जैसी गलती अय्यर ने गुजरात में की थी, वैसी ही गलती मोदी ने बंगाल में की, नतीजा?

जैसी गलती अय्यर ने गुजरात में की थी, वैसी ही गलती मोदी ने बंगाल में की, नतीजा?

प्रेषित समय :20:45:17 PM / Sat, May 8th, 2021

प्रदीप द्विवेदी. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और नतीजों ने सबको जोर का झटका दिया है.

कभी-कभी जीत का दांव ही हार का कारण बन जाता है.शायद ऐसा ही कुछ बंगाल में बीजेपी के साथ हुआ है.

दीदी-ओ-दीदी.... जैसी गलती कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने गुजरात विधानसभा चुनाव में की थी.वैसी ही गलती पीएम नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में की.नतीजा यह रहा कि दो सौ पार का दावा करने वाली बीजेपी एक सौ पार भी नहीं जा पाई.

यही नहीं.बंगाल में आठ चरण के चुनाव बीजेपी को फायदा देने के बजाए नुकसान कर गए. गैर-भाजपाइयों ने इसका बहुत विरोध किया था.लेकिन बीजेपी को इसमें सियासी लाभ नजर आ रहा था.

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की खास बातें....

एक- आठ चरण में चुनाव होने के कारण यह माना जा रहा था कि पीएम मोदी समेत बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं की अनेक रैलियों का लाभ बीजेपी को मिलेगा.लेकिन ऐसा नहीं हुआ.उल्टे ममता बनर्जी को प्रचार का पूरा अवसर मिल गया.क्योंकि टीएमसी में प्रचार के लिए एकमात्र नेता ममता बनर्जी ही थी. यदि आठ चरण के बजाए दो-तीन चरण में भी चुनाव होता तो ममता बनर्जी इतना ज्यादा चुनाव प्रचार नहीं कर पाती.

दो- हर चरण के चुनाव के बाद फीडबैक के आधार पर रणनीति में बदलाव संभव था.लेकिन नेशनल न्यूज चैनल्स ने इतना पाॅलिटिकल कंफ्यूजन खड़ा कर दिया कि बीजेपी आत्ममुग्ध हो गई.जबकि परेशान ममता बनर्जी ने सारे विपक्ष से सहयोग मांग लिया.

तीन- ममता बनर्जी ने चंडीपाठ करके बीजेपी के सबसे बड़े धार्मिक मुद्दे की हवा निकाल दी. आश्चर्यजनक बात तो यह है कि मोदी-शाह के लिए तो भले ही संभव नहीं हो.लेकिन इनके अलावा भी बीजेपी का कोई नेता चंडी पाठ नहीं कर पाया. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक कार्यक्रम के दौरान देख कर चंडी पाठ करने की कोशिश की.किंतु वे सफल कम.एक्सपोज ज्यादा हो गए.
चार- न्यूज चैनल बार-बार राहुल गांधी को बंगाल में चुनाव प्रचार के लिए उकसाते रहे.लेकिन उन्होंने अघोषित तौर पर वॉक ओवर दे दिया.जिसका परिणाम यह रहा कि बीजेपी का सत्ता का सपना टूट गया.मतलब- राहुल गांधी सियासी बाजीगरी में जीत गए.

पांच- बिहार की तरह बंगाल में ओवैसी की सक्रियता का अपत्यक्ष लाभ बीजेपी को नहीं मिल पाया.

छह- मोदी टीम द्वारा टीएमसी नेताओं को बीजेपी में लेना बहुत बड़ी भूल साबित हुई.इसे बीजेपी मूल का कार्यकर्ता तो नाराज हुआ ही.बीजेपी के साथ-साथ ऐसे टीएमसी नेताओं की इमेज भी खराब हुई.

इस बार के चुनाव में सबसे बड़ी बात यही रही कि बंगाल की जनता ने मोदी और ओवैसी.दोनों की धार्मिक राजनीति को रिजेक्ट कर दिया!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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नरेंद्र मोदी का इतराना पश्चिम बंगाल में भारी पड़ गया?

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