नईदिल्ली. कोविड-19 संक्रमण के दोबारा तेजी से फैलने के बीच प्रमुख ब्रोकरेज कंपनियों ने भारत के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 10 प्रतिशत तक कर दिया है. इसका कारण स्थानीय स्तर पर लगाए जा रहे लॉकडाउन के कारण आर्थिक पुनरूद्धार को लेकर जोखिम है.
नोमुरा ने जहां चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 13.5 प्रतिशत से कम कर 12.6 प्रतिशत कर दिया है, वहीं जेपी मोर्गन ने अब 11 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया है जो पहले 13 प्रतिशत था. यूबीएस ने जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 11.5 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत और सिटी ने इसे कम कर 12 प्रतिशत कर दिया है. भारत की जीडीपी वृद्धि दर पिछले साल की शुरूआत में आई माहामारी से पहले से घट रही थी.
वित्त वर्ष 2016-17 में आर्थिक वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत थी जो अगले दो साल 2017-18 और 2018-19 में घटकर क्रमश: 6.8 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत पर आ गई. वहीं 2019-20 में यह कम होकर 4 प्रतिशत रह गई. कोविड-19 महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर में 8 प्रतिशत तक की गिरावट का अनुमान जताया है. पिछले वित्त वर्ष में कमजोर तुलनात्मक आधार के साथ चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर दहाई अंक में और अगले वित्त वर्ष 2022-23 में 6.8 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रहने जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने 12.5 प्रतिशत की संभावना जताई है. यूबीएस ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को सालाना आधार पर 10 प्रतिशत (पूर्व में 11.5 प्रतिशत) करते हुए कहा, भारत में कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. रोजाना जो मामले आ रहे हैं, वे 2020 के उच्चतम स्तर का दोगुना से भी अधिक है. अगर आने वाले सप्ताह में वायरस को काबू में करने के प्रयास सफल रहते हैं, हमें लगता है कि पुनरूद्धार वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही से ही जोर पकड़ेगा.
सिटी रिसर्च ने कहा कि हालांकि पिछले साल के मुकाबले पाबंदियां उतनी कड़ी नहीं है लेकिन कोविड मामले में तेजी से वृद्धि चिंता का कारण है. उसने कहा, कोविड-19 संक्रमण के मामले में महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों से ज्यादा आ रहे हैं जो आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य हैं. पाबंदियों और धारणा को देखते हुए, हमने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 12 प्रतिशत (पूर्व में 12.5 प्रतिशत) कर दिया है. सिटी ने कहा कि अगर कोविड की स्थिति को नियंत्रण में नहीं लाया गया तो पिछले साल की तरह आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में कई संशोधन किए जा सकते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-देश में कोरोना की दूसरी लहर के बीच बिजली की मांग बढ़ी, खपत 60 अरब यूनिट के पार
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