कौन से नक्षत्र का क्या होता है असर

कौन से नक्षत्र का क्या होता है असर

प्रेषित समय :20:59:50 PM / Thu, Apr 8th, 2021

हम अक्सर सुनते हैं कि ‘ग्रह नक्षत्र ठीक नहीं चल रहे’ या फिर ‘सारा खेल तो ग्रह नक्षत्रों का है’… यानी किस्मत को मानने वालों के लिए ग्रह-नक्षत्र बहुत मायने रखते हैं. वैदिक ज्योतिष शास्त्र तो पूरी तरह ग्रह नक्षत्रों पर ही आधारित है. आखिर ये ग्रह नक्षत्र हैं क्या और कैसे इनसे जुड़ा है हमारी किस्मत का कनेक्शन. नौ ग्रहों का हमारी किस्मत पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा हम पहले कर चुके हैं. आज जानने की कोशिश करते हैं नक्षत्रों के बारे में. वैदिक ज्योतिष में नक्षत्रों का सिद्धांत काफी अहम है. इसे पूरी दुनिया में प्रचलित तमाम ज्योतिष पद्धतियों की तुलना में सबसे ज्यादा सटीक और अचूक माना जाता है. दरअसल हम जब अंतरिक्ष विज्ञान या अंतरिक्ष शास्त्र की बात करते हैं तो चंद्रमा या तमाम ग्रहों की गति या चाल से बनने वाले समीकरणों की बात होती है. अंतरिक्ष में चंद्रमा की गति और पृथ्वी के चारों ओर घूमने की या परिक्रमा करने की प्रक्रिया अनवरत चलती है. चंद्रमा पृथ्वी की पूरी परिक्रमा 27.3 दिनों में करता है और 360 डिग्री की इस परिक्रमा के दौरान सितारों के 27 समूहों के बीच से गुजरता है. चंद्रमा और सितारों के समूहों के इसी तालमेल और संयोग को नक्षत्र कहा जाता है. जिन 27 सितारों के समूह के बीच से चंद्रमा गुजरता है वही अलग अलग 27 नक्षत्र के नाम से जाने जाते हैं. यानी हमारा पूरा तारामंडल इन्हीं 27 समूहों में बंटा हुआ है. और चंद्रमा का हर एक राशि चक्र 27 नक्षत्रों में विभाजित है. किसी भी व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होगा या सितारों के जिस समूह से होकर गुजर रहा होगा वही उसका जन्म नक्षत्र माना जाता है. और यही आपकी किस्मत की चाभी होती है.

कौन-कौन से हैं 27 नक्षत्र

अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र.
इन 27 नक्षत्रों को भी तीन हिस्सों में बांटा गया है - शुभ नक्षत्र, मध्यम नक्षत्र और अशुभ नक्षत्र.

शुभ नक्षत्र

शुभ नक्षत्र वो होते हैं जिनमें किए गए सभी काम सिद्ध और सफल होते हैं. इनमें 15 नक्षत्रों को माना जाता है – रोहिणी, अश्विन, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, चित्रा, रेवती, श्रवण, स्वाति, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा फाल्गुनी, धनिष्ठा, पुनर्वसु.

मध्यम नक्षत्र

मध्यम नक्षत्र के तहत वह नक्षत्र आते हैं जिसमें आम तौर पर कोई विशेष या बड़ा काम करना उचित नहीं, लेकिन सामान्य कामकाज के लिहाज से कोई नुकसान नहीं होता. इनमें जो नक्षत्र आते हैं वो हैं पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, विशाखा, ज्येष्ठा, आर्द्रा, मूला और शतभिषा.

अशुभ नक्षत्र

अशुभ नक्षत्र में तो कभी कोई शुभ काम करना ही नहीं चाहिए. इसके हमेशा बुरे नतीजे होते हैं या कामकाज में बाधा जरूर आती है. इसके तहत जो नक्षत्र आते हैं वो हैं- भरणी, कृत्तिका, मघा और आश्लेषा. ये नक्षत्र आम तौर पर बड़े और विध्वंसक कामकाज के लिए ठीक माने जाते हैं जैसे - कोई बिल्डिंग गिराना, कब्जे हटाना, आग लगाना, पहाड़ काटने के लिए विस्फोट करना या फिर कोई सैन्य या परमाणु परीक्षण करना आदि. लेकिन एक आम आदमी या जातक के लिए ये चारों ही नक्षत्र बेहद घातक और नुकसानदेह माने जाते हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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