठ द्वारा विश्वविद्यालय को दिए गए जांच के आदेश को सही माना है.

हिन्दी भाषा में दिया फैसला

बहरहाल, जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने वरिष्ठ न्यायमूर्ति भंडारी के फैसले से सहमति जताते हुए अलग से हिन्दी भाषा में फैसला दिया, जिसमें उन्होंने गुरु के महत्व को बताते हुए कहा कि शिक्षा एक पवित्र व्यवसाय है, यह जीविका का साधन मात्र नहीं है. राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. कोई छल से शिक्षक बनता है तो ऐसी नियुक्ति शुरू से ही शून्य होगी. इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि छल कपट से शिक्षक बन इन्होंने न केवल छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया है, बल्कि अपितु शिक्षक के सम्मान को ठेस पहुंचाई है.

बता दें कि इस मामले में हाईकोर्ट ने जाच का आदेश देते हुए एसआईटी गठित की थी, जिसने अपनी रिपोर्ट में व्यापक धांधली का खुलासा किया था. इसके बाद सभी को कारण बताओ नोटिस जारी की किया गया था. इनमें से 814 ने जवाब दिया, तो बाकी ने अपना पक्ष ही नहीं रखा. इसके बाद बीएसए ने फर्जी अंक पत्र व अंक पत्र से छेडछाड़ की दो श्रेणियों वालों को बर्खास्त कर दिया. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने छेडछाड़ करने के आरोपियों और जवाब देने वालों की विश्वविद्यालय को जांच करने का निर्देश देते हुए कहा कि बर्खास्त अध्यापकों से अंतरिम आदेश से लिए गये वेतन की बीएसए वसूली कर सकता है. हालांकि खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश के इस अंश को रद्द कर दिया है. इसके अलावा 812 अध्यापकों की जांच पूरी करने के आदेश की समय सीमा निर्धारित कर दी है. जांच के बाद सही पाये जाने पर नौकरी रहेगी अन्यथा चार महीने बाद शेष की बर्खास्तगी बहाल हो जायेगी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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