डीआरडीओ की दवा को मिली मंजूरी, इससे मरीज जल्दी रिकवर होते हैं, ऑक्सीजन की जरूरत कम होती है

डीआरडीओ की दवा को मिली मंजूरी, इससे मरीज जल्दी रिकवर होते हैं, ऑक्सीजन की जरूरत कम होती है

प्रेषित समय :21:01:15 PM / Sat, May 8th, 2021

नई दिल्ली. कोरोना से जारी लड़ाई के खिलाफ एक राहत भरी खबर आई है. ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने शनिवार को ड्रग 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) दवा से कोरोना के इलाज को इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया है. कोरोना संक्रमित मरीज के लिए यह एक वैकल्पिक इलाज होगा. जिन मरीजों पर इस दवा का इस्तेमाल किया गया, उनकी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आई.

ये दवा कोरोना मरीजों में संक्रमण की ग्रोथ रोककर उन्हें तेजी से रिकवर करने में मदद करती है. 2-ष्ठत्र दवा को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीसीजीआई) की लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन ने डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी की मदद से तैयार किया है. शुरुआती ट्रायल में पता चला है कि इससे मरीज के ऑक्सीजन लेवल में भी सुधार होता है.

17 अस्पतालों में 110 मरीजों पर दूसरे फेज का ट्रायल

डीआरडीओ ने मई 2020 में कोरोना मरीजों पर 2-डीजी का दूसरे फेज का क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया था. अक्टूबर 2020 तक चले ट्रायल में दवा 2-डीजी को सुरक्षित पाया गया. इससे कोरोना मरीजों को तेजी से रिकवर होने में मदद मिली. फेज-2 ट्रायल ए और व फेज बी में किया गया. इनमें 110 कोरोना मरीजों को शामिल किया गया. फेज-2्र में 6 अस्पतालों के मरीज शामिल थे, जबकि फेज-2 में 11 अस्पतालों के मरीज शामिल हुए.

दवा लेने वाले मरीजों में धीरे-धीरे इस तरह से संक्रमण कम होते गए. दवा लेने वाले मरीजों में धीरे-धीरे इस तरह से संक्रमण कम होते गए. 20 मरीजों पर किया तीसरे फेज का ट्रायल
दिसंबर 2020 से मार्च 2021 तक 220 कोरोना मरीजों पर तीसरे फेज का ट्रायल किया गया. ये ट्रायल दिल्ली, यूपी, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 अस्पतालों में किया गया. ट्रायल के दौरान तीसरे दिन मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता 42 प्रतिशत से घटकर 31 प्रतिशत हो गई. खास बात यह है कि 65 साल से ज्यादा उम्र के मरीजों पर भी दवा का पॉजिटिव रिस्पॉन्स दिखा.

ढाई दिन पहले ठीक हो गए मरीज

अप्रैल 2020 में, कोविड -19 महामारी की पहली लहर के दौरान, आईएनएमएएस-डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने हैदराबाद की सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी  की मदद से 2-डीजी को लैब में टेस्ट किया. स्टेंडर्ड ऑफ केयर मानक से तुलना करें तो दवा लेने वाले मरीज दूसरे मरीजों से ढाई दिन पहले ठीक हो गए.

पानी में घोलकर दी जाती है दवा

दवा पाउडर के रूप में मिलती है. इसे पानी में घोलकर मरीज को पिलाना होता है. ये दवा सीधे उन कोशिकाओं तक पहुंचती है जहां संक्रमण होता है और वायरस को बढऩे से रोक देती है. लैब टेस्टिंग में पता चला कि ये कोरोना वायरस के खिलाफ काफी प्रभावी है. डीआरडीओ ने बयान जारी कर कहा है कि इसका उत्पादन भारी मात्रा में आसानी से किया जा सकता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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