सामान्यतः चतुर्थ भाव मे शनि अच्छा फल नही देते ऐसे जातक अपने जन्मस्थान से दूर रहते है,घर मे किसी न किसी बात को लेकर कलह की स्थिति बनी रहती है,सुखों में कमी बनी रहती है,ऐसे जातक कोई नया वाहन ले भी आये तो कोई न कोई नुकसान बना रहता है.लेकिन तुला,मकर,कुम्भ का शनि चतुर्थ भाव मे हो तो प्रोपर्टी का सुख देता है.वात और पित्त रोग होने की संभावना बढ़ जाती है ऐसे जातक को दीर्घकालिक बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है.इसका कार्यक्षेत्र में कोई खास अच्छा योगदान नही रहता .माता के जीवन मे कष्ट या माता का सुख जातक को नही मिल पाता.
उच्च का शनि हो तो जीवनसाथी से मतभेद की स्थिति रहती है वही नीच का शनि अच्छा फल देता देखा गया है क्योंकि माना कि सुखों में कमी कर देगा लेकिन मानसिक परेशानी नही देगा क्योंकि मकर लग्न में ही शनि चतुर्थ भाव मे नीच का होगा और यहां से बैठकर वो लग्न को अपने घर को देखेगा तो मानसिक अशांति नही दे सकता.
मित्र राशि का शनि हो तो ऐसे जातक जीवनसाथी से ज्यादा अपने कार्यक्षेत्र को ज्यादा महत्व देते है.
वर्गोत्तमी शनि हो तो दूसरों को हानि पहुंचाकर खुशी मिलती है अब इसका ये मतलब भी हो सकता है जातक वकील हो तो किसी दूसरी पार्टी को हानि पहुंचाकर खुश रहे और वकील लोग करते भी है ऐसा
नीच का शनि हो तो दुसरो को ठगने से खुशी मिलती हो अब हो सकता है जातक मार्केटिंग का काम करता हो तो वो तो बेकार चीज को भी अच्छा बताकर बेचेगा ही.
- Astrologer Nirmal choudhary
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जानें ज्योतिष आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया से 20 मार्च , 2021 तक का साप्ताहिक राशिफल
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