शनि ग्रह की प्रेम में अहम भूमिका

शनि ग्रह की प्रेम में अहम भूमिका

प्रेषित समय :17:59:01 PM / Fri, May 7th, 2021

अक्सर लोग शनि को अनिष्ट और अशुभ के रूप मे ही देखते है. लेकिन सभी बातो के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू होते है.

    शनि जहा पाप ग्रह और, अलगाववादी ग्रह माना गया है वही इसके कुछ सकारात्मक गुण भी है जो किसी विशेष योग में जीवन मे बहुत सुख दे जाते है.

   अधिकतर शनि का संबंध विवाह के स्वामी ग्रह या प्रेम संबंध के स्वामी ग्रह से होने पर उससे संबंधित कठिनाइयां और बाधाएं देती है लेकिन यही शनि किसी भी संबंध को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए और उसमें समझदारी न्याय,दूर दृष्टि देने मे सहायक होता है.

     यदि कुंडली मे शनि शुभ, नवांश,शुभ राशि का हो और  लग्न से संबंध बनाए तो ऐसे व्यक्तियों को बहुत धैर्य और समझ देता है और ऐसे व्यक्ति अपने संबंधों के प्रति बहुत भावुक और जिम्मेदार होते है तथा अपने किसी भी संबंधो को आजीवन निभाने वाले होते है.

      शनि का सकारात्मक गुण है. दया,क्षमा,समर्पण,दास भाव और यह किसी भी संबंध मे सबसे महत्वपूर्ण होता है. लेकिन शनि जब तक शुभ ग्रहों के नवांश या राशि से भलीभांति पुर्ण न होगा ऐसा संभव नहीं है.

      एक सुखद वैवाहिक जीवन और एक सुंदर प्रेम संबंध के निर्वाह के लिए शनि का शुभ राशिस्थ होकर उन सप्तम या पंचम भाव से संबंधित होना परम आवश्यक है. यदि आप स्वयं भी ज्योतिष का ज्ञान रखते है तो किसी भी सफल कुंडली मे इस योग को लगाकर देख सकते है परिणाम आपको सकारात्मक ही प्राप्त होगे.

     इसलिए शनि सदैव अशुभ, नहीं,यह तो संबंधो को चलाने के लिए पेट्रोल की तरह परम आवश्यक है.

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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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