आजकल विंशोत्तरी महादशा प्रणाली ही गणना में है. इसके अनुसार प्रत्येक ग्रह की दशाओं की अवधि अलग-अलग होती है. क्रमानुसार - सूर्य - 6 वर्ष, चंद्र-10 वर्ष, मंगल - 7 वर्ष, राहु - 18 वर्ष, गुरु - 16 वर्ष, शनि-19 वर्ष, बुध - 17 वर्ष, केतु - 7 वर्ष, शुक्र - 20 वर्ष
जन्म के विचारानुसार जातक ने जिस ग्रह की महादशा में जन्म लिया है, उससे अगले क्रम में दशाएँ गिनी जाती हैं.
सामान्यतः: 6, 8, 12 स्थान में उपस्थित ग्रहों की महादशा अच्छा फल नहीं देती है.
केंद्र व त्रिकोण में स्थित ग्रहों की दशा-महादशा अच्छा फल देती है.
शुभ ग्रह की महादशा में पाप ग्रहों की अंतर्दशा अशुभ फल देती है मगर पाप ग्रहों में शुभ ग्रह की अंतर्दशा मिला-जुला फल देती है.
भावानुसार फल:-
लग्नेश की महादशा - स्वास्थ्य अच्छा, धन-प्रतिष्ठा में वृद्धि,
धनेश की महादशा:- अर्थ लाभ मगर शरीर कष्ट, स्त्री (पत्नी) को कष्ट,
तृतीयेश की महादशा - भाइयों के लिए परेशानी, लड़ाई-झगड़ा,
चतुर्थेश की महादशा - घर, वाहन सुख, प्रेम-स्नेह में वृद्धि,
पंचमेश की महादशा - धन लाभ, मान-प्रतिष्ठा देने वाली, संतान सुख, माता को कष्ट,
षष्ठेश की महादशा - रोग, शत्रु, भय, अपमान, संताप,
सप्तमेश की महादशा - जीवनसाथी को स्वास्थ्य कष्ट, चिंताकारक,
अष्टमेश की महादशा - कष्ट, हानि, मृत्यु भय,
नवमेश की महादशा - भाग्योदय, तीर्थयात्रा, प्रवास, माता को कष्ट,
दशमेश की महादशा - राज्य से लाभ, पद-प्रतिष्ठा प्राप्ति, धनागम, प्रभाव वृद्धि, पिता को लाभ,
लाभेश की महादशा - धन लाभ, पुत्र प्राप्ति, यश में वृद्धि, पिता को कष्ट,
व्ययेश की महादशा - धनहानि, अपमानं, पराजय, देह कष्ट, शत्रु पीड़ा,
विशेष:- अच्छे भावों के स्वामी केंद्र या त्रिकोण में होने पर ही अच्छा प्रभाव दे पाते हैं. ग्रहों के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए पूजा व मंत्र जाप करना चाहिए.
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जानें ज्योतिष आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया से मई 2021 का मासिक राशिफल
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