पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर के निजी स्कूलों द्वारा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देशों की किस तरह से धज्जियां उड़ाई जा रही है, ऐसा ही एक मामला केंट खालसा स्कू ल में देखने को मिला है, जहां पर फीस न भरने पर बच्चों को परीक्षा से वंचित कर दिया गया है, यहां तक कि विधायक अशोक रोहाणी से पत्र लिखवाया गया तो उसे भी प्राचार्य ने उस पत्र भी फाड़ दिया.
बताया जाता है कि कोरोना संकटकाल में निजी स्कूलों को स्पष्ट निर्देश दिए है कि अभिभावकों पर फीस के लिए दबाव न बनाया जाए, फीस को लेकर बच्चों को परीक्षा से वंचित नहीं किया जाए, लेकिन जबलपुर के निजी स्कूलों में फीस न भरने पर बच्चों को परीक्षा में बैठने तक नहीं दिया जा रहा है, ऐसा ही एक मामला केंट खालसा स्कूल में देखने को मिला है जहां पर दो बच्चों को सिर्फ इसलिए परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया क्योंकि बच्चों ने फीस जमा नहीं की थी.
यहां तक कि महिला ने विधायक अशोक रोहाणी का पत्र भी प्राचार्या को दिया लेकिन प्राचार्या ने यहां तक कह दिया कि विधायक आए वे ही फीस भर दें, खालसा स्कूल केंट का यह कारनामा अब चर्चा का विषय बन गया है, प्राचार्या के अडिय़ल रवैए का शिकार और भी कई अभिभावक हुए है, जिन्होने देर से फीस जमा करने की बात कही तो परीक्षा से वंचित कर दिया गया.
इस तरह के मामले जबलपुर के अन्य निजी स्कूलों में भी देखने को मिल रहा है, जहां पर फीस न भरने पर बच्चों को परीक्षा से वंचित किया जा रहा है. महिला का कहना है कि उन्होने प्राचार्या को यहां तक कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है कुछ दिन बाद फीस जमा कर देगें, लेकिन प्राचार्या ने उनकी एक न सुनी और स्कूल से बाहर कर दिया. यह तो पहला मामला है जो प्रकाश में आया है, इसके अलावा और भी लोग है जिनके साथ इस तरह का रवैया अपनाया जा रहा है, लेकिन वे इस डर से खामोश है बाद में स्कूल प्रबंधन उनके बच्चों के साथ अभद्र व्यवहार किया जाने लगेगा, पढ़ाई को लेकर परेशान किया जाएगा.
पति की कैंसर से हुई मौत, आर्थिक स्थिति बिगड़ी-
महिला ने बताया कि उनके पति केंसर की बीमारी से पीडि़त रहे, जिनके इलाज में परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई, पिछले माह पति की मौत हो गई, परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण फीस जमा करने में देर हो गई, इस बात की जानकारी केंट खालसा स्कूल की प्राचार्या को दी गई, इसके बाद भी उन्होने महिला के दोनों बच्चों को परीक्षा में बैठने नहीं दिया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पहले चरण में वोटर्स ने दिखाया उत्साह, असम में 72 तो पश्चिम बंगाल में करीब 80 फीसदी मतदान
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