अभिमनोजः मोदी नीति- सुनना किसी की नहीं और करना भी मन की?

अभिमनोजः मोदी नीति- सुनना किसी की नहीं और करना भी मन की?

प्रेषित समय :20:41:10 PM / Sun, Apr 18th, 2021

नजरिया. देश में कोरोना संक्रमण के हमले के बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है और कई सुझाव दिए हैं, लेकिन उसका कोई फायदा होगा, ऐसा लगता नहीं है.

सके दो प्रमुख कारण हैं, एक- मोदी नीति स्पष्ट है कि सुनना किसी की नहीं और करना भी केवल अपने मन की और दो- पीएम मोदी की नजर में देश में केवल उनकी ही उपलब्धियां हैं, हर समस्या का हल निकालने में केवल वे ही सक्षम हैं, वे किसी और को श्रेय क्यों देंगे कि डाॅ मनमोहन सिंह के सुझाव से सफलता मिली.

खबरें हैं कि कोरोना से हो रही बर्बादी का उल्लेख करते हुए सिंह ने वैक्सीनेशन को लेकर पांच सुझाव दिए हैं.

उनका कहना है कि महामारी को काबू करने के लिए टीकाकरण महत्वपूर्ण है, लेकिन कितने लोगों को टीका लगा है, यह आंकड़ा नहीं देखकर, हमें इस पर फोकस करना चाहिए कि आबादी के कितने प्रतिशत लोगों को टीका लगा है.

उनका यह भी कहना है कि सबसे पहले सरकार को अगले छह महीने के लिए टीकों के दिए गए ऑर्डर, किस तरह से टीके राज्यों के बीच वितरित होंगे, इस बारे में भी बताना चाहिए. यही नहीं, सरकार को यह भी बताना चाहिए कि अलग-अलग वैक्सीन उत्पादकों को कितने ऑर्डर दिए गए हैं, जो अगले छह माह में डिलीवरी करेंगे और यदि हम टार्गेट बैस्ड टीका लगाना चाहते हैं, तो हमें एडवांस में पर्याप्त ऑर्डर देने चाहिए, जिससे उत्पादक समय से आपूर्ति कर सकें.

सिंह का कहना है कि सरकार को यह बताना चाहिए कि इन प्राप्त होने वाले टीकों का वितरण राज्यों के बीच किस तरह पारदर्शी फॉर्मूले के आधार पर किया जाएगा. केंद्र सरकार चाहे तो 10 प्रतिशत आपातकालीन परिस्थिति के लिए रख सकती है, परन्तु बाकी की जानकारी राज्यों को साफ मिले, जिससे वे उसी के सापेक्ष टीकाकरण की व्यवस्था बना सकें.

एक महत्वपूर्ण सलाह यह भी दी है कि राज्यों को यह छूट दी जाए कि वे फ्रंटलाइन वर्कर्स की कैटेगरी तय करें, जिन्हें 45 साल से कम उम्र के बावजूद टीका लगाया जा सके, जैसे स्कूल टीचर, बस, थ्री व्हीलर और टैक्सी ड्राइवर, म्युनिसिपल और पंचायत कर्मचारी, वकील आदि को 45 साल से कम उम्र के बावजूद टीका लगाया जा सके.

सिंह का कहना है कि अधिकांश उत्पादन क्षमता निजी क्षेत्र में हैं, लेकिन वर्तमान स्थिति में भारत सरकार को वैक्सीन उत्पादकों को मदद देनी चाहिए, ताकि वे तेजी से मैन्युफैक्चरिंग क्षमता का विस्तार कर सकें, जैसे कंपनियों को फंड, छूट आदि.

सिंह का मानना है कि वैक्सीन के घरेलू आपूर्तिकर्ता सीमित हैं, इसलिए ऐसे किसी भी टीके को, जिसे यूरोपीय मेडिकल एजेंसी या यूएसएफडीए ने स्वीकृति दी हो, देश में आयात की आजादी देनी चाहिए.

यकीनन, सिंह के सुझाव बेहद महत्वपूर्ण हैं, लेकिन ये तभी उपयोगी साबित होंगे जब पीएम मोदी श्रेय लेने की आदत से हट कर जनहित में सही निर्णय लेंगे!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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