सारिका
* विश्वास करें तीन पर- भगवान की दया, आत्मा की शक्ति और सत्य शुद्ध आचरण पर।
* रखें तीन बातें गुप्त- साधना, धन और मैथुन।
* अपनी जबान से तीन बातों को बोलें- भगवदगुणों को, सत्य वचन और परोपकार।
* इनसे दूर रहें- मान, परनिंदा और अपनी बढ़ाई।
* न करें तीन का खंडन- दूसरों के इष्ट, दूसरों के शास्त्र और अपने निश्चय का।
* करें सदा स्नेहपूर्ण बर्ताव इन तीनों से- अपनी पत्नी से, अपने अधीन कर्मचारी से औेर गरीब से।
* विशेष ध्यान दें तीन की आवश्यकताओं पर- मूक प्राणी, संसार त्यागी(संन्यासी) और कुछ भी न मांगने वाले अतिथि।
* नरक के दरवाजे हैं तीन- काम, क्रोध और लोभ।
* करें जल्दी तीन कामों में- शास्त्र अध्ययन, ईश्वर भक्ति (भजन) में, और दान में।
* आदर करें दिल से तीनों का- भगवान के विग्रह, संत महात्मा और शास्त्रों का।
* करें तीन की सेवा- मित्र, पत्नी और अतिथि की।
* न फंसे तीन की कामना में- धन, पुत्र और सम्मान।
* न बनें- कृतध्न, दाम्भिक और नास्तिक।
* तीन गुणों को देखो- अपने दोष, दूसरों के गुण और महात्माओं के आदर्श आचरण।
* सेवा करें तीन की- माता-पिता, संत महात्मा और दुखी जीवों की।
* सुखी हों सिर पर रखें- भक्तों की चरणरज, तीर्थ जल और अपनी निंदा।
* तीन को मत देखें- अपने गुण, दूसरे के दोष और जीवों की रतिक्रिया।
* तीन बातों को याद करें- अपने द्वारा की गई दूसरों की बुराई, दूसरों के द्वारा किया हुआ उपकार और यह धन, मान सब विनाश होने वाले हैं।
* तीन का आश्रय लें- ईश्वर, महात्मा संत और अभिमान रहित पुरूष का।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-रंग संगम नाट्य समारोह की प्रस्तुति- रावण
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