कुमार शिव: वो अब नहीं है, मगर फिजा में उनके बोल गूंजते रहेंगे....

कुमार शिव: वो अब नहीं है, मगर फिजा में उनके बोल गूंजते रहेंगे....

प्रेषित समय :16:56:44 PM / Mon, Mar 22nd, 2021

*नारायण बारेठ
तुमने छोड़ा शहर
नाव तट से खुली
शंख देखा किए रेत की प्यास को
तुम ने छोड़ा शहर
धूप दुबली हुई
पीलिया हो गया है अमलतास को!

इन अल्फ़ाज़ के जरिये जिंदगी का फलसफा बयान करने वाले जस्टिस कुमार शिव अपनी रुखसत से अदब की दुनिया को ग़मज़दा कर गए. कोटा में उन्हें वकालत करते भी देखा. वे एक नामवर वकील थे. लेकिन ताजिराते हिन्द और जाप्ता फौजदारी के बीच वो कविता की ऐसी इबारत लिखते रहे कि लोग उनके दीवाने हो गया.

इन वर्षो में सिर्फ एक बार उनसे मुलाकात हो सकी. वर्ष 2006 / 7 में कोटा में न्यायिक अधिकारियों के कार्यक्रम में वे मुख्य अतिथि थे.मुझे भी बोलने का मौका मिला. वही से उनके प्रति आदर घनीभूत हो गया और पिछले कुछ समय से उनसे संपर्क बना रहा. कोरोना काल में एक संरक्षक की मानिंद सावचेती बरतने की हिदायत देते रहे.सोचा जल्द ही हाजिर होकर उनसे आशीर्वाद लूंगा. मगर मैं महरूम रहा.

जस्टिस कुमार शिव ने अपने गीत कविता को रुमानियत और शृंगार सौंदर्य तक महदूद नहीं रखा. जिंदगी के उत्तरार्द्ध में उनका उनकी शब्दों का संसार महात्मा गाँधी को बहुत समर्पित रहा.उनके नाती या पोता जब भी बापू पर कोई छोटा सा वीडियो एपिसोड बनाते, वे साझा करते. उनकी हसरत थी यह काम आगे बढ़े. उनके कविता साहित्य में राजनैतिक शिक्षण भी था. विवादास्पद मुद्दों पर वे बेबाकी से अपनी बात कहते और अपने उसूलो से कभी मुहं नहीं मोड़ा. वकालत के लिबास और जज के ओहदे के बीच भी अपने भीतर के कवि शायर को न केवल जिन्दा रखा बल्कि उसे बलन्दी भी देते रहे.

वो उस सफर पर चले गए जहां से लौट कर कोई नहीं आता. वो अब नहीं है. मगर फिजा में उनके बोल गूंजते रहेंगे. जिस्म तो फ़ना होना है / पर रूह सलामत रहती है. कुमार शिव साहब, आप जहां भी हो, आपको सलाम पहुंचे / सादर श्रदा सुमन!

https://www.youtube.com/watch?v=zO_IgwTOWw0
https://www.youtube.com/watch?v=cNYY65KKijA&t=144s

जस्टिस शिव कुमार शर्माः उनका जन्म कोटा में 11 अक्टूबर 1946 को हुआ था. उन्होंने 1967 में वकालत शुरू की और वर्ष 1996 से लेकर वर्ष 2008 तक बतौर राजस्थान हाइकोर्ट के न्यायाधीश उन्होंने 50 हजार से ज्यादा मुकदमों का निस्तारण किया. हाइकोर्ट न्यायाधीश के रूप में सेवाएं देने के बाद वे केंद्रीय विधि आयोग के सदस्य और निजी स्कूल फीस निर्धारण कमेटी के चेयरमैन भी रहे.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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