अंकुर सिंह. देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहा करते थे कि देश की आत्मा गांवों में बसती है और आजकल उत्तर प्रदेश राज्य में उन्हीं गांवों के नेतृत्व करने के लिए प्रतिनिधि के चुनाव हेतु त्रिस्तरीय चुनाव (जिला स्तर पर जिला पंचायत, ब्लॉक स्तर पर क्षेत्र पंचायत और ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत) का बिगुल बज चुका हैं। चुनाव की तारीख सामने आ चुकी हैं। लोगों में उत्साहपूर्ण चर्चाएं हो रही है प्रतिनिधियों को लेकर और होना भी चाहिए क्योंकि लोकतंत्र के मंदिर का नीव होता है पंचायत चुनाव और नींव मजबूत होगी तभी देश के लोकतांत्रिक ढांचा मजबूत होगा।
देश में पंचायत चुनाव के संरचना की बात करें तो इसके जनक लार्ड रिपन को कहा जा सकता है जिन्होंने गुलाम भारत में (वर्ष 1882 के आस पास) जिला बोर्डो का गठन किया और उन्हें अधिकार दिए। अतः उन्हें स्थानीय स्वशासन का जनक भी कहा जाता है। देश की आजादी के बाद संविधान गठन समिति में स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधियों के चुनाव को लेकर मतभेद था। एक पक्ष का मानना था कि स्थानीय स्तर पर चुनाव होने पर स्थानीय स्तर के सक्षम लोग अपने दबदबे के कारण बार-बार चुनाव जीत जाएंगे और फिर निम्न वर्गो को प्रताड़ित करेंगे, वहीं दूसरा वर्ग कहता कि नहीं, देश के विकास के लिए ये होना जरूरी है इसलिए स्थानीय चुनावों को डीपीएसपी आर्टिकल-40 के अंतर्गत बनाया गया जिसे राज्य सरकारों के उनके स्वेच्छा के ऊपर था कि वो ग्राम पंचायत संगठन का निर्माण करे या न करंे। उन्हें बाध्य नहीं किया जा सकता था जिसे 1959 में सर्वप्रथम राजस्थान के बाद कुछ अलग-अलग राज्य सरकारों ने अलग-अलग समय पर अपने राज्यों लागू किया । बाद में विभिन्न समितियों (बलवंत राय मेहता, अशोक मेहता, वी के राव और डा. एल.एम.सिंघवी) के सुझाव के बाद 24 अप्रैल 1993 को 73वाँ संविधान संशोधन 1992 के अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण अधिकार देते हुए इसे पूरे देश में अनिवार्य रूप से लागू कर दिया गया , इसी वजह से 24 अप्रैल को देश में राष्ट्रीय पंचायत राज्य दिवस मनाया जाता है।
अब पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है। ऐसे में जाति-धर्म, आपसी रंजिश इत्यादि को दरकिनार करते हुए योग्य प्रत्याशी का चयन करें जो आपके बीच का हो, जिसका समय आप लोगों के साथ बीता हो क्योंकि जिसने आपके दर्द, तकलीफों को देखा होगा, वही आपके दर्द के निवारण हेतु कुछ कर पाएगा। प्रत्याशी के चयन में उसकी शिक्षा के साथ समाज में आम शोहरत का भी जरूर ध्यान दीजिएगा क्योंकि शिक्षित होगा तो आपके लिए विकास योजना लेकर आएगा और अलग-अलग योजना सोचेगा और शिक्षा के साथ उसकी सामाजिक शोहरत सही होगी तो आप बेझिझक उससे अपनी बात कह सकेंगे। आप एक स्थानीय पंचायत स्तर का प्रतिनिधि ही नही चुन रहे अपितु देश के लोकतंत्र की नींव भी बना रहे हैं। कहीं आपने जाति, धर्म या पैसे सहित दारू मुर्गे के लालच के चक्कर में गलत प्रत्याशी चुन लिया तो आप पांच साल बर्बाद करेंगे ही और एक ऐसा दीमक भी चुन लाएंगे जो आपके विकास के साथ साथ देश के लोकतंत्र को भी खा जाएगा।
किसी भी चुनाव में एक-एक मत का बहुत बड़ा मूल्य होता है अतः सभी को अनिवार्य रूप से लोकतंत्र के पर्व (चुनाव) में अपने अपने मत का प्रयोग बिना किसी के भय, लालच का करना चाहिए। याद रखिएगा जो प्रत्याशी आज आप पर अपना धन खर्च कर रहा है चुनाव में आपके वोट के खातिर वही प्रत्याशी आपके ग्रामसभा की निधि को लूट कर इसकी भरपाई भी करेगा। ये मत सोचिए फ्री का मिल रहा आपको, आज खिला रहा आपको, कल किसी काम को लेकर जायेंगे तो आप तो उससे अपने हक की बात नही कर सकते क्योंकि उसके हाथ आप पहले ही बिक चुके हैं और वो भी आपके पैसे से ही उसने आपको खरीदा है तो अपना वजूद मत गिराएं। अपने स्वाभिमान को बचाते हुए योग्य उम्मीदवार चुनंे।
कुछ स्थानीय स्तर की सीट आरक्षित हो गई हैं और वहां कुछ सबल लोग येन-केन प्रकारेण अपनी जगह अपने मोहरे को चुनाव में उतार रहे है जो यदि चुनाव जीत गए तो ये मोहरा बस नाम का प्रधान होगा और उस व्यक्ति के हाथ की कठपुतली होगा। अतः आप सब से यह आग्रह है कि जो व्यक्ति आज दूसरे की पहचान पर चुनाव लड़कर कल उसकी कठपुतली बनाने वाला है उसका विरोध करें। ऐसे व्यक्ति को अपने भविष्य निर्धारण का अधिकार न दे जिसका भविष्य कल खुद दूसरों के हाथ के अंगुलियों पर नाचेगा।
और अंत में फिर इतना ही कहूंगा कि लोकतंत्रा के नीव की मजबूती के लिए निडर और बिना किसी भेदभाव, लालच के अपना उम्मीदवार चुने जो आपके गांव, क्षेत्र और जिले का कायाकल्प कर उसे आदर्श रूप में बदल सकें।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को पंजाब से लाने रवाना हुई यूपी पुलिस की टीम
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