सुप्रीम कोर्ट ने EC और केंद्र सरकार से मांगा जवाब: नोटा में ज्यादा वोटिंग होती है तो क्या रद्द होना चाहिए चुनाव

सुप्रीम कोर्ट ने EC और केंद्र सरकार से मांगा जवाब: नोटा में ज्यादा वोटिंग होती है तो क्या रद्द होना चाहिए चुनाव

प्रेषित समय :13:35:00 PM / Mon, Mar 15th, 2021

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर के पूछा है कि अगर किसी जगह ज्यादातर लोग चुनाव के समय वोटिंग मशीन पर नोटा का बटन दबाते हैं तो क्या उस सीट का चुनाव रद्द होना चाहिए और नए सिरे से चुनाव होना चाहिए.

फिलहाल नोटा का चुनाव में कोई असर नही होता है. वो सिर्फ वोटर की नाराजगी जताने के लिए होता है. वोटर इसेक जरिये बताते हैं कि उन्हें कोई भी प्रत्याशी नहीं पसंद और उन्होंने किसी को भी वोट नहीं दिया. दरअसल ये मामला राइट टू रिजेक्ट यानी सभी को खारिज करने के अधिकार से जुड़ा है.

इसी सिलसिले में चुनाव में नोटा का विकल्प दिया गया था. यानी अगर किसी वोटर को कोई भी कैंडिडेट पसंद नहीं है तो वो नोटा पर बटन दबाकर अपना मत दे सकता है. लेकिन नोटा का कोई महत्व नहीं होता. सोमवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता की वकील मानेका गुरुस्वामी ने कहा कि अगर 99 फीसदी वोटर नोटा पर बटन दबाते हैं तो भी उसका कोई महत्व नहीं है. बाकी के एक फीसदी वोटर के मत ये तय करते हैं कि चुनाव कौन जीतेगा.

इसलिए इस जनहित याचिका में मांग की गई है कि अगर सबसे ज्यादा मत नोटा को पड़ते हैं तो उस जगह का चुनाव रद्द होना चाहिए. लोगों के मत का सम्मान होना चाहिए. इस पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि अगर ऐसा होता है तो उस जगह से कोई भी उम्मीदवार नहीं जीतेगा. यानी वो जगह खाली रह जाएगी. फिर सांसद या विधानसभा का गठन कैसे होगा.

इसके जवाब में गुरुस्वामी ने कहा कि अगर नोटा का मत ज्यादा होता है और कोई भी उम्मीदवार नहीं जीतता है तो वहां समयबद्ध तरीके से दोबारा चुनाव हो सकता है. ऐसे में सब नए उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे. इन सभी सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि नोटा का चुनाव में कोई महत्व होगा या नहीं. अगर सुप्रीम कोर्ट याचिका के हक में फैसला देता है तो चुनाव सुधार में ये एक ऐतिहासिक कदम होगा.
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

सुप्रीम कोर्ट: फिर अदालत पहुंचा मंदिर मस्जिद विवाद, केंद्र से मांगा जवाब

राज्य सरकार से जुड़े किसी भी व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बनाना भारत के संविधान के विरुद्ध: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय : सहमति से लिव-इन में रहकर शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं

Leave a Reply