पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर के बिगड़ते हालातों को लेकर अब आमजन के मन में एक ही आवाज उठ रही है कि दलगत राजनीति से उठकर अब जनप्रतिनिधियों को एक होकर आगे आना होगा, तभी हालात सुधर सकते है, क्योंकि अब लोगों को प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग से काई उम्मीद नहीं है, वे सिर्फ उन नेताओं, रहनुमाओं के ही भरोसे है जिन्हे उन्होने वोट देकर इस काबिल बनाया कि वे उनकी मदद कर सके, क्योंकि यह एक ऐसा दौर चल रहा है जिसमें हर व्यक्ति असहाय, मजबूर व लाचार है.
जबलपुर में कोरोना से पूरी तरह से बिगड़ चुके हालात को सम्हालना प्रशासन के बस में नहीं रह गया है, हर तरफ हा-हा कार मचा हुआ है, अस्पताल से शमशान तक वेटिंग चल रही है, लाशों का अंतिम संस्कार करने के लिए भी लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है. अस्पताल में भरती मरीजों के लिए जीवन रक्षक माना जाने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन व आक्सीजन की भरपूर आपूर्ति होने के बाद भी कमी बनी हुई है, राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा व विधायक तरुण भनोट के प्रयासों से आक्सीजन के टेंकर बुलवाए गए, विधायक अजय विश्रोई की मेहनत रंग लाई और पनागर में प्लांट शुरु हो सका, अजय विश्रोई ने अपनी ही सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगा दिए, पहला ऐसा विधायक है जो सरकार व जिला प्रशासन की खामियों को सामने ला रहा है, विधायक तरुण भनोट ने कलेक्टर की बैठक में पहुंचकर अपने जनप्रतिनिधि होने का अहसास कराते हुए मदद दी, जबलपुर में आज हालात ऐसे है कि जिले के दोनों सांसद, आठ विधायकों को कंधे से कंधा मिलाकर आमजन की आवाज बनकर सामने आना होगा, तभी जबलपुर में कोरोना महामारी के कारण फैली अराजकता, अव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकता है, क्योंकि जबलपुर के सांसद व विधायक वो ताकत रखते है कि जिला प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग की नाकाम व्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकता है, क्योंकि जिला प्रशासन द्वारा न तो मेडिकल, विक्टोरिया सहित अन्य शासकीय अस्पतालों के हालात सुधारे जा रहे है न ही निजी अस्पतालों द्वारा की जा रही लूट खसोट को नियंत्रित किया जा रहा है, आलम तो यह है कि जबलपुर में पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन आ चुकी है, रेमडेसिविर इंजेक्शन भी इतने हो चुके है कि मरीजों से निर्धारित शुल्क देकर लगाया जा सकता है, इसके बाद भी इंजेक्शन की कालाबाजारी की जा रही है, मेडिकल, विक्टोरिया अस्पताल में ही मरीज क ो भरती करने से पहले ही परिजनों से कहा जा रहा है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की व्यवस्था स्वयं करना होगी, तो इन अस्पतालों को दिए गए इंजेक्शन का क्या होगा, क्या इनका उपयोग सिर्फ डाक्टरों द्वारा ही किया जाएगा.
जनप्रतिनिधियों को एक सुर में आवाज उठाना होगी कि जीवन रक्षक इंजेक्शन की सप्लाई को सार्वजनिक किया जाए, ताकि पता चल सके कि किस अस्पताल के पास कितने इंजेक्शन है, अब जनप्रतिनिधियों से ही आमजन को उम्मीद है वे शहर को इस संकट के दौर से निकाल सकते है, क्योंकि हर आदमी अपने आप को असहाय, मजबूर, लाचार, बेबस महसूस कर रहा है, एक बार विधायकों को खुलकर सामने आना होगा, दलगत राजनीति से ऊपर उठकर शहरवासियों की वेदना को समझना होगा तभी शहर के हालातों को सुधारा जा सकता है, नहीं तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी ज्यादा भयावह होगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी के जबलपुर में निजी अस्पताल ने रुपए न मिलने पर लाश को बंधक बना लिया..!
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